- 2019 के उपचुनाव में रनर रह चुकी हैं करिश्मा ठाकुर
- Delhi University की राजनीति के बाद NSUI की पदाधिकारी बनीं
- पिता राजेश सिंह BSP के टिकट पर लड़ चुके हैं अखिलेश यादव के खिलाफ चुनाव
- 2019 का चुनाव हारने के बाद से गोविंदनगर से सक्रिय रहीं करिश्मा ठाकुर
- BJP प्रत्याशी सुरेंद्र मैथानी को चुनाव जीतने के लिए बहाना पड़ेगा पसीना
करिश्मा ठाकुर (कांग्रेस प्रत्याशी-गोविंदनगर विधान सभा-212, कानपुर) |
Yogesh Tripathi
Uttar Pradesh Election 2022 : आपके विश्वसनीय पोर्टल www.redeyestimes.com (News Portal) की खबर पर एक बार फिर मुहर लगी है। Congress हाईकमान ने लंबी जद्दोजहद के बाद आखिर गोविंदनगर सीट से Karishma Thakur की टिकट Final कर प्रत्याशी घोषित कर दिया। करिश्मा ठाकुर 2019 के गोविंदनगर उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी थीं। बीजेपी के वर्तमान विधायक और प्रत्याशी सुरेंद्र मैथानी से वह चुनाव हार गई थीं लेकिन लगातार वह ढाई साल क्षेत्र में जनता के बीच रहकर सक्रिय बनी रहीं। करिश्मा की टिकट फाइनल होते ही कार्यकर्ताओं में खशी की लहर दौड़ गई। गौरतलब है कि करीब 7 दिन पहले ही पोर्टल ने करिशमा ठाकुर को टिकट मिलने के संकेत देकर खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। वहीं कांग्रेस हाईकमान ने सीसामऊ विधान सभा से हाजी सोहेल अहमद को प्रत्याशी घोषित कर चुनाव को बेहद दिलचस्प बना दिया है । सूत्रों की मानें तो कैंट से सपा की तरफ से रूमी हसन की टिकट फाइनल होने के बाद यह फैसला लिया गया। पहले यहां पर हरप्रकाश और अंकज मिश्रा को जातिगत और चुनावी समीकरण के लिहाज से प्रत्याशी घोषित किए जाने संकेत कांग्रेस हाईकमान की तरफ से मिल रहे थे । कांग्रेस ने घाटमपुर सुरक्षित सीट से राजनारायण कुरील पर विश्वास जताते हुए प्रत्याशी घोषित किया। यहां से नंदराम सोनकर भी रेस में थे लेकिन उनको टिकट नहीं मिली।
राजनीतिक परिवार से ताल्कुक रखने वाली करिश्मा ठाकुर के पिता राजेश सिंह 90 के दशक में क्राइस्चर्च कॉलेज छात्रसंघ के प्रेसीडेंट रह चुके हैं। राजेश सिंह बसपा के टिकट पर कन्नौज लोकसभा सीट से सपा सुप्रीमों के खिलाफ लोकसभा का चुनाव भी लड़े थे। करिश्मा ठाकुर उनकी बेटी हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी में सक्रिय राजनीति करने के बाद वह छात्रसंघ का चुनाव लड़ीं और जीती भीं। छात्रसंघ चुनाव जीतने के बाद वह NSUI की पदाधिकारी बनीं। उसके बाद वह कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी के संपर्क में आ गईं।
करिश्मा ठाकुर की बेबाकी और निडरता को देख प्रियंका गांधी के निर्देश पर 2019 के उपचुनाव में उन्हें कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया। जीत हालांकि बीजेपी प्रत्याशी सुरेंद्र मैथानी को मिली लेकिन जनता का दिल करिश्मा ने जीता। राजनीतिक पंडितों का तर्क है कि उपचुनाव में करिश्मा के खिलाफ सिर्फ सुरेंद्र मैथानी नहीं लड़ रहे थे बल्कि योगी सरकार के करीब 25 मंत्री, संगठन के तमाम पदाधिकारी, सांसद और विधायक भी चुनाव लड़ रहे थे। इसके बाद भी युवा नेत्री ने जमकर संघर्ष किया। अब सीधा चुनाव सुरेंद्र मैथानी और करिश्मा ठाकुर के बीच होगा।
हर वार्ड में खड़ी की है युवाओं की टीम
2019 का उपचुनाव हारने के बाद करिश्मा ठाकुर घर पर नहीं बैठीं। चुनाव के बाद वह लगातार क्षेत्र की जनता के बीच रहीं। तमाम समस्याओं को वह मीडिया के माध्यम से उठाती रहीं। लोगों ने उनके बाहरी होने का आरोप लगाया तो करिश्मा ने रतनलाल नगर में घर खरीद लिया और वहीं पर रहने लगीं। इस बीच उन्होंने विधान सभा के करीब-करीब हर वार्ड में युवाओं की टीम बड़ी टीम खड़ी कर दी। राजनीतिक के जानकारों की मानें तो इस बार करिश्मा बीजेपी के गढ़ कहे जाने वाले वार्डों और मोहल्ले में "बड़ा करिश्मा" कर सकती हैं। महिला होने का भी उनको सीधे एडवांटेड मिलेगा ही।
गोविंदनगर में जारी था करिश्मा ठाकुर का जनसंपर्क
हाईकमान ने करिश्मा की टिकट भले ही देरी से फाइनल की हो लेकिन "ग्रीन सिग्नल" काफी पहले ही मिल चुका था। वह बराबर हाईकमान के संपर्क में थीं। यही वजह रही कि वह अपने कार्यकर्ताओं के साथ लगातार जनसंपर्क अभियान में जुटी रहीं। हालांकि उनकी टिकट काटने के भी लगातार प्रयास किए गए। जातिगत समीकरण के आधार पर उनको दूसरी जगह शिफ्ट करने का भी दांव आखिर में चला गया लेकिन विरोधी सफल नहीं हो सके।
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