- आंसू और सिसकियां बरकरार, इंसाफ का है इंतजार
- न पीड़ित और न ही आरोपितों के परिजन संतुष्ट
- Bikru Case में 44 आरोपित सलाखों के पीछे कैद
- गैंगस्टर विकास दुबे समेत 6 आरोपी Encounter में ढेर
- सिर्फ तीन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) की कार्रवाई
खजांची जय बाजपेयी और विकास दुबे (फोटो साभार-गूगल) |
Yogesh Tripathi
Uttar Pradesh के Kanpur स्थित Bikru Case की आज बरसी है। प्रदेश और देश को हिलाकर रख देने वाले चर्चित Bikru Case में आंसू और सिसकियां अब भी बरकरार हैं। शहीदों के परिजनों को इंसाफ का इंतजार है। CO देवेंद्र मिश्रा समेत 8 पुलिस कर्मियों की हत्या के बाद गैंगस्टर Vikas Dubey समेत उसके 6 गुर्गे Encounter में ढेर हुए। 44 आरोपितों को बाद में पुलिस ने अलग-अलग जगहों से Arrest कर जेल की सलाखों के पीछे कैद किया। इसमें गैंगस्टर का खजांची जयकांत बाजपेयी भी शामिल है। जयकांत बाजपेयी और उसके भाइयों के खिलाफ पुलिस ने 24 घंटे पहले ही गैंगस्टर एक्ट के मामले में चार्जशीट Court में दाखिल कर दी लेकिन NSA की कार्रवाई अब तक नहीं की गई। जबकि तमाम से दूसरे मामलों में बंद आरोपितों के खिलाफ NSA की कार्रवाई हो चुकी है। खास बात ये रही कि Bikru Case के बाद तमाम सत्ताधारी दल के नेताओं और बड़े नौकरशाहों का अपराधियों से गठजोड़ का खुलासा भी हुआ। वो एक अलग बात है कि ठोस कार्रवाई किसी पर अब तक नहीं हो सकी है।
Encounter में मारे जा चुके गैंगस्टर विकास दुबे के साथ जय कांत बाजपेयी (लाल घेरे में) (फोटो-गूगल) |
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जुलाई की रात गोलियों की तड़तड़ाहट से थर्राया था Bikru
Kanpur के शिवली थाना एरिया के अंतर्गत आने वाले Bikru गांव में गैंगस्टर Vikas Dubey को Arrest करने के लिए तीन थानों की फोर्स पहुंची थी। टीम का नेतृत्व क्षेत्राधिकारी बिल्हौर देवेंद्र मिश्रा कर रहे थे। पुलिस टीम के गांव में पहुंचते ही थर्टी स्प्रिंग फील्ड राइफल जैसे स्वचालित हथियारों से लैस Vikas Dubey और उसके गुर्गों ने चारो तरफ से घेकरर अंधाधुंध फायरिंग शुरु कर दी। हमलावर मकान के ऊपर से फायरिंग कर रहे थे। जिसकी वजह से पुलिस को संभलने तक का मौका नहीं मिला। हमले में सीओ देवेंद्र मिश्रा समेत 8 पुलिस कर्मियों की मौत हो गई। करीब आधा दर्जन पुलिस कर्मी घायल हुए। STF ने 10 दिन के अंदर Vikas Dubey समेत 6 बदमाशों को Encounter में ढेर कर दिया। विकास दुबे के खजांची जय बाजपेयी समेत 44 आरोपितों को अलग-अलग जगहों से Arrest कर पुलिस ने जेल भेजा।
30 साल बाद Bikru गांव में लोकतंत्र की बहाली
Bikru गांव में लोकतंत्र करीब तीन दशक तक बंधक बना रहा। विकास दुबे और उसके गुर्गे के खिलाफ ग्रामीण कभी मुंह नहीं खोल पाए। प्रधानी से लेकर जिला पंचायत के चुनाव में विकास दुबे का ही सिक्का चलता था। इस बार पंचायत चुनाव में लोकतंत्र की बहाली हो गई। ग्रामीणों ने पहली बार अपने मन के नेता को वोट देकर चुना है। 8 पुलिस कर्मियों की हत्या के बाद Bikru गांव में करीब 6 महीने तक PAC का पहरा रहा लेकिन अब वह भी हट चुका है।
जय बाजपेयी पर खूब बरसी “मेहरबानी”
