- 40 वर्ष पुराना है D-2 गैंग का अपराधिक इतिहास
- 30 साल बाद मारा गया था गैंग का पहला सरगना तौफीक उर्फ बिल्लू
- 90 के दशक में ही गिरोह के तार अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम से जुड़े
- D-2 गिरोह ने Pakistan निर्मित स्टार मार्का पिस्टलों की तस्करी भी की
- अफजाल की गिरफ्तारी से D-2 गिरोह का “जिन्न” फिर से “बोतल” से बाहर आया
D-2 गिरोह का सरगना अतीक अहमद (Photo----साभार---पुलिस विभाग) |
Yogesh Tripathi
Kanpur के जरायम इतिहास में नई सड़क का जिक्र सबसे पहले आता है। यहां 70 के दशक में पहलवानी को लेकर बाबू पहलवान और दुन्नू पहलवान के बीच वर्चस्व की “जंग” Start हुई थी। इसके बाद तो बाबू पहलवान के फहीम, अतीक पहलवान और शम्मू कुरैशी के बीच हुए खूंरेंजी में करीब 80 से अधिक हत्याएं हुईं।
दरअसल अनवरगंज थाना एरिया के कुलीबाजार में फतेहपुर जनपद के (कोड़ा जहानाबाद) के अच्छे दहाना का गैंग ठेक (पनाह) खाता था। इस गिरोह के सदस्यों से कुलीबाजार के ही “लूलूबक्श” नाम के अपराधी ने अपना लोकल गैंग Active कर लिया। दुश्मनी अधिक हो जाने और पुलिस के “रडार” पर आने के बाद “लूलूबक्श” Lucknow शिफ्ट कर गया और वहां से अपने गिरोह को ऑपरेट करने लगा।
“लूलूबक्श” के एरिया छोड़ते ही 80/46 कुलीबाजार निवासी अतीक अहमद, रफीक, तौफीक उर्फ बिल्लू और अन्य भाई एरिया में छोटे-मोटे अपराध करने लगे। अतीक और उसके भाइयों का एक सौतेला भाई “वशी” था। “वशी” की अपने सौतेले भाइयों से रंजिश थी। इसी “वशी” का बेटा टॉयसन बड़ा होकर अपराधी बना और बाद में पुलिस का मुखबिर भी हो गया। टॉयसन चकेरी के चर्चित पिन्टू सेंगर मर्डर केस में आरोपी है। D-2 गैंग का सबसे बड़ा दुश्मन टॉयसन ही है। गिरोह के सफाए के लिए अतीक और उसके भाई टॉयसन को ही जिम्मेदार मानते हैं।
इस बीच वर्ष (2000) D-2 गैंग के एक नए “दुश्मन” का उदय हो गया। नाम था परवेज निवासी चमनगंज। जानकारों की मानें तो होटल में काम करने वाले परवेज के बहनोई के मकान पर अतीक के एक करीबी रिश्तेदार ने कब्जा कर लिया था। परवेज ने विरोध किया तो D-2 गिरोह ने परवेज की काफी बेइज्जती कर पिटाई की थी। इसका बदला परवेज ने न्यायिक रिमांड पर लाए गए रफीक की हत्या करके ली। इससे पहले परवेज दिनदहाड़े कचहरी परिसर में D-2 सरगना पर बमो से हमला कर सनसनी फैला चुका था।
D-2 गैंग की नादिर और साबिर गिरोह से दुश्मनी भी खूब चली थी। दोनों के बीच कई बार गैंगवार में गोलियां और बम भी चले। बात D-2 गैंग की करें तो अकील और फहीम से जमीनों पर कब्जे, असलहों की अवैध बिक्री, रंगदारी, वसूली और शूटर्स को लेकर लंबे समय तक खूनी रंजिश चली। नब्बे के दशक में D-2 गिरोह की “जड़ें” मुंबई बम धमाकों के आरोपी Most Wanted अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद अहमद के “अपराधिक कुनबे” Connect हो गईं। Sunday को “सुपारी किलर” अफजल की राजस्थान प्रांत के मुरलीपुरा थाना एरिया में STF की तरफ से की गई गिरफ्तारी के बाद से “कनपुरिया अंडरवर्ल्ड” को फिर से चर्चा में ला दिया है।
अफजल उर्फ जावेद (फोटो-साभार-STF) |
Encounter में मारा गया सरगना तौफीक उर्फ बिल्लू
वर्ष 2004 तक D-2 गैंग आतंक का पर्याय बन चुका था। गैंग के सरगना अतीक अहमद समेत तमाम गुर्गों की दहशतगर्दी Kanpur से बाहर आसपास के जनपदों में भी बढ़ गई। वर्ष 2004 किदवई नगर थाने के तत्कालीन SO ऋषिकांत शुक्ला ने Encounter में गिरोह के सरगना तौफीक उर्फ बिल्लू को मार गिराया। तब तक यह गिरोह करीब 30 साल पुराना हो चुका था। बिल्लू के मारे जाने के बाद गिरोह “बैकफुट” पर आ गया। बिल्लू का मारा जाना गिरोह के लिए बड़े सदमें की तरह था। बिल्लू का Encounter करने के बाद ऋषिकांत शुक्ला गिरोह के पीछे पड़ गए। गैंग के कई बदमाश उन्होंने उठाए लेकिन रफीक और अतीक लगातार बचते रहे। यूं कहें कि दोनों काफी समय के लिए “अंडरग्राउंड” रहे।
तौफीक उर्फ़ बिल्लू को Encounter में ढेर करने वाले इंस्पेक्टर (Rishi Kant Shukla) |
मुखबिरी के शक में गैंग ने किए ताबड़तोड़ 5 Murder
