लंबे समय तक Kanpur में रही थी Mukhtar की आमदरफ्त

Mukhtar का  भांजा मोहम्मद ताहिर Kanpur में ही रहता था 

  • नब्बे के दशक में क्राइस्चर्च कॉलेज का अध्यक्ष निर्वाचित हुआ था ताहिर
  • 22 साल पहले मुख्तार के शूटर संग Kanpur में पकड़ा गया था ताहिर
  • पुलिस ने असलहों के साथ ताहिर, अभय सिंह को किया था Arrest
  • रईस बनारसी ने भी लंबे समय तक मुख्तार के लिए किया था काम



Yogesh Tripathi

Uttar Pradesh के बांदा जनपद स्थित मेडिकल कॉलेज में गुरुवार देर रात्रि पूर्वांचल के बाहुबली डॉन और पांच बार विधायक रहे Mukhtar Ansari की हार्ट फेल हो जाने की वजह से मौत हो गई। Mukhtar Ansari बांदा की जेल में सजा काट रहा था। उसे ढाई साल पहले पंजाब की जेल से यूपी लाया गया था। Mukhtar Ansari का Kanpur से भी काफी गहरा Connection रहा है। शहर में मुख्तार के एक भांजा मोहम्मद ताहिर रहते था। ताहिर नब्बे के दशक में छात्र नेता रहे और बाद में क्राइस्चर्च कॉलेज छात्रसंघ के अध्यक्ष भी निर्वाचित हुए। ताहिर की कैंसर की बीमारी से कुछ साल पहले मौत हो चुकी है।


 Kanpur से पूर्वांचल अंडरवर्ल्ड का गहरा नाता हमेशा से रहा है। शहर से असलहों और कारतूसों की सप्लाई भी पूर्वांचल के गैंस्टर व माफियाओं को होती रही है। Kanpur और आसपास के कई शार्प शूटर भी इन पूर्वांचल के गैंगों की खातिर काम करते थे। कुलीबाजार के अतीक-शफीक & बिल्लू-बाले के साथ-साथ अच्छे दहाना, नई सड़क के अतीक-फहीम और जिंदनाथ गिरोह के शार्प शूटर Uttar Pradesh व दूसरे राज्यों में सक्रिय रहे हैं। इसमें एक नाम रईस बनारसी भी है। जो अभी कुछ साल पहले ही वाराणसी में मारा जा चुका है। रईस बनारसी यूं तो Kanpur का ही रहने वाला था लेकिन पूर्वांचल के गाजीपुर, बनारस, मऊ समेत कई जनपदों में उसकी खासी दहशत थी। रईस बनारसी ने लंबे समय तक मुख्तार गैंग के लिए काम किया था। 

Kanpur के तमाम मुस्लिम बाहुल्य एरिया में अंसारी बिरादरी की खासी संख्या हैं। इसमें 70 फीसदी के करीब लोग पूर्वांचल के जनपदों, गाजीपुर, मिर्जापुर, सोनभद्र, बनारस, मऊ आदि जनपदों के मूल निवासी हैं। मुख्तार के इंतकाल को लेकर पूरे दिन चर्चाएं होती रहीं। शहर पुलिस और खुफिया विभाग के अफसर Alert रहे। चंदारी, सुजातगंज, फेथफुलगंज, बेगमपुरवा, रेलबाजार, आदि जगहों पर खुफिया की बेहद पैनी निगाह पूरे दिन बनी रही। 

Kanpur में भी रहा खासा दखल

पूर्वांचल और खासतौर पर गाजीपुर से जुड़े कानपुर में रहने वालों की मानी जाए तो मुख्तार और उसके भाई अफजाल से कानपुर में रहने वाले पूर्वांचल के लोगों से कनेक्शन रहे हैं। मुख्तार के गुर्गों से भी इन लोगों का नेटवर्क रहा है। बड़े मामलों में मुख्तार गैंग के लोग मामला निपटाते रहे हैं। इसके एवज में मोटी रकम भी वसूली जाती रही है। तमाम मामले प्रकाश में आए लेकिन बहुत सारे मामले खुले ही नहीं। 

