• कल्याणपुर, गोविंदनगर, किदवईनगर, समेत कई सीटों पर काम लगाओ" अभियान Start
  • कई प्रत्याशियों ने संगठन के पदाधिकारियों तक को हाशिए पर रख दिया
  • भाजपा के लिए अपने विभीषणों से निपटना नहीं होगा आसान
  • Modi & Yogi का नहीं बल्कि प्रत्याशियों का हो रहा है सीधा विरोध

 


Yogesh Tripathi

Uttar Pradesh Election 2022 : विधान सभा चुनाव अब अपने शबाब पर है। हर दल का प्रत्याशी सुबह से शाम तक Voters की चौखट पर दंडवत है। सुबह Meeting होती है तो शाम को अंधेरा होते अपनों के मान-मनौव्वल का दौर Start हो जाता है। सबसे अधिक दिक्कत में सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कई प्रत्याशी हैं। महाराजपुर विधान सभा को यदि छोड़ दिया जाए तो करीब-करीब हर सीट पर भाजपा प्रत्याशियों की नाव बीच मझधार में फंसी हुई है। इसकी सबसे बड़ी वजह (संगठन VS “बिग्रेड) बताई जा रही है। "ब्रिगेडका सीधा मतलब प्रत्याशी के कई करीबीहै। जिनको प्रत्याशियों ने पुराने कार्यकर्ताओं के सापेक्ष अधिक तरजीह दे रक्खी है। जिसकी वजह से BJP के पुराने कार्यकर्ता निराश हैं। ऐसे कार्यकर्ताओं का कहना है कि 30 साल समर्पित होकर दिन-रात मेहनत कर उन्होंने पार्टी की जो सेवा की है, उसे प्रत्याशियों की तरफ से  आयात किए गए समर्थ लोगों ने हाईजैक कर लिया है। उनको सही ढंग से सम्मान तक नहीं मिल रहा है। इस लिए वह घरों में बैठने को मजबूर हैं। 

घरों में कैदकल्याणपुर के कार्यकर्ता

सबसे अधिक असंतोष कल्याणपुर विधान सभा में देखने को मिल रहा है। पुराने कार्यकर्ता तो पूरी तरह से खुद को घर में कैद किए हुए हैं। कार्यकर्ताओं का कहना है कि पांच साल तक उनके सुख-दुःख को भी नहीं बांटा गया। चुनावी बेला आई है तो कार्यकर्ता याद आ रहे हैं। एक कार्यकर्ता ने तो यहां तक कह दिया कि मोबाइल तक रिसीव नहीं होता था। (News Portal) को छानबीन में एक अहम जानकारी ये भी मिली है कि लोकसभा चुनाव का साइड इफेक्ट भी यहां पर काफी है। साइड इफेक्टयदि हुआ तो एक जाति विशेष का वोटर्स सपा या फिर कांग्रेस की तरफ रुख कर  सकता है। राजनीति के पंडितों की मानें तो साइड इफेक्ट का करंट का झटका काफी तेज प्रत्याशी को लग सकता है।

कल्याणपुर में रही सही कसर कांग्रेस ने जेल में बंद खुशी दुबे की बहन Neha Tiwari को चुनावी मैदान में उतारकर पूरी कर दी है। बीजेपी से नाराज मतदाता और कार्यकर्ताओं के सामने एक और विकल्प नेहा तिवारी के रूप में सामने है। नेहा और उनकी मां गायत्री समर्थकों के साथ जनता से जो अपना दर्द बयां कर रही हैं, उससे बुद्धजीवी मतदाताओं का रुझान उनकी तरफ हो रहा है। लेकिन यह रुझान मतदान में बदल पाएगा कि नहीं ? यह कहना अभी जल्दबाजी होगी।

वहीं, समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी और Ex.MLA सतीश निगम की जनता के बीच लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है। जनता के बीच उनकी इमेज डॉयल 100 जैसी बन चुकी है। किसी को यदि किसी भी वक्त कोई भी परेशान हो तो वह एक फोन पर उसके लिए सुलभ रहते हैं। शादी-विवाह-मुंडन और छेदन से लेकर व्यक्ति के अंतिम संस्कार तक उनकी मौजूदगी एक पांव पर दिखाई देती है। यही वजह है कि चुनाव में उन्हें किसी प्रत्याशी से कोई खास दिक्कत महसूस नहीं हो रही है। अब देखना यह होगा कि सतीश निगम को टक्कर कौन देता है ? कांग्रेस की नेहा तिवारी या फिर योगी सरकार की कैबिनेट मंत्री नीलिमा कटियार ?

