- गुजरात की एक फर्म में 1.40 करोड़ की हुई थी लूट
- थानेदार समेत कई पुलिस वालों को तुरंत किया गया था सस्पेंड
- भेलूपुर थाना पुलिस ने बरामद की थी 92 लाख की करेंसी
- वारदात के दिन से ही पुलिस की कार्यशैली पर उठ रही थीं अंगुलियां
- पुलिस वालों की मिलीभगत प्रतीत होने पर बर्खास्तगी : पुलिस आयुक्त
Yogesh Tripathi
Social Media पर चर्चा है कि जिन शहरों में कमिश्नर रेट पुलिस प्रणाली लागू हुई है...वहां पर पुलिसिंग बेहद खराब हो चुकी है। अपराधिक घटनाओं का ग्राफ तो बढ़ा ही है साथ ही साथ पुलिस वाले संगीन अपराध के जुर्म में संलिप्त पाए जा रहे हैं। तमाम थानेदार मनबढ़ और बेलगाम हो चुके हैं। कुछ दिन पहले ही कानपुर देहात (भोगनीपुर) थाने के इंस्पेक्टर और दरोगा ने बदमाशों के साथ मिलकर आगरा के सर्राफ को चेकिंग के बहाने औरैया जनपद की सीमा में रोक लिया और 50 किलोग्राम चांदी लूट ली।
Uttar Pradesh के औरैया जनपद की सीमा में घुसकर Kanpur Dehat के भोगनीपुर पुलिस की चांदी लूट का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि “रामराज्य” वाले सूबे में UP Police के इंस्पेक्टर और कुछ इंस्पेक्टर ने मिलकर एक और कांड कर दिया। कमिश्नररेट वाराणसी की पुलिस की एक लूटकांड में मिलीभगत और नोटों की हेराफेरी उजागर हुई है। भेलूपुर थाना क्षेत्र के खोजवां स्थित शंकुलधारा पोखरे के पास कार से 92 लाख रुपए की बरामदगी के मामले में जांच रिपोर्ट आने के बाद भेलूपुर थाने के तत्कालीन SHO रमाकांत दुबे समेत 7 पुलिसकर्मियों को अपर पुलिस आयुक्त मुख्यालय एवं अपराध संतोष सिंह ने बर्खास्त कर दिया।
दरअसल 92 लाख रुपए की कथित बरामदगी के पीछे खाकी के मिलीभगत की एक बड़ी “कहानी” है। 29 मई को बैजनत्था स्थित शंकराचार्य कालोनी स्थित गुजरात की एक फर्म के कार्यालय में घुसकर कुछ बदमाशों ने कर्मचारियों से करीब 1.40 करोड़ रुपए लूट लिए थे। इसमें सारनाथ के अजीत मिश्रा समेत कई आरोपित थे। पहले दिन से ही वारदात में पुलिस कर्मियों के मिलीभगत की बात सामने आ रही थी।
बर्खास्त किए गए पुलिसकर्मियों में भेलूपुर के तत्कालीन SHO रमाकांत दुबे, SI सुशील कुमार, SI महेश कुमार, Si उत्कर्ष चतुर्वेदी, CP महेंद्र कुमार पटेल, कपिल देव पांडेय, शिवचंद्र को पहले ही अफसरों ने सस्पेंड कर दिया था। सस्पेंशन के बाद जांच DCP (Kashi Zone) को सौंपी गई थी। जांच रिपोर्ट आने के बाद इन पुलिसकर्मियों की संलिप्तता पाई गई। लिहाजा उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। गौरतलब है कि नारंगी रंग की कार की डिग्गी से 92 लाख 94 हजार 600 रुपए मिले थे। लेकिन जब वाराणसी कमिश्नरेट के अफसरों ने इसकी जांच की तो कहानी कुछ और सामने आई।
DCP (Kashi Zone) R.S Gautam की जांच रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ कि पूरे प्रकरण में निलंबित इंस्पेक्टर भेलूपुर रमाकांत दुबे के अलावा तीन दरोगा और तीन सिपाही शामिल रहे। कमिश्नरेट पुलिस के अपर पुलिस आयुक्त (मुख्यालय/अपराध) संतोष कुमार सिंह ने बताया कि बीते 29 मई को बैजनत्था के व्यापारी से एक करोड़ 40 लाख रुपए की लूट हुई थी। जिसकी FIR रजिस्टर्ड कर विवेचना प्रचलित है। बरामद नगदी उसी से संबंधित है। शुरुआती जांच में रिश्वत को लेकर मारपीट का मामला सामने आया था। लेन-देन के मामले के विवाद की सूचना पर भेलूपुर पुलिस पहुंची थी। इंस्पेक्टर भेलूपुर और अन्य पुलिसकर्मियों ने दो दिनों तक मामले को अपने स्तर से दबाने का प्रयास किया। अधिकारियों के आदेश के बाद भी रुपए किसके हैं भेलूपुर पुलिस इसका पता नहीं लगा सकी। पुलिस मामले की लीपापोती में लगी रही।
Gujrat के व्यापारी विक्रम सिंह ने सारनाथ के अजीत मिश्रा उर्फ गुरुजी समेत 12 लोगों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कराया। जांच और आगे बढ़ी तो इनकी भी संलिप्तता सामने आई और उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। गौरतलब है कि दो दिन पहले ही पुलिस ने शंकुलधारा पोखरे के पास से मिले लाखों रुपए के मामले में आजमगढ़ जिले के अजमतगढ़ निवासी सच्चिदानंद उर्फ मंटू राय को पुलिस लाइन से Arrest किया गया था। मंटू राय वाराणसी के ही शिवपुर थाना क्षेत्र के नवलपुर में रहता था। पूछताछ में उसने सारा राज उगल दिया।
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