- Chitrakoot Police के अभिलेखों में रजिस्टर्ड गैंग का आखिरी सरगना था गौरी
- 22 साल की उम्र में दस्यु सम्राट ददुआ के गिरोह में शामिल हुआ था Gauri Yadav
- STF के लिए मुखबिरी करने वाला गौरी आखिर में खुद ही "शिकार" हो गया
- Delhi Police के दरोगा की हत्या के बाद गौरी गिरोह की बढ़ी थी दहशत
- रंगीना मिजाजी और STF के खिलाफ मोर्चाबंदी बनी Encounter की वजह
- गौरी की मौत के बाद पाठा के जंगलों में नहीं बचा कोई रजिस्टर्ड गिरोह
Yogesh Tripathi
दस्यु सरगना उदयभान सिंह यादव उर्फ गौरी यादव के Encounter में ढेर हो जाने के बाद भगवान श्रीराम की तपोभूमि Chitrakoot दस्यु गिरोह से पूरी तरह मुक्त हो गई। चित्रकूट पुलिस के अभिलेखों में गौरी यादव का गिरोह एक मात्र रजिस्टर्ड गैंग था। दो दशक तक UPSTF के लिए मुखबिरी करने वाला दस्यु “सरदार” गौरी यादव अंत में खुद ही STF की गोलियों का “शिकार” हो गया। गौरी यादव की मां रजनी देवी का कहना है कि “उसके बेटे को अक्सर STF साथ लेकर जाती थी। बकौली रजनी देवी उसने 6 साल से गौरी का मुंह नहीं देखा है। कम से कम पुलिस आज उसकी लाश ही दिखा दे। मैने उसको जन्म दिया था, अंतिम संस्कार भी मैं ही करूंगी।”
Delhi Police के दरोगा की गांव में की थी हत्या
उदयभान सिंह उर्फ गौरी यादव ने करीब 21 साल पहले पाठा के जंगलों में उतरा था। उस समय दस्यु सम्राट ददुआ और ठोकिया गिरोह की तूती बोलती थी। बगैर चौथ दिए तेंदु के पत्तों की तुड़ाई और सरकारी विकास कार्य कोई भी ठेकेदार नहीं करवा पाता था। गौरी पहले ददुआ गिरोह में शामिल हुआ। हालांकि वह ददुआ गिरोह का सक्रिय सदस्य नहीं बन पाया। इस बीच STF Officer’s की नजर गौरी पर पड़ी। चर्चाओं की मानें तो गौरी ने लंबे समय तक STF के लिए मुखबिरी की। करीब-करीब हर बड़े दस्यु गिरोह के Encounter में गौरी की अहम भूमिका रही। वर्ष 2013 में दबिश के लिए पहुंची दिल्ली पुलिस पर हमला कर गौरी ने दरोगा की हत्या कर सर्विस रिवाल्वर लूट ली थी। वर्ष 2016 में गौरी यादव ने गोपालगंज में तीन ग्रामीणों को बिजली के खंभे से बांधकर गोली मार दी थी। इसके बाद UP Police के तत्कालीन DGP जावीद अहमद ने गौरी के सिर पर एक लाख रुपए का इनाम घोषित किया था। 2017 में गौरी ने एक बार फिर दरिंदगी दिखाते हुए कोल्हुआ के जंगलों में तीन ग्रामीणों को पेड़ से बांधकर जिंदा फूंक दिया था।
2005 में गौरी ने खड़ा किया अपना गिरोह
STF की मुखिबरी करते-करते गौरी यादव के हौसले बुलंद होते गए। तमाम छोटी-मोटी वारदातें गौरी और उसके गुर्गों ने क्षेत्र में कर दहशत फैलाना शुरु कर दिया। 13 साल पहले ददुआ और फिर उसके बाद ठोकिया का STF ने Encounter कर दिया। ठोकिया के मारे जाने के कुछ दिन बाद ही गौरी यादव Arrest हो गया था। हालांकि कुछ महीने बाद ही वह जमानत पर फिर जेल से बाहर आ गया। बलखड़िया और उसके बाद बबुली कोल के Encounter में मारे जाने के बाद गौरी यादव ने अपने गिरोह की ताकत और बढ़ा ली। इस बीच गिरोह ने कई वारदातों को अंजाम देकर चित्रकूट पुलिस और STF की सिरदर्दी बढ़ा दी।
चचेरे बहनोई के Encounter में कर रहा था पैरवी
31 मार्च 2021 को STF और चित्रकूट पुलिस ने गौरी यादव के चचेरे बहनोई भालचंद्र यादव को एनकाउंटर में मार गिराया था। बहनोई की मौत से तिलमिलाया गौरी यादव एनकाउंटर करने वाली टीम के खिलाफ पैरवी कर रहा था। सूत्रों की मानें तो वह लगातार वकीलों के संपर्क में भी था। इस बीच उसने यूपी विधान सभा के मद्देनजर मानिकपुर सीट पर भी अपनी निगाह गड़ा दी थी। उसका मुख्य मकदसद प्रत्याशियों से वसूली और किसी एक के पक्ष में फरमान जारी करना था। इसकी भनक लगने पर STF ने गौरी यादव पर नकेल कसनी शुरु कर दी। जिसकी वजह से कई बार मुठभेड़ हुई लेकिन गौरी बच निकला।
"सुंदरी" का शौकीन था दस्यु गौरी यादव
गौरी यादव के Encounter के लिए बेताब STF Team उसकी कमजोर कड़ियों को खोजने में लगी थीं। बताया जा रहा है कि दो विशेष किस्म के ड्रोन की भी मदद ली जा रही थी। गौरी शराब का नशा नहीं करता था लेकिन जो दूसरा सबसे बड़ा नशा था वो STF जानती थी। बताया जा रहा है कि “सुंदरी” के शौकीन गौरी यादव का मोबाइल भी STF ने सर्विलांस पर ले रक्खा था। चर्चा तो ये भी है कि “सुंदरी” का शौक गौरी की जिंदगी पर भारी पड़ गया।
वर्ष 2016 में मां रजनी देवी को बनवाया प्रधान
Encounter में मारा गया गौरी यादव दस्यु सम्राट रहे ददुआ और ठोकिया के पदचिन्हों पर चल रहा था। यही वजह है कि वर्ष 2016 के पंचायत चुनाव में उसने अपनी दबंगई के बल पर मां रजनी देवी को चुनाव में जीत दिलवा दी थी। 2021 में भी उसने चुनाव लड़वाया लेकिन जीत नसीब नहीं हुआ।
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