गोविंदनगर में दिग्गजों ने बनाई दूरी

चुनाव गोविंदनगर का भी कम दिलचस्प नहीं है। यहां पर वर्तमान विधायक सुरेंद्र मैथानी का कड़ा मुकाबला कांग्रेस की करिश्मा ठाकुर से है। उपचुनाव में सुरेंद्र मैथानी ने करिश्मा ठाकुर को हराया था। इस बार फिर दोनों आमने-सामने हैं। इस विधान सभा में भाजपा के जिले से लेकर प्रदेश तक के कई बड़े पदाधिकारियों व कई पूर्व और वर्तमान माननीयों का निवास है। जिन्होंने अभी तक पूरे चुनाव से दूरी बनाकर रक्खी है और अपने चहेते लोगों को अन्य जिलों की दूसरी विधान सभाओं के चुनाव में लगा रक्खा है। सुरेंद्र मैथानी जहां अपने भरोसेमंद लोगों के साथ चुनाव प्रचार कर रहे हैं तो दूसरी तरफ से भीतरघाती उनके लिए बड़ी समस्या बन चुके हैं। चर्चा-ए-आम तो ये भी है कि एक ताकतवर माननीय और संगठन के एक बड़े दिग्गज अंदर ही अंदर शह-मात के खेल में लगे हैं।

Kidwai Nagar में अपनों ने की बगावत

कुछ ऐसा ही हाल Kidwai Nagar विधान सभा का भी है। यहां से भाजपा ने एक बार फिर वर्तमान विधायक महेश त्रिवेदी पर विश्वास जताते हुए उनको टिकट दिया है। उनका मुकाबला हैट्रिक विधायक रहे अजय कपूर से है। अजय कपूर पिछला चुनाव महेश त्रिवेदी से हार गए थे लेकिन इस बार चुनाव की Picture बिल्कुल अलग दिखाई दे रही है। 2017 के चुनाव में महेश त्रिवेदी को चुनाव लड़ाने वाले उनके कई लोग घर बैठ चुके हैं या फिर कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में खड़े हैं। 90 के दशक में छात्रसंघ के एक दिग्गज पदाधिकारी और उनके समर्थक तो खुलेआम सोशल मीडिया पर बगावत का झंडा बुलंद किए हुए हैं। मान-मनौव्वल का दौर जारी है लेकिन सफलता अभी तक बीजेपी प्रत्याशी और उनकी चुनाव संचालन समिति को नहीं मिली है। कल भी पैचअप के लिए पूरे प्रयास किए गए लेकिन नतीजा शून्य ही रहा। 

ब्राम्हण बाहुल इस सीट पर BJP प्रत्याशी महेश त्रिवेदी जहां ब्राम्हणों के चोटीमें "एकता की गांठ" लगाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस प्रत्याशी अजय कपूर और उनके समर्थकों की मुहिम ये है कि ब्राम्हणों की चोटीखुली ही रही ताकि नाराज ब्राम्हण मतदाता उनके पक्ष में वोट करे। यहां पर कई ऐसे मोहल्ले और क्षेत्र हैं जहां 90-95 फीसदी तक वोटिंग बीजेपी के पक्ष में ही होती है। यहां दोनों प्रत्याशियों के समर्थकों के बीच शीतयुद्धसोशल मीडिया पर खुलेआम देखा जा सकता है। ब्राम्हणों वर्ग के आशीर्वाद बगैर यहां किसी का चुनाव जीतना आसान नहीं होगा।