सरगना तौफीक उर्फ बिल्लू का Encounter में मारा जाना गिरोह के लिए बड़ा झटका था। बिल्लू के भाई अतीक और रफीक कई लोगों पर मुखबिरी की आशंका करने लगे। इसी चक्कर में गिरोह ने महज कुछ महीनों में ताबड़तोड़ हत्या की पांच बड़ी वारदातें कीं। इसमें सलीम मुसईवाला, नफीस मछेरा और कुलीबाजार की एक चर्चित महिला की हत्या में सभी नामजद भी हुए। कुछ ऐसी भी हत्याएं हुईं जिसमें गिरोह के लोगों के नाम उजागर नहीं हो सके। बिल्लू के मारे जाने के बाद गिरोह की कमान रफीक और अतीक ने संभाल ली।
इसके बाद गिरोह ने शहर के प्रापर्टी डीलरों से उगाही Start कर दी। बेबीज कंपाउंड परिसर तक को इस गैंग ने मोटी रकम के बदले खाली करवा दिया। इस बीच गिरोह के ताल्लुक हैदराबाद के एक बड़े तंबाकू कारोबारी से हो गए। गिरोह के बारे में जानकारी रखने वाले Police Officer’s की मानें तो इस कारोबारी से गिरोह को मोटी रकम की फंडिंग होने लगी। जिसके बाद दोनों भाइयों ने गिरोह को और मजबूत कर उसकी “जड़ें” देश की राजधानी दिल्ली और आर्थिक नगरी मुंबई तक फैला दीं। दाउद गैंग से लिंक होने के बाद बिल्लू का एक भाई दिल्ली में Pakistan निर्मित “स्टार मार्का” पिस्टलों की खेप के साथ पकड़ गया। लंबे समय तक वह तिहाड़ जेल में बंद भी रहा। तब खुफिया इकाइयों ने बड़ी लंबी छानबीन की थी। जिसमें पता चला था कि Pakistan निर्मित पिस्टलों की खेप इसके पहले भी कई बार लाई गई थी। Uttar Pradesh के Kanpur समेत कई जनपदों में इन पिस्टलों को तब बेंचा भी गया था।
हीरपैलेस में STF सिपाही की गिरोह ने हत्या की
करीब 16 साल पहले हीर पैलेस टॉकीज में फिल्म देखने पहुंचे नादिर और साबिर गैंग के लोग फिल्म देखने के लिए पहुंचे। वहां पर D-2 गैंग के समीम दुरंगा, संजय गुप्ता, अमजद उर्फ बच्चा, रफीक, नफीस समेत कई लोग हत्या के लिए पहुंच गए। सटीक मुखिबरी पर UPSTF ने घेराबंदी की तो गिरोह के समीम दुरंगा और तमाम गुर्गों ने सीधी गोलियां दागनी शुरु कर दीं। एक गोली STF के सिपाही धर्मेंद्र को लगी और वह शहीद हो गए। STF ने जवाबी कार्रवाई कर दो बदमाशों को Encounter में ढेर कर दिया।
रफीक ने कोलकाता में ली थी “पनाह”
STF सिपाही धर्मेंद्र की हत्या करने के बाद रफीक और अतीक दोनों ही “अंडरग्राउंड” हो गए। गिरोह के लोग भी भागते फिर रहे थे। STF सिपाही की हत्या के बाद अतीक और रफीक के सिर पर इनामी राशि बढ़ाकर एक लाख रुपए कर दी गई। संजय गुप्ता पर भी 50 हजार रुपए का इनाम घोषित हो गया। सर्विलांस सेल की मदद से कई महीने बाद रफीक की लोकेशन West Bengal के कोलकाता में मिली। Rishi Kant Shukla की अगुवाई में पुलिस की एक टीम कोलकाता पहुंची। दबिश के दौरान वहां पर रफीक से मुठभेड़ हो गई। वहां पर भी गोलियां चलीं लेकिन गनीमत रही कि Police Team का कोई भी जवान हताहत नहीं हुआ। मशक्कत के बाद अंतत: रफीक को Arrest कर कोलकाता की Court में पेश किया गया। इसके बाद बी-वारंट के जरिए पुलिस रफीक को Kanpur लाई।
न्यायिक रिमांड में हो गया रफीक का Murder
पुलिस ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर रफीक को पूछताछ और A.K-47 की बरामदगी के लिए रिमांड ली। कोर्ट ने पुलिस के प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर रफीक की न्यायिक रिमांड दे दी। पुलिस टीम रफीक को लेकर जूही यार्ड जा रही थी कि वहीं पर रफीक की हत्या कर दी गई। पुलिस ने हत्या के पीछे D-2 गैंग के परवेज का हाथ होना बताया था। हालांकि इस मामले में रफीक के परिजनों ने पुलिस पर ही कस्टडी में हत्या का इल्जाम लगाकर सनसनी फैला दी। यह मामला लंबे समय तक मीडिया की सुर्खियों में भी बना रहा। रफीक के मरने के बाद मानों D-2 गिरोह की कमर टूट गई। रफीक की हत्या के बाद पुलिस ने परवेज का गिरोह D-34 पंजीकृत किया। परवेज के सिर पर इनाम की राशि 50 कर दी गई। इसके बाद परवेज STF के "रडार" पर आ गया। 2008 में STF ने परवेज का बिठूर में Encounter कर मार गिराया।
अगले अंक में पढ़िए.....
अतीक के लिए क्यों मारना पड़ा था Ex. ADG L/O ब्रजलाल को छापा
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