- दो बार पार्षद बनने के बाद 2017 में संभाली नगर पालिका अध्यक्ष की कमान
- Orai के खानपान के स्वादों को अपने यहां ले जाने की दिलचस्पी
उर्मिला गुप्ता (नगर पालिका अध्यक्ष), शहडोल मध्य प्रदेश |
Rakesh Dwivedi |
शहर के डीवी कालेज में पढ़ीं-लिखी उर्मिला 'गुप्ता कटारे का हुक्म अब Madhya Pradesh के शहडोल शहर में चल रहा रहा है। अपने मायके की लच्छेदार रबड़ी का स्वाद तो ससुराल के हलवाइयों तक ले जा चुकी हैं , अब चटपटे समोसों और तीखे गोलगप्पों का भी स्वाद लाने की विधि बताई जा रही है। मायके के जो जायके उनके मन को भाते थे उन्हें वह ससुराल में भी चखते रहना चाहती हैं।
पिछले दिनों में उर्मिला उरई आई थीं। इस दौरान उन्होंने तमाम विषयों पर खुलकर बातें की। बताया कि दो बार शहडोल में पार्षद बनने के बाद 2017 में नगर पालिकाध्य चुना गया। कांग्रेस की सरकार में अविश्वास प्रस्ताव का भी सामना करना पड़ा लेकिन कुर्सी बचा ले जाने में सफल हुई।
बचपन में RSS से जुड़ी रहीं
उर्मिला घर में सबसे छोटी होने के बावजूद सक्रियता में सबसे आगे रहती थीं। उनके पिता चौ. रामसेवक गुप्ता आरएसएस के प्रांत व्यवस्था प्रमुख थे। उनका आवास संघ का मिनी कार्यालय कहलाता था। न जाने कितने स्वयं सेवक और प्रचारक घर में शरण पाते रहे। गुरुदक्षिणा के जितने भी लिफाफे उन दिनों मिनी कार्यालय आते उनको खोलने और राशि संभालकर रखने की जिम्मेदारी उर्मिला पर रहती थी।
पिता-पुत्र इमरजेंसी में गए जेल
यह परिवार संघ के खास परिवारों में एक था। घर का हर शख्स संघ की विचारधारा में रचा बसा था। घर की महिलाओं तक को इसमें इंटरेस्ट रहता था। 1975 में जब इमरजेंसी देश में लगी तो संघ का प्रमुख गढ़ राधेश्याम का घर होने के कारण उनको जेल हुई। साथ ही उनके पुत्र कल्याण चौधरी को भी जेल भेजा गया।
राजनीति में पुरुष अभी भी महिलाओं को पसंद नहीं करता
बात जब राजनीति की चली तो उर्मिला कटारे का गुस्सा बढ़ गया। साफ- साफ कह दिया कि मगिलाओं की भागीदारी महज आरक्षण तक सीमित है। आरक्षण नहीं तो महिला की कोई हिस्सेदारी भी नहीं। दरअसल पुरुष अभी भी नहीं चाहते कि उसके घर की महिला राजनीति करने को घर से बाहर निकले।
UP जैसा जातिवाद अभी MP में नहीं
इस बात पर उन्होंने काफी जोर दिया कि जितनी खराब तरह से राजनीति उप्र में होती है ऐसी राजनीति मप्र में नहीं होती। वहां जातिवाद का भी इतना बोलबाला नहीं। यहां की अपेक्षा वहां राजनीति करना का महिलाओं के लिए थोड़ा आसान है।
सफाई पर विशेष रखती हूं ध्यान
अब उरई की सफाई जैसी भी हो पर मेरा पूरा ध्यान शहर की साफ सफाई पर रहता है। सभी को स्पष्ट शब्दों में निर्देश है कि नगर पालिका के जो दायित्व हैं, वह पूरे होने चाहिए। सफाई के स्तर को जांचने के लिए शहर भर में उनका भ्रमण होता रहता है।
मेहमानों की तरह सिंधिया की आवभगत
ज्योतिरादित्य सिंधिया जब से कांग्रेस को छोड़ कर भाजपा में आये , तब से उनकी आवभगत मेहमानों के सरीखे हो रही है। वह प्रदेश के बड़े क्षत्रप हैं। उन्होंने कमलनाथ की सरकार बना अपना प्रभाव भी दिखा दिया।
मायका तो मायका ही होता है
काफी दिनों बाद उरई आईं उर्मिला मायके के सवाल पर भावुक हो गईं। बोलीं- मायका किसी का कैसा भी हो ? इसकी बात ही अलग है। बचपन का हर लम्हा याद रहता है। फिर उरई के खाने - पीने के स्वाद बड़े निराले हैं। उरई जैसे समोसे देश के किसी भी कोने में नहीं मिलते हैं। गोलगप्पोंऔर रबड़ी के भी क्या कहने ? इन्हीं स्वादों जो तो अपने यहां ले जाने के प्रयास में हूँ।
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