- SIT की जांच में दोषी ठहराए गए थे Anant Dev Tiwari समेत कई पुलिस कर्मी
- SIT ने वृहद दंड दिए जाने की सिफारिश अपनी जांच रिपोर्ट में की थी
- IPS Officer नीलाब्जा चौधरी कर रहे थे Anant Dev की जांच
- Bikru Case में सीओ समेत 8 पुलिस कर्मियों की गोलियों से भूनकर की गई थी हत्या
- इलाहाबाद हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने विकास दुबे के खजांची जय कांत बाजपेयी की जमानत खारिज की
- हाईकोर्ट ने जयकांत की जमानत खारिज करने के पीछे उसके खिलाफ दर्ज अपराधिक मामलों को बनाया आधार
Yogesh Tripathi
Kanpur में करीब तीन साल पहले हुए बहुचर्चित Bikru Case में IPS Officer Anant Dev Tiwari को बड़ी राहत मिली है। Clean Chit मिलने से Anant Dev Tiwari के दामन पर लगे दाग अब धुल गए हैं। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020 में जब Bikru Case हुआ था तो अनंत देव उस समय DIG (STF) थे। कुछ समय पहले ही उनका ट्रांसफर STF में किया गया था। इससे पहले वे SSP कानपुर थे। Bikru Case के बाद शासन ने SIT जांच के आदेश दिए थे। SIT ने अपनी जांच रिपोर्ट में कई पुलिस कर्मियों की भूमिका संदिग्ध पाते हुए उनके खिलाफ वृहद दंड दिए जाने की संस्तुति की थी। इस जांच रिपोर्ट के आने पर शासन ने तत्काल प्रभाव से IPS Officer अनंत देव तिवारी को सस्पेंड कर दिया था। उनके सस्पेंशन के बाद जांच एक सीनियर IPS Officer नीलाब्जा चौधरी को सौंपी गई थी।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो जांच चल रही थी कि इस बीच करीब तीन महीना पहले शासन ने Anant Dev Tiwari की बहाली करते हुए उन्हें DIG (GRP) के पद पर तैनात कर दिया। थोड़े ही दिन बाद उनको STF की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी सौंप दी गई। सोशल मीडिया पर चर्चा है कि रिटायरमेंट से कुछ महीना पहले ही अनंत देव तिवारी को क्लीन चिट मिलने से उनके दामन पर लगे दाग करीब-करीब धुल गए हैं। Anant Dev Tiwari मूल रूप से फतेहपुर जनपद के निवासी हैं। उन्हें एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के तौर पर जाना जाता है। वह लंबे समय तक STF में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। पाठा के जंगलों में दस्यु सम्राट ददुआ और ठोकिया जैसे दस्यु सरदारों का Encounter उन्होंने STF में ASP रहते हुए किया था। वर्ष 1991 में Anant Dev Tiwari ने प्रांतीय पुलिस सर्विस (PPS) की नौकरी ज्वाइन की थी। वर्ष 2006 में वह IPS Officer बने।
2 जुलाई 2020 की आधी रात तत्कालीन बिल्हौर क्षेत्राधिकारी देवेंद्र मिश्रा की अगुवाई में पुलिस टीम खूंखार गैंगस्टर विकास दुबे के घर दबिश देने के लिए Bikru गांव पहुंची थी। बताया जाता है कि पुलिस टीम के दबिश देने की सूचना विकास दुबे और उसके गिरोह को काफी पहले ही मिल गई थी। लिहाजा उसने पहले से ही तैयारी कर रक्खी थी। पुलिस टीम के पहुंचने पर विकास दुबे और उसके गुर्गों ने घेराबंदी कर स्वचालित हथियारों से अंधाधुंध फायरिंग की। जिसमें सीओ देवेंद्र मिश्रा समेत 8 पुलिस कर्मी शहीद हो गए।
वारदात के कुछ घंटे बाद ही सोशल मीडिया पर तमाम आडियो और वीडियो वॉयरल हुए। जिसके बाद शक की सूई लोकल पुलिस और तमाम अफसरों पर भी घूमने लगी। यही वजह रही कि तत्कालीन चौबेपुर थाना प्रभारी (SO) विनय तिवारी को भी STF ने Arrest कर लिया था। उसके बाद STF ने विकास दुबे के दाहिने हाथ अमर दुबे समेत कई गुर्गों को Encounter में मार गिराया। विकास दुबे ने मध्य प्रदेश के उज्जैन में सरेंडर कर दिया। Kanpur लाते समय सचेंडी के पास गाड़ी पलटने के बाद भाग रहे विकास दुबे को भी STF ने ढेर कर दिया था।
Vikas Dubey के खजांची जयकांत की जमानत हाईकोर्ट में खारिज
उधर, इलाहाबाद हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के जस्टिस मयंक कुमार जैन ने Bikru Case मामले में जेल की सलाखों के पीछे कैद जयकांत बाजपेयी उर्फ जय बाजपेयी की जमानत याचिका खारिज कर दी। हाईकोर्ट के जस्टिस मयंक कुमार जैन ने अपने आदेश में कहा कि अपराध की प्रकृति और दोषी होने की डिग्री गंभीर और जघन्य है। जयकांत बाजपेयी का जघन्य मामलों का लंबा-चौड़ा अपराधिक इतिहास रहा है। जयकांत बाजपेयी उस घटना में सक्रिय रूप से शामिल है, जिसमें क्षेत्राधिकारी समेत 8 पुलिस कर्मियों की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई। इस कांड में 7 पुलिस कर्मी गंभीर रूप से घायल भी हुए थे। मुख्य आरोपी विकास दुबे को दो लाख रुपए, वारदात में प्रयुक्त 25 कारतूस मुहैया कराए गए। इस लिए अपराधिक पृष्ठभूमि वाले याची को जमानत नहीं दी जा सकती है।
उल्लेखनीय है कि Bikru Case में STF ने विकास दुबे के खजांची रहे जयकांत बाजपेयी को भी लंबी पूछताछ के बाद Arrest किया था। जयकांत बाजपेयी के तार नौकराशाही से भी जुड़े थे। पूछताछ में जयकांत बाजपेयी ने STF को बताया था कि उसने विकास दुबे को कारतूस, नकदी और भागने के लिए कार मुहैया कराई थी। जिसके बाद पुलिस ने चौबेपुर थाने में जयकांत बाजपेयी के खिलाफ IPC की धारा 147, 148, 149, 332, 353, 333, 307, 302, 3946, 412, 120-B, 34, 504, 506 के तहत मुकदमा पंजीकृत किया था।उधर, RTI Activist और अधिवक्ता सौरभ भदौरिया ने पोर्टल से बातचीत में कहा कि SIT जांच में IAS, IPS & PPS Officr's शामिल थे। लंबी जांच प्रक्रिया के बाद SIT ने अपनी जांच रिपोर्ट में अनंत देव तिवारी समेत कई पुलिस कर्मियों की भूमिका संदिग्ध पाई थी। साथ ही SIT ने सभी के खिलाफ वृहद दंडात्मक कार्रवाई के लिए लिखा था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सौरभ भदौरिया का कहना है कि जल्द ही वह विधिक परामर्श के बाद सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
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