- बाबा घाट पर मंदिर के बाहर दी गई है ब्रम्हलीन महंत श्यामगिरी की भू-समाधि
- पहले ब्रम्हलीन हुए सभी महंतों को बाबा घाट मंदिर के अंदर दी गई थी भू-समाधि
- पुलिस और प्रशासन की आंख के सामने करीब 1000 वर्ग से अधिक की जमीन पर कब्जा
- कब्जा की गई अनाधिकृत भूमि की कीमत करोड़ों रुपए की बताई जा रही
- दो दिन से चल रहा है श्यामगिरी की समाधि के चारो तरफ लोहे की ग्रिल लगाने का कार्य
- कुछ दिन बाद कब्जा की गई अनाधिकृत सरकारी भूमि को अपना बताएगा जूना अखाड़ा
- श्यामगिरी के शिष्य रामदास उर्फ अमरकंटक बोले, "ये तो जूना अखाड़ा का पुराना इतिहास रहा है"
करीब दर्जन भर से अधिक मजदूर बाबा घाट के बाहर श्यामगिरी की समाधि स्थल के चारो तरफ लोहे की ग्रिल और जाली का निर्माण कर रहे हैं (Photo साभार Social Media) |
Yogesh Tripathi
श्रीआनंदेश्वर मंदिर के ब्रम्हलीन महंत श्यामगिरी को बाबा घाट पर दी गई भू-समाधि के साथ-साथ जूना अखाड़े ने नया "खेल" कर दिया। श्यामगिरी के शिष्य रामदास उर्फ अमरकंटक सोशल मीडिया पर फोटो वॉयरल करते हुए समाधिस्थल के चारो तरफ करीब 1000 वर्ग गज से अधिक की जमीन को लोहे की जाली और ग्रिल लगाकर उस पर अनाधिकृत करीके से कब्जा कर लिया गया है। ये कब्जा किसी और ने नहीं बल्कि जूना अखाड़े के लोगों ने किया है। बकौल रामदास उर्फ अमरकंटक ब्रम्हलीन महंत को पुलिस और प्रशासन की मौजूदगी में जूना अखाड़े ने ही भू-समाधि दी है। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि करोड़ों रुपए की सरकारी भूमि पर कब्जा हो गया और पुलिस व जिला प्रशासन को भनक तक नहीं लगी। www.redeyestimes.com (news Portal) की छानबीन में जो जानकारियां मिली हैं, उसके मुताबिक भूमि पर कब्जे का अधिकांश कार्य पूरा हो चुका है। कुछ काम ही शेष बचा है। स्थानीय लोगों ने दबी जुबान से कहा कि अभी सिर्फ लोहे की ग्रिल और जाली लगी है, आगे चलकर पूरा परिसर ही मंदिर में मिला दिया जाएगा। यह भूमि न तो श्रीआनंदेश्वर मंदिर की है और न ही जूना अखाड़े की... फिर करोड़ों रुपए की इस बेशकीमती जमीन पर क्यों और किसके इशारे पर कब्जा किया गया...? ये सबसे बड़ा "यक्ष प्रश्न" है...?