सत्ता के गलियारों और प्रशासनिक अमले में तगड़ी पैंठ रखने वाले गैंगस्टर विकास दुबे के खजांची जय बाजपेयी पर अफसरों ने खूब “कृपा” बरसाई। Bikru Case के कुछ घंटे बाद जब Kanpur के काकादेव थाना एरिया में दो लावारिस कार पुलिस ने बरामद की तो Bikru Case के तार सीधे जय बाजपेयी तक जा पहुंचे। STF ने जय बाजपेयी को टांग लिया। दर्जनों टीमें विकास दुबे की तलाश कर रही थीं तो दूसरी तरफ एक टीम Lucknow में जय बाजपेयी से पूछताछ में जुटी थी लेकिन जय ने कोई राज नहीं उगले। उस पर “कृपा” बरस रही थी लेकिन जैसे ही STF के DIG बदले गए जय बाजपेयी की घिग्घी बंध गई। अगले कुछ घंटों के दौरान उसने तमाम राज STF के सामने उगल दिए लेकिन फिर भी उसे शासन स्तर से बचाने की कवायद जारी रही। हालांकि सोशल मीडिया के बढ़ते दबाव की वजह से जय बाजपेयी को Arrest कर जेल भेजा गया। बाद में जय बाजपेयी और उसके भाइयों के खिलाफ Kanpur की नजीराबाद पुलिस ने गैगस्टर एक्ट की कार्रवाई की। फरार भाइयों पर इनाम तक घोषित किया गया। सभी सरेंडर कर जेल गए।
सौरभ भदौरिया (Advocate & RTI Activist) |
ED, IT से लेकर IB तक ने की जांच
RTI Activist और अधिवक्ता सौरभ भदौरिया की तमाम शिकायतों के बाद ED & IB भी जय बाजपेयी को लेकर सक्रिय हो गई। बकौल सौरभ भदौरिया उन्होंने शपथ पत्र देकर जय बाजपेयी, उसके भाइयों और पत्नी की शिकायतें की थीं। पूर्व एसएसपी अनंत देव समेत कई पुलिस वालों के जय बाजपेयी से साठगांठ का आरो लगाकर शिकायत की। तमाम बेनामी चल और अचल संपत्तियों के कागजात भी मुहैया कराए लेकिन अभी तक तमाम संपत्तियों को जब्त नहीं किया गया। सौरभ भदौरिया का आरोप है कि SIT की जांच रिपोर्ट में दोषी करार दिए गए पूर्व एसएसपी अनंत देव पर अब तक शासन स्तर पर ठोस कार्रवाई नहीं की गई, आखिर क्यों ? सौरभ भदौरिया का आरोप है कि जय बाजपेयी के तमाम कारोबार अब भी संचालित हो रहे हैं।
सौरभ भदौरिया का आरोप है कि ASP केसी गोस्वामी की जांच रिपोर्ट में दोषी पाए गए 17 पुलिस कर्मियों के खिलाप अभी तक कार्रवाई नहीं की गई है। तमाम पुलिस कर्मी अब भी मलाईदार जगहों पर चार्ज पर हैं। अधिकांश थानेदार वही पुराने हैं जिनको SIT संदिग्ध बता चुकी है। सौरभ का कहना है कि Bikru Case में सीओ देवेंद्र मिश्रा समेत 8 पुलिस कर्मियों की शहादत के बाद भी अपराधियों और पुलिस का गठजोड़ अफसर अभी पूरी तरह से खत्म नहीं कर पाए हैं। अनंतदेव का सस्पेंशन तो कर दिया गया लेकिन जांच रिपोर्ट के बाद कार्रवाई क्यों नहीं की गई ? आरोप है कि जेल की सलाखों के पीछे कैद जय बाजपेयी पर अब भी “कृपा” बरस रही है। उसके खिलाफ दर्ज मुकदमों में चालान के समय धाराओं में “खेल” किया गया। सौरभ ने अपनी जान को खतरा बताते हुए कहाकि उन्हें शासन और प्रशासन स्तर से अभी तक समुचित सुरक्षा नहीं मिली है। सौरभ का कहना है कि दर्जनों बार वह सुरक्षा के लिए गुहार लगा चुके हैं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। मेरी जान को लगातार खतरा बना हुआ है।
SIT को तमाम दस्तावेज मुहैया कराने के बाद गवाही देने वाले सौरभ भदौरिया का कहना है कि Uttar P{radish में तमाम बड़े माफियाओं की संपत्तियों को ढहाने के बाद बेनामी संपत्तियों को जब्त किया गया। लेकिन 8 पुलिस कर्मियों की हत्या करने वाले विकास दुबे और उसके खजांची की संपत्तियों को प्रशासन अब तक छू नहीं पाया है।
682 करोड़ की संपत्तियों के दस्तावेज सौंपे
सौरभ भदौरिया का कहना है कि विकास दुबे और उससे जुड़े अपराधी, नेताओं, पुलिस-प्रशासन के अफसरों से लेकर विकास के खजांची जय वाजपेयी की 682 संपत्तियों की सूची मय दस्तावेजों के SIT, ED,IT को सौंप दी है लेकिन एक साल बाद भी अभी तक जांच ही चल रही है। अब सबूत देने वाले लोग अपराधियों से लेकर अधिकारियों के निशाने पर हैं। SIT की जांच में शामिल अधिकारी साफ कहते हैं कि हमने अपनी जांच करके सरकार को सौंप दी है। जब सरकार को दोषी अधिकारी ही पसंद हैं तो हम क्या कर सकते हैं ? सरकार ने अभी ईडी-आयकर को जांच के लिए क्यों नहीं लिखा ?