महेश त्रिवेदी के सोशल मीडिया पर दो वीडियो भी वॉयरल हो चुके है। एक वीडियो एडिट पाया गया लेकिन दूसरे वीडियों में जांच के बाद उनके खिलाफ नौबस्ता थाने में FIR तक दर्ज हो चुकी है। शायद यही वजह है कि प्रत्याशियों के समर्थकों में तल्खी अधिक दिखाई दे रही है। कड़े मुकाबले में जीत की बाजी आखिर किसके हाथ लगेगी यह तो 10 मार्च की तारीख ही बताएगी।

छावनी में काम लगाओ अभियान पहले दिन से स्टार्ट

कैंट विधान सभा सीट से भाजपा ने पूर्व विधायक रघुनंदन भदौरया को प्रत्याशी बनाया है। उनका सीधा मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी और वर्तमान विधायक सोहेल अंसारी से बताया जा रहा है। हालांकि सपा ने रूमी हसन को चुनाव में उतारकर चुनाव को रोचक बनाने की भरपूर कोशिश की है लेकिन मुस्लिम वोटों के सेंट्रलाइज होने की वजह से रूमी चुनाव में वो धार नहीं दे पा रहे हैं जिसकी राजनीतिक पंडित उम्मींद कर रहे थे। इधर, प्रत्याशिता की घोषणा होने के बाद से रघुनंदन के खिलाफ गुपचुप तरीके से काम लगाओ अभियान स्टार्ट हो गया। टिकट मांग रहे एक दावेदार और उनके समर्थक अंदर ही अंदर शतरंज की बिसात बिछाने में जुटे हुए हैं। यदि सभी सफल हुए तो सीधा नुकसान बीजेपी प्रत्याशी को उठाना पड़ेगा।

सीसामऊ और आर्यनगर में भी भीतरघात की आशंका

सीसामऊ और आर्यनगर का चुनाव भी कम दिलचस्प नहीं है। यहां पर त्रिकोणीय मुकाबला साफ-साफ दिखाई दे रहा है। दोनों ही सीटों पर वर्ष 2017 में सपा प्रत्याशियों हाजी इरफान सोलंकी और अमिताभ बाजपेयी ने जीत दर्ज की थी। हालांकि 2017 में सपा का कांग्रेस से गठबंधन था। बीजेपी ने इस बार प्रत्याशियों की शिफ्टिंग करते हुए पिछली बार आर्यनगर से चुनाव हारे सलिल विश्नोई को सीसामऊ और सीसामऊ से हारे सुरेश अवस्थी को आर्यनगर विधान सभा से प्रत्याशी बनाया है। दोनों ही प्रत्याशियों की शिफ्टिंग के साथ उनके करीबी कार्यकर्ता भी उनके साथ शिफ्ट हो गए हैं। 

बीजेपी के पुराने कार्यकर्ताओं की नाराजगी इन दोनों विधान सभाओं में भी साफ-साफ देखी जा रही है। पिछली बार सीसामऊ विधान सभा में प्रत्याशी रहे सुरेश अवस्थी और आर्यनगर से चुनाव लड़े सलिल विश्नोई के हार की मुख्य वजह अपनों की नाराजगी और भीतरघात ही थी। जिसकी वजह से यह दोनों मामूली अंतर से पराजित हो गए थे। राजनीति के पंडित आर्यनगर में कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद जायसवाल से ही हर किसी लड़ाई मान रहे हैं। सीसामऊ में कांग्रेस प्रत्याशी हाजी सुहैल की वजह से चुनाव त्रिकोणीय और बेहद दिलचस्प हो गया है। जीत की बाजी किसके हाथ लगेगी यह 10 मार्च को पता चल सकेगा। 

महराजपुर में कोई तोड़ नहीं...

महराजपुर विधान सभा में भाजपा ने योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे सतीश महाना को प्रत्याशी बनाया है। इस विधान सभा में सतीश महाना के चुनाव की तस्वीर बिल्कुल साफ है। महाना के खिलाफ चुनाव लड़ रहे अन्य दलों के प्रत्याशी ताकत खूब लगाए हैं लेकिन पिछले तीन दशक में सतीश महाना ने जनता के बीच जो "बीज" बोया है सही मायनों में वह उसकी फसल अब काट रहे हैं।

 

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