- उद्घाटन समारोह को दिया गया भव्यतम रूप
- जालौन में Modi को सुनने भारी तादाद में पहुंचे लोग
- एक्सप्रेस-वे से बुंदेलखंड को मिलेगा नया जीवन
- बुन्देलखंड के पिछड़ेपन का हटेगाल अब टैग
- बेतवा-केन नदी लिंक परियोजना और पचनदा बांध योजना के लिए धनराशि की घोषणा
Dr. Rakesh Dwivedi
जिला जालौन के मुख्यालय उरई तहसील का गाँव कैथेरी पानी की बूंदों और प्रधानमंत्री के आगमन से मुस्कुरा उठा। जितना आज मुस्कुराया उतना पहले कभी नहीं मुस्कुरा पाया। 296 Km. के इस चिकने और सपाट मार्ग पर दो लेन आने की और दो लेन जाने की। कई नदियों को हाय-हैलो कहकर आगे बढ़ा यह एक्सप्रेस-वे आज देश को समर्पित हो गया। समारोह आकर्षक और भव्य रहा माना जा रहा है। प्रधानमंत्री ने 14 हजार 800 करोड़ की लागत वाले “बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे” को राष्ट्र को समर्पित किया तो “भारत माता की जय” और जय श्रीराम की सामूहिक ध्वनि से विशाल सभा स्थल गूंज उठा।
एक्सप्रेस-वे के लोकार्पण के साथ Narendra Modi अपने भविष्य के उद्देश्यों को भी रफ्तार दे गए। 2024 में उनकी भावी रणनीति जो रफ्तार भरेगी। उसका पीछा कर पाना विपक्ष के लिए आसान नहीं होगा। संभावनाओं भरी घोषणाओं ने यहां के किसानों और युवा वर्ग को उत्साहित किया है। इस दौरान वे बेतवा-केन नदी लिंक परियोजना, पचनदा बांध परियोजना के अलावा झाँसी, कालपी, रामपुरा को पर्यटक क्षेत्र के रूप में नए ढंग से विकसित करने का खाका खींचा। उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार ने आवे बढ़ते रहने का संकल्प ले रखा है। हर दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ और जल शक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह समेत अन्य मंत्रियों ने एक्सप्रेस-वे को बुंदेलखंड वासियों के जीवन के लिए टर्निंग पॉइंट बताया।
भव्यता के इस रूप में कोई प्रधान मंत्री नहीं आया
जिले में प्रधान मंत्री तो कई आये पर इतने भव्यता भरे आयोजन के साथ कभी कोई नहीं आया। हफ्ते भर से समारोह स्थल राज्य और मंडल स्तरीय प्रमुख अधिकारियों का केंद्र बिंदु रहा। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी आंखों से तैयारियों को देखने के बाद संतुष्ट हुए। तैयारियां बड़े युद्धस्तर की रहीं। तपन भरी गर्मी और तैयारियों की चिंता से स्थानीय अधिकारी भी 'दोहरे “पसीने” से तर-बतर रहे ।
Modi ने बुंदेली संस्कृति के साथ इतिहास और पौराणिकता को याद किया
शब्द शैली में Mpdi को निपुण माना जाता है। उनके शब्द उन लक्ष्यों को भेदते हैं, जो वे साधते हैं। इसका उदाहरण बुंदेली धरती पर भी मिला। शब्द संयोजित भाषण में उन्होंने पौराणिकता, इतिहास और यहां की आकर्षित कर देने वाली स्नेह भरी परम्पराओं को याद किया। गोस्वामी तुलसीदास की विद्वता तथा झाँसी रानी लक्ष्मीबाई के अदम्य साहस को याद किया गया। देश की प्रगति में यहां के किसानों के योगदान को भी शब्द मिले। उन्हें भरोसा दिया गया कि उनकी फिक्र अभी तक किसी ने नहीं की पर हम कर रहे हैं। हर चेहरे पर मुस्कान लाने और तरक्की की राह दिखाने को बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे का निर्माण कराया गया है।