कानपुर के पूर्व एसएसपी के साथ विकास दुबे का खजांची जय बाजपेयी (फोटो साभार-गूगल) |
तत्कालीन DIG का करीबी था जय बाजपेयी
Bikru Case के बाद जब STF ने छानबीन शुरु की तो तमाम चौंकाने वाली जानकारियां सामने आईं। पूछताछ के दौरान जयकांत बाजपेयी ने खुद तमाम जानकारियां साझा कीं। जयकांत बाजपेयी की अफसरों और विकास दुबे के साथ वाली तमाम फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुईं। छानबीन में पता चला कि जय बाजपेयी पूर्व डीआइजी अनंत देव का बेहद करीबी था। जय बाजपेयी के मकान में दर्जन भर से अधिक पुलिस कर्मी बतौर किराएदार रहते थे। इसमें कई पुलिस कर्मियों के खिलाफ जांच में सबूत मिले और उन पर कार्रवाई भी हुई।
44 Arrest, 6 Encounter में ढेर, तीन पर NSA
Bikru Case में अब तक 44 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। इसमें महिलाएं भी शामिल हैं। पुलिस ने शिवम दुबे उर्फ दलाल, बब्लू मुस्लमान और रमेशचन्द्र के खिलाफ NSA की कार्रवाई की है। मामला माती की गैंगस्टर कोर्ट में विचाराधीन है। जहां पर ज्यादातर आरोपितों की जमानत अर्जी दाखिल होने के बाद कोर्ट ने उसे खारिज भी कर दिया है। नाबालिग के जमानत की सुनवाई हाईकोर्ट में चल रही है।
पुलिस ने 3 जून की सुबह प्रेम प्रकाश पाण्डेय और अतुल दुबे को एनकाउंटर में ढेर कर दिया था। 8 जुलाई को हमीरपुर में अमर दुबे, 9 जुलाई को पनकी में प्रभात मिश्रा, इटावा में प्रवीन दुबे उर्फ बउआ और 10 जुलाई को सचेंडी में विकास दुबे को एनकाउंटर में मार गिराया।
उसके बाद विष्णुपाल उर्फ जिलेदार, राम सिंह, गोपाल सैनी, हीरू दुबे, उमाकांत उर्फ गुड्डन, शिवम दलाल, शिवम बीडीसी, रामू बाजपेई, श्यामू बाजपेई, छोटू शुक्ला, राहुल पाल, जहान सिंह, दयाशंकर अग्निहोत्री, शशिकांत उर्फ सोनू, शिव तिवारी, बाल गोविंद, क्षमा, रेखा, शांति, संजय दुबे उर्फ संजू, सुरेश वर्मा, विनय तिवारी, केके शर्मा, गुड्डन त्रिवेदी, जय बाजपेई, प्रभात शुक्ला, वीरू दुबे, धीरू दुबे, रमेश चन्द्र , गोविंद सैनी, नन्हू यादव, बब्लू मुस्लमान, राजेन्द्र कुमार, सोनू उर्फ सुशील तिवारी और अखिलेश दीक्षित को जेल भेजा।
हीरू दुबे बना गैंग का नया लीडर
आरोपितों की गिरफ्तारी के बाद
पुलिस ने इन सभी को लेकर नया गैंगचार्ट तैयार किया। इस गैंग को नंबर D-179
दिया गया। इस नए गैंग का लीडर
हीरू दुबे को बनाया गया। इससे पहले विकास दुबे के हाथ में गैंग की कमान थी। गैंग में करीब दर्जन भर सदस्य हैं।
नाबालिग खुशी दुबे की रिहाई के लिए संघर्ष
Bikru Case के बाद STF ने विकास दुबे के दाहिने हाथ अमर दुबे को हमीरपुर जनपद में Encounter कर ढेर कर दिया। अमर दुबे की पांच दिन पहले ही शादी हुई थी। पुलिस ने अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे को Arrest कर जेल भेज दिया। चूंकि खुशी नाबालिग थी, इस लिए उसे बाराबंकी के बाल सुधार गृह में भेजा गया। खुशी की तबियत कई बार बिगड़ चुकी है। खुशी की रिहाई को लेकर कई संगठन लगातार धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। सभी का कहना है कि पांच दिन पहले जो लड़की ब्याह कर आई थी वो भला इतना बड़ा कांड कैसे कर सकती है ? मैं ब्राम्हण हूं संगठन के दुर्गेश मणि त्रिपाठी ने खुशी की रिहाई के लिए सबसे पहले बिगुल बजाया था। उनका यह संघर्ष अब धीरे-धीरे बड़े आंदोलन की तरफ तब्दील हो रहा है। तमाम और संगठन के लोग भी उनसे जुड़ रहे हैं।
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