- महंत की गद्दी को लेकर चल रहा है दो महंतों के बीच विवाद
- बुढ़वा मंगल पर दोनों महंतों के शिष्य आपस में भिड़े, Video Viral
- गाली-गलौज और धक्का-मुक्की से मंदिर में मौजूद भक्तगण सहमें
- सूचना पर मंदिर परिसर में पहुंची पनकी थाने की फोर्स
पनकी मंदिर में एक महामंडलेश्वर और उनके शिष्यों को समझाकर शांत कराती पनकी थाने की फोर्स।
Yogesh Tripathi
Uttar Pradesh के Kanpur और आसपास के जनपदों में लाखों भक्तों की आस्था के केंद्र श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर (पनकी) में महंत की गद्दी को लेकर लंबे समय से दो महामंडलेश्वरों के बीच चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। बुढ़वा मंगल पर मंदिर परिसर के अंदर महंतों के शिष्यों के बीच भिड़ंत हो गई। तू-तू, मैं-मैं और गाली-गलौज के बाद शिष्यों ने बांहें भी चढ़ा लीं। इसके बाद तो महामंडलेश्वर जितेंद्र दास और महामंडलेश्वर श्री कृष्ण दास भी आमने सामने आ गए। दोनों ने एक दूसरे को अपशब्द कहते हुए देख लेने की धमकी दी। घटना से मंदिर परिसर में मौजूद भक्तगण सहम गए। सूचना पर पनकी थाने की फोर्स पहुंची। हाथापाई की नौबत पर पुलिस ने सख्ती दिखाते हुए दोनों पक्षों को शांत कराया। पूरी घटना मंदिर में लगे CCTV में कैद हो गई। सोशल मीडिया पर विवाद का Video अब Viral हो रहा है।
मंगलवार सुबह बुढ़वा मंगल पर श्रीपंचमुखी हनुमान मंदिर में मंगला आरती के बाद भक्त दर्शन कर रहे थे। इस बीच शिष्यों के बीच किसी बात पर आपस में कहासुनी हो गई। बताया जा रहा है कि दोनों महामंडलेश्वर के शिष्य अपने-अपने भक्तों को दर्शन कराने की जद्दोजहद कर रहे थे। जिसकी वजह से मुहाचांही झड़प में तब्दील हो गई। दोनों ही तरफ से दर्जनों शिष्यों ने अपनी बाहें चढ़ा लीं।
शोर-शराबा मचने पर वेद पाठशाला में अध्यनरत स्टूडेंट्स भी बाहर आ गए। मंदिर में कार्यरत शिष्यों के बीच विवाद देखकर बाहर आए महामंडलेश्वर श्री कृष्ण दास और महामंडलेश्वर जितेंद्र दास भी बाहर निकल आए। दोनों के बीच भी जमकर कहासुनी और गाली-गलौज हुई। सूचना पर पनकी थाने की फोर्स पहुंची। पुलिस की मौजूदगी में भी दोनों महंतों के शिष्य एक दूसरे से भिड़े रहे। नौबत हाथापाई तक पहुंच गई तो पुलिस ने बवाल बढ़ता देख सख्ती की। जिसके बाद दोनों ही गुट शांत हो गए।
CCTV की फुटेज को देखने से साफ पता चल रहा है कि शिष्यों के बीच शुरु विवाद कैसे दोनों महंतों तक जा पहुंचा और दोनों ही बाहर निकल आए। एक Viral Video में महामंडलेश्वर जितेंद्र दास महाराज की पुलिस से भी कहासुनी होती दिखाई दे रही है। पनकी पुलिस का कहना है कि सूचना पर फोर्स पहुंची थी। दोनों पक्ष के लोगों को शांत करवा दिया गया है। मंगला आरती के बाद हुए विवाद को शांत करा कर पुलिस फोर्स ने भक्तों को विधिवत दर्शन कराया। दोनों ही महंत एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं। पूरे मामले की छानबीन की जा रही है।
लाखों की कमाई को लेकर छिड़ी है गद्दी के लिए “जंग”