बुंदेलखंड के ऊपर से अब हटेगा पिछड़ेपन का टैग
अपने पिछड़ेपन का दंश सम्पूर्ण बुंदेलखंड ने बहुत सहन किया है। पानी से लेकर रोजगार और यातायात की जुड़ी तकलीफों ने जीने का सुख छीन लिया था। अब उम्मीद बंधी है। सारी उम्मीदें इस 296 Km. के मार्ग पर केंद्रित हैं। यहां का औद्योगिक विकास अभी तक ठप रहा। इसका मुख्य कारण खराब सड़कों की कनेक्टिविटी को माना गया। सरकार की योजना एक्सप्रेसवे के किनारे औद्योगिक गलियारा विकसित करने की है। जब औद्योगिक इकाइयां स्थापित होंगी तो खाली हाथ काम से भरेंगे और महानगरों को जाने वाला गांवों का पलायन भी रुकेगा। सिर्फ यही भर नहीं। राम की चौखट तक पहुँचने के अतिरिक्त दिल्ली के आंगन तक का मार्ग कम और सुगम होगा।
अब जालौन की मटर जल्दी पहुँचेगी दिल्ली
जालौन में उत्पादित मटर की बात ही अलग है। बड़ी मात्रा में यहां मटर का उत्पादन किसानों द्वारा होता है पर उन्हें कई बार सही भाव नहीं मिल पाता। इस नई सौगात से किसानों के दिन बहुरेंगे। AP-3 और GS-10 जैसी मटर वैरायटी की मिठास रास्ते में कम नहीं होगी। किसान अपना माल खुद महानगरों में ले जाकर ज्यादा दाम कमा सकेगा। इसके अलावा सड़क के आसपास जो पौधे रोपे गए हैं, ये यात्रियों की थकावट को दूर करने वाले साबित होंगे। सात लाख पौधे यात्रियों को रिझाने के लिए खड़े मिलेंगे।
स्वागत के लिए नदियों ने भी अपनी बांहें खोल दीं
भारी वाहनों की आवाजाही की रोक से NH-27 ने सुबह जब अंगड़ाई ली तो उसे बहुत सुकून मिला। उसके सीने पर आज बालू- गिट्टी लदे वाहनों का बोझ नहीं था। नदियां भी खुश हैं। उनके आसपास से यह मार्ग आगे बढ़ा है। चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, औरैया और इटावा के बीच अब मेल- मिलाप और बढ़ेगा। केन, श्यामा, चंद्रावल, बिरमा, बेतवा, सेंगुर और बेतवा का पानी भी खुशियों से उछल रहा है।
पांच हेलीकॉप्टर उतरने से दंग हुए कैथेरीवासी
कैथेरी में आज के पहले कभी कोई हेलीकाप्टर नहीं उतरा था। इस छोटेसे गांव की किस्मत ऐसी बदली की प्रधानमंत्री सहित मुख्यमंत्री का आगमन एक साथ हुआ। मंत्री और अधिकारियों की तो लंबी फेहरिस्त रही। जिस गांव में कभी एक भी हेलीकॉप्टर न पहुंचा हो वहां शनिवार को एक-दो नहीं पूरे पांच हेलीकाप्टर थोड़ी-थोड़ी देर में उतरे। इन्हें देखने को बच्चे छत पर चढ़ते- उतरते थक गए।
Note----Dr. Rakesh Dwivedi ने करीब दो दशक तक तक अमर उजाला अखबार में डेस्क और मुरादाबाद के साथ-साथ हिन्दुस्तान अखबार में अपनी सेवाएं दी हैं। वह लंबे समय तक हिन्दुस्तान अखबार में ब्यूरो चीफ रहे हैं...वर्तमान में वह "अरविंद माधुरी तिवारी महाविद्यालय" के प्राचार्य हैं।
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