- सपा सुप्रीमों के चौखट की दो बार कर चुके हैं “परिक्रमा”
- टिकट मिली तो बेहद दिलचस्प होगा बिठूर विधान सभा का चुनाव
- बिठूर और रनिया विधान सभा में है पूर्व सांसद की तगड़ी पकड़
- सपा और बसपा में राजनीतिक पारी खेल चुके हैं Ex.MP
Yogesh Tripathi
Uttar Pradesh Election (2022) का “शंखनाद” में अभी कुछ महीने का समय बाकी है लेकिन विधायक बनने ख्वाब संजोए तमाम कद्दावर नेता अपने “सियासी शतरंज” की चाल अभी से चलने लगे हैं। ये सभी दावेदार BJP, SP, BSP & Congress की चौखट पर दस्तक दे रहे हैं। Kanpur के एक पूर्व सांसद अब सपा की साइकिल चलाने की तैयारी कर रहे हैं। खबरों और चर्चाओं की मानें तो पूर्व सांसद सपा सुप्रीमों की “परिक्रमा” सिस्टम के जरिए Delhi तक कर आए हैं।
Kanpur Dehat में सक्रिय राजनीति करने वाले पूर्व सांसद वैसे तो रहते Kanpur में हैं लेकिन कानपुर ग्रामीण और देहात के मतदाताओं में उनकी तगड़ी पकड़ है। समाजवादी पार्टी से उन्होंने सक्रिय राजनीति की शुरुआत की थी। लंबे समय तक जब सपा में उन्हें महत्व नहीं मिला तो वह BSP में चले गए। BSP के टिकट पर वह लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद में पहुंचे।
फिलहाल पूर्व सांसद मोदी लहर के बाद से BJP में हैं। जानकारों की मानें तो पूर्व सांसद का लंबे समय से भाजपा में दम घुट रहा है। जिसकी वजह से वह खासे परेशान हैं। विधान सभा चुनाव से पहले सभी दलों की तरफ से “ब्राम्हण कार्ड” खेले जाने की वजह से पूर्व सांसद अचानक सक्रिय हो गए। उन्होंने पुराने संबंधों के जरिए सपा की चौखट पर दस्तक देने में तनिक भी देर नहीं लगाई। राजनीतिक गलियारों में चर्चा हो रही है कि सपा सुप्रीमों की “परिक्रमा” तक कर आए हैं। लेकिन ज्वाइनिंग से पहले उन्होंने बिठूर विधान सभा से टिकट दिए जाने की मांग की है।
दिलचस्प हो जाएगा बिठूर विधान सभा का चुनाव
राजनीति के जानकारों की मानें तो यदि सपा ने पूर्व सांसद को पार्टी में शामिल कर बिठूर से प्रत्याशी बनाया तो चुनाव बेहद दिलचस्प हो जाएगा। अभिजीत सिंह सांग इस सीट पर बीजेपी के विधायक हैं। BSP ने रमेश यादव को टिकट देकर प्रत्याशी बनाया है। ऐसे में यदि ब्राम्हण वर्ग के पूर्व सांसद को टिकट मिली तो चुनाव न सिर्फ दिलचस्प होगा बल्कि काफी कांटेदार हो जाएगा।
सता रहा है कि ED-IT का डर, अधिसूचना के बाद ज्वाइनिंग
विधान सभा चुनाव से पहले भगदड़ करीब-करीब सभी राजनीतिक दलों में मचनी तय है। लेकिन भाजपा से जो लोग सपा या फिर बसपा में जाना चाहते हैं, वह काफी डर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो सभी को ED, IT समेत कई जांच एजेंसियों का खौफ सता रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही “पाला” बदलने की मुहिम Start हो जाएगी।
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