पनकी मंदिर में दो महामंडेलश्वरों के बीच महंत की गद्दी को यूं ही नहीं “जंग” छिड़ी है। बल्कि इसके पीछे हर महीने होने वाली लाखों रुपए की कमाई बताई जा रही है। www.redeyestimes.com (News Portal) के पास जो जानकारियां हैं उसके मुताबिक मंदिर में चढ़ावे की रकम के साथ-साथ मंदिर परिसर और बाहर लगने वाली दुकानें और साइकिल स्टैंड हैं। एक महामंडलेश्वर ने अपने करीबी लोगों को अधिकांश दुकानें और अन्य व्यवस्थाओं पर काबिज करवा रखा है। पोर्टल के विश्वस्त्र सूत्रों की मानें तो सत्ता के गलियारों तक पहुंच रखने वाले एक महामंडलेश्वर को “राजनीतिक छतरी” मिली हुई है। यह महामंडलेश्वर साम-दाम-दंड-भेद के जरिए महंत की गद्दी हासिल करना चाहते हैं लेकिन सामने वाले महामंडलेश्वर से भी कड़ी चुनौती मिल रही है।
www.redeyestimes.com (News Portal) ने मंदिर के बारे में जानकारी रखने वाले कुछ लोगों से बातचीत की तो सभी ने अपनी पहचान को गोपनीय रखते हुए बताया कि सत्ता की “राजनीतिक छतरी” पा चुके एक महामंडलेश्वर का अपराधिक इतिहास काफी पुराना है। सत्ताधारी दल के कई दिग्गज इस समय महामंडलेश्वर के “लाइन” पर रहते हैं। बताया जा रहा है कि मंदिर की गद्दी के साथ-साथ महामंडलेश्वर गेरुआ वस्त्र पहनकर विधान सभा के अंदर जाने के लिए लालायित हैं। लेकिन राह में रोड़ा दूसरे महामंडलेश्वर बने हुए हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले सवा साल के अंदर पनकी मंदिर में मारपीट, चोरी, गाली-गलौज और हंगामें की करीब दर्जन भर घटनाएं हो चुकी हैं लेकिन पुलिस प्रशासन भी दोनों महामंडलेश्वरों और उनके शिष्यों पर अपनी तरफ से कोई ठोस कार्रवाई करने के बजाय “खामोश” है।
पनकी और परमट मंदिर पर इंटेलीजेंस फेल
Kanpur के लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र बन चुके बाबा आनंदेश्वर (परमट) और पनकी मंदिर में गद्दी के लिए “महाभारत” चल रही है। परमट में तो चोरी का इल्जाम लगाकर जूना अखाड़े के राष्ट्रीय महामंत्री ने मंदिर के एक महंत को जेल तक भेजवा दिया। तीन पुजारी और कर्मचारी अभी जेल जाने के लिए लाइन में खड़े हैं। सभी करीब दो दशक से परमट मंदिर में रहकर सेवा कर रहे थे लेकिन मंदिर पर पूरी तरह से काबिज होने के लिए जूना अखाड़े के राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने सत्ता की हनक का इस्तेमाल किया।
नतीजा यह रहा कि लचने-फिरने में लाचार महंत श्यामगिरी को किनारे लगाकर उनके शिष्यों को जेल भेज दिया गया। यही हाल पनकी मंदिर का भी है। यहां पर भी गद्दी के लिए रस्साकशी चल रही है। इन सब के बीच इंटेलीजेंस इकाइयां पूरी तरह से फेल साबित हो रही हैं। किसी भी एजेंसी ने दोनों मंदिरों की कोई विस्तृत रिपोर्ट बनाकर शासन और प्रशासन को अब तक नहीं भेजी है।
परमट स्थित आनंदेश्वर मंदिर परिसर में अपराधिक इतिहास का तो काफी बड़ा लंबा-चौड़ा चिट्ठा है। दोनों ही मंदिरों के बाबत खासी जानकारी रखने वाले लोगों की मानें तो यदि प्रशासन ने समय रहते कड़े कदम नहीं उठाए तो किसी भी समय बड़ी घटना घटित हो सकती है।
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