- Uttar Pradesh में गुटबाजी की आशंका से भयभीत है BJP
- प्रदेश की 403 सीटों पर 806 प्रवासी पदाधिकारियों की तैनात
- गुजरात, मध्य प्रदेश, झारखंड के संगठन पदाधिकारियों का कैम्प Start
- हर सीट पर जिताऊ प्रत्याशियों का फीडबैक ले रहा BJP हाईकमान
रत्नाकर पांडेय (काशी), संगठन मंत्री गुजरात (भाजपा) |
Yogesh Tripathi
Uttar Pradesh Election 2022 का “शंखनाद” हो चुका है। सभी राजनीतिक दलों में टिकट के दावेदार Lucknow से लेकर Delhi तक अपने आकाओं के चौखट की "परिक्रमा" कर रहे हैं। सबसे अधिक घमासान केंद्र और प्रदेश की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) में देखने को मिल रहा है। UP (BJP) में अंदरखाने की गुटबाजी भी किसी से छिपी नहीं हैं। गुटबाजी की वजह से “दरारें” काफी “मोटी” हो गई हैं। इन “दरारों” को भरने के लिए हाईकमान ने हर विधान सभा में संगठन के प्रवासी पदाधिकारियों की तैनाती कर दी है। सभी से जिताऊ प्रत्याशियों के बाबत फीडबैक लिया जा रहा है। बड़े सूत्रों की मानें तो Uttar Pradesh की 403 विधान सभा सीटों पर 806 प्रवासी पदाधिकारियों की भारी-भरकम “फौज” को उतारा गया है।
चर्चा है कि गुजरात के
संगठन मंत्री रत्नाकर पांडेय (काशी) को शीर्ष नेतृत्व ने गुटबाजी से आई “दरारों” को भरने का जिम्मा
सौंपा है। आशंका है कि टिकट बंटवारे को लेकर गुटबाजी कभी भी बाहर आ सकती है। शायद
यही वजह है कि डैमेज को कंट्रोल करने के लिए संगठन ने पहले से ही कवायद Start
कर दी है। संगठन का
फोकस पूर्वांचल के गोरखपुर, काशी और अवध क्षेत्रों पर अधिक है। सूत्रों की मानें तो करीब पांच दर्जन से अधिक वर्तमान विधायकों का टिकट कटना "पक्का" माना जा रहा है। दो दर्जन के करीब MLA को हाईकमान किसी दूसरी सीट पर भी शिफ्ट कर सकता है।
Uttar Pradesh के मूल निवासी हैं रत्नाकर पांडेय
चुनावी शंखनाद से पहले ही BJP संगठन के सैकड़ों प्रवासी पदाधिकारियों ने Uttar Pradesh में अपना कैम्प Start कर दिया। पिछले 7 दिनों में कई Meeting हो चुकी हैं। एक बैठक में रत्नाकर पांडेय के साथ यूपी के संगठन मंत्री समेत कई दिग्गज रहे। सभी ने विधान सभा चुनाव के अभियान को बढ़ाने के साथ-साथ संपर्क अभियानों को व्यापक स्तर पर तेज करने की ताकीद बैठक में Worker’s को दी है।
बड़े सूत्रों की मानें तो
रत्नाकर पांडेय को Uttar Pradesh के चुनावी अभियान में उतारने के पीछे कई वजहें हैं। पहला यह
कि पूर्वांचल के एक जनपद के रत्नाकर मूल निवासी हैं। दूसरा यह कि वह लंबे समय तक
काशी प्रांत के संगठन मंत्री रहने के साथ-साथ कई अहमद पदों पर रह चुके हैं। संगठन को हर संकट के समय काशी ने उबारा है। यही वजह है कि उन पर अधिक विश्वास शीर्ष नेतृत्व को रहता है।
संगठन में निचले स्तर के कार्यकर्ताओं तक उनकी गहरी पकड़ है। वह यूपी में कई चुनावों का सफलतापूर्वक संगठन के लिए निर्वाहन कर चुके हैं। वहीं रत्नाकर के साथ “चुनावी संग्राम” में उतारे गए झारखंड प्रांत के संगठन महामंत्री धर्मपाल लंबे समय तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रभारी रह चुके हैं। धर्मपाल की भी बूथस्तर तक कार्यकर्ताओं के बीच तगड़ी पकड़ है। मध्य प्रदेश के संगठन महामंत्री हितानंद को अवध क्षेत्र की कमान सौंपी गई है।
BJP शासित राज्यों के MP-MLA का UP में “डेरा”
Uttar Pradesh का “चुनावी किला” फतेह करने के लिए बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने काफी पहले ही कमर कस ली थी। शायद यही वजह रही कि “चुनावी शंखनाद” से काफी पहले ही गुजरात, मध्य प्रदेश समेत करीब-करीब सभी भाजपा शासित प्रदेशों के तमाम विधायकों-सांसदों और महापौर ने उत्तर प्रदेश में अपना “ड़ेरा” जमा लिया है। संगठन स्तर पर सभी को जिम्मेदारियां भी सौंपी जा चुकी हैं। कोई जनसंपर्क अभियान को तेजी से गति देने में जुटा है तो कोई बूथ स्तर पर वोटर्स को कैसे निकालना है इसकी रणनीति बना रहा है।
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