श्यामगिरी के सबसे बड़े शिष्य और जूना अखाड़े से मोर्चा खोलने वाले महंत रामदास उर्फ अमरकंटक का कहना है कि ये जूना अखाड़े का पुराना इतिहास है। जब भक्त और शिष्य अपने पूज्यनीय गुरु के ब्रम्हलीन होने पर शोक में डूबा था तो जूना अखाड़े के लोग उनकी भू-समाधि के बहाने भू-भाग पर कब्जा करने की योजना बना रहे थे। रामदास उर्फ अमरकंटक का आरोप है कि सत्ता की एक "अदृश्य शक्ति" के इशारे पर ब्रम्हलीन महंत श्यामगिरी का पार्थिव कानपुर पहुंचने से पहले योजना के तहत मंदिर परिसर को पूरी तरह से छावनी में क्यों तब्दील किया गया..? ये सब एक बड़ी साजिश का हिस्सा है। रामदास का आरोप है कि क्या वहां पर कोई आतंकवादी घुसा था या फिर घुसने वाला था...? जो इतनी बड़ी तादाद में फोर्स लगा दी गई। रामदास का आरोप है कि फोर्स की तैनाती का प्रदर्शन कर भक्तों और शिष्यों को न सिर्फ खामोश रहने का संकेत दिया गया बल्कि उसी की आड़ में बाबा घाट के बाहर अनाधिकृत तरीके से जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया गया।
News Portal से बातचीत में अमरदास उर्फ कंटक महाराज ने कहा कि सदियो पुरानी परंपरा रही है कि मंदिर का महंत जब भी ब्रम्हलीन हुआ है तो उसके चेलों ने ही अंतिम संस्कार की रस्म को निभाया। सभी गुरुओं की समाधि बाबा घाट मंदिर परिसर के अंदर ही दी गई हैं तो फिर पूज्यनीय गुरु श्यामगिरी की भू-समाधि क्यों और किसके इशारे पर बाबा घाट के बाहर दी गई। जबकि एक गड्ढा तो मंदिर के अंदर भी खोदा गया था तो वहां समाधि क्यों नहीं दी गई..? रामदास का आरोप है कि पूज्यनीय गुरु श्यामगिरी के भू-समाधि की आड़ में करोड़ों रुपए की सरकारी जमीन पर कब्जा करना था इस लिए सदियों पुरानी परंपरा को ताक पर रखने के बाद प्रशासन की मौजूदगी में जूना अखाड़े ने अपनी मनमानी की है।
जूना अखाड़ा की मंदिर परिसर में हुई मीटिंग के दौरान मौजूद पदाधिकारी। |
मंदिर की देखरेख के लिए पांच महंतों के नाम की घोषणा
श्यामगिरी को भू-समाधि देने के बाद जूना अखाड़े के पदाधिकारियों ने श्रीआनंदेश्वर मंदिर परिसर में ही Meeting की। इस अहम मीटिंग का Video (News Portal) के पास मौजूद है। मीटिंग में जूना अखाड़े के साथ-साथ मंदिर के कर्मचारी और "लोकल-वोकल" भी मौजूद थे। इस मीटिंग में आनंदेश्वर मंदिर के प्रमुख विस्थापन और देखरेख के लिए जूना अखाड़े की तरफ से पांच महंतों की नियुक्ति की गई। जूना अखाड़े की खबरों को प्रमुखता से प्रकाशित करने वाले एक यू-ट्यूब चैनल ने फेसबुक पर इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित करते हुए लिखा है कि आनंदेश्वर मंदिर के प्रमुख महंत हरिगिरी महाराज होंगे। उनके साथ चार और महंत होंगे। जिसमें महंत उमाशंकर भारती, महंत प्रेमगिरी, महंत केदार पुरी, महंत नारायाण गिरी के नाम शामिल हैं। खबर ये भी है कि इस मीटिंग के बाद जूना अखाड़े के सभी प्रमुख पदाधिकारी कानपुर से कहीं अन्यत्र के लिए रवाना हो गए। मंदिर का कामकाज अरुण पुरी के पास है।
मंदिर में महंतों की नियुक्ति को लेकर Facebook पर Viral Post |
श्रीआनंदेश्वर ट्रस्ट को जब शून्य मान चुका है हाईकोर्ट तो फिर दूसरे की इंट्री क्यूं..?
इलाहाबाद हाईकोर्ट श्रीआनंदेश्वर मंदिर बनाम श्रीआनंदेश्वर ट्रस्ट के मुकदमें में कई दशक पहले अपना फैसला सुना चुका है। यह फैसला श्रीआनंदेश्वर मंदिर के पक्ष में है। इस फैसले में हाईकोर्ट की डबल बेंच के जस्टिस S.N Dwivedi और C.D Parekh ने श्रीआनंदेश्वर मंदिर के हक में फैसला देते हुए गुरु-शिष्य परंपरा की परंपरा पर न सिर्फ मोहर लगाया बल्कि सभी संपत्तियों का अधिकार भी मंदिर के महंत के पास रहने का अधिकार दिया। खुद श्यामगिरी ने कोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि इस फैसले के बाद ही तय हो गया था कि ट्रस्ट पूरी तरह से फर्जी है और उसका कोई वैधानिक अस्तित्व भी नहीं है। तो फिर सवाल अब ये उठता है कि जब आनंदेश्वर ट्रस्ट ही फर्जी करार दिया जा चुका है तो फिर किसी दूसरी संस्था की इंट्री क्यों, कैसे और किस "अदृश्य शक्ति" के इशारे पर हो रही है...? जूना अखाड़ा भी एक संस्था ही है।
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