Mukhtar Ansari का भांजा भी करता था रंगबाजी

जाजमऊ क्षेत्र में रहने वाले मुख्तार अंसारी के भांजे मोहम्मद ताहिर नब्बे के दशक में क्राइस्चर्च कालेज छात्रसंघ के अध्यक्ष बने। कानपुर की कैंट विधान सभा सीट से ताहिर ने पीस पार्टी के टिकट पर विधायकी का भी चुनाव लड़ा लेकिन वह हार गए। ताहिर छात्र जीवन में भी काफी ठसक के साथ रहता था। मामा के नाम और साथ की फोटो को ताहिर रुतबा दिखाता रहा था। शहर की राजनीति में भी ताहिर की अच्छी दखल रहती थी। खासकर कैंट क्षेत्र में ताहिर की पकड़ बेहद मजबूत थी। 

जेल मे पूर्व सांसद सुभाषिनी अली का विरोध किया

छात्र राजनीति के दौरान आरक्षण मामले पर विरोध के दौरान शहर के तमाम छात्र नेताओं को पुलिस ने विरोध करने की वजह से Arrest कर जेल भेज दिया। तत्कालीन सांसद सुभाषिनी अली जेल में बंद छात्र नेताओं से मुलाकात करने पहुंची। मोहम्मद ताहिर ने अपने साथ बंद अन्य छात्र नेताओं के साथ मिलकर जेल की बैरक में ही सुभाषिनी अली का न सिर्फ विरोध किया बल्कि खासी अभद्रता भी की। जेल के सुरक्षा कर्मियों और अपने अंगरक्षकों की वजह से सुभाषिनी अली बामुश्किल जेल से बाहर निकल सकीं थी।

प्लेन हाईजैक का हाईवोल्टेज ड्रामा

आरक्षण के मुद्दे पर शहर के सभी कालेजों में छात्र नेता और पदाधिकारी खुलकर विरोध कर रहे थे। दूसरी तरफ मोहम्मद ताहिर ने अपने कुछ करीबी छात्र नेताओं के संग प्लेन को हाईजैक कर लिया। खास बात ये रही कि ुउस समय प्लेन में एक पूर्व केंद्रीय मंत्री की पत्नी भी मौजूद रहीं थीं। प्लेन हाईजैक की खबर पर दिल्ली तक हड़कंप मच गया था। बाद में जब सुरक्षा कर्मियों ने सभी को हिरासत में लिया तो मालूम चला कि सभी के पास जो पिस्टल थी वो नकली थी। लेकिन सभी के खिलाफ FIR रजिस्टर्ड की गई थी। लंबे समय तक मुकदमा भी चला। 

Abhay Singh के साथ Kanpur में पकड़ा गया था ताहिर 

वर्ष 2002 में कलेक्टरगंज थाने की नयागंज चौकी इंचार्ज रहे ऋषिकांत शुक्ला (वर्तमान में क्षेत्राधिकारी उन्नाव) ने मुखबिर की सूचना पर कार सवार कुछ युवकों को असलहों के साथ Arrest किया। कार का शीशा खुलते ही पुलिस वालों को धमकियां मिलीं तो सभी ठिठक गए। कार में कोई और नहीं बल्कि मुख्तार अंसारी के करीबी रहे वर्तमान में सपा के टिकट पर विधायक चुने गए अभय सिंह मौजूद थे। अभय सिंह के साथ मोहम्मद ताहिर, एक अन्य व्यक्ति और ड्राइवर भी था। सभी को छोड़ने के लिए दो राज्यों के मुख्यमंत्रियों समेत कई मंत्रियों के फोन तत्कालीन पुलिस अफसरों के पास आए। एक लाइसेंसी राइफल भी पुलिस ने सभी के पास से बरामद की थी जो कि किसी दूसरे राज्य की थी। अभय सिंह को छोड़कर पुलिस ने बाकी अन्य लोगों को तब तबियत से खातिरदारी की थी। अभय सिंह अभी हाल में राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रास वोटिंग करने की वजह से सुर्खियों में आए। फिलहाल केंद्र की मोदी सरकार ने उनको "Y" श्रेणी की सुरक्षा देते हुए CRPF के जवानों की तैनाती उनके साथ की है। 


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