- सरगना और गुर्गों के बारे में कानपुर, औरैया और रायबरेली में जानकारी जुटाई
- Bikru Case के गवाह सौरभ भदौरिया ने की थी CBI से शिकायत
- Bikru Case के कई आरोपितों की भी सीबीआइ ने की गुपचुप छानबीन
- कार्मिक मंत्रालय के निर्देश पर गृह मंत्रालय करवा रहा है मामले की जांच
Yogesh Tripathi
देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की टीम ने पिछले दिनों बेहद गुपचुप ढंग से Bikru Case के कुछ आरोपितों के बारे में तमाम जानकारियां जुटाईं। सीबीआइ की टीम ने करीब एक दशक पहले लालबत्ती बांटने वाले गिरोह के सरगना और उसके कुछ गुर्गों के बाबत भी कानपुर, औरैया और रायबरेली में काफी पड़ताल की। उधर, Bkru Case के गवाह और अधिवक्ता सौरभ भदौरिया ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में शिकायत की थी। जिसके बाद PMO ने मामला “The Ministry Of Home Affairs” को सौंप दिया। “The Ministry Of Home Affairs” ने पूरे प्रकरण पर गृह मंत्रालय से 45 दिनों के अंदर जवाब मांगा। गृहमंत्रालय के निर्देश पर सीबीआइ और तमाम जांच एजेंसियां पूरे प्रकरण पर छानबीन कर रही हैं। यही वजह है कि सीबीआइ की टीम ने पिछले दिनों दो बार आकर तमाम जानकारियां जुटाई हैं।
RTI Activist और अधिवक्ता सौरभ भदौरिया ने यह शिकायत जून महीने के आखिरी सप्ताह में की थी। शिकायती पत्र में सौरभ भदौरिया ने आरोप लगाया था कि कानपुर जिला प्रशासन ने गैंगस्टर विकास दुबे के खजांची रहे जयकांत बाजपेयी पर गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई तो की है लेकिन उसके गिरोह को अब तक रजिस्टर्ड नहीं किया है। 76 दागी पुलिस कर्मियों (जिसमें कई आइपीसीएस और पीपीएस) अफसरों के साथ दरोगा और थानेदार तक शामिल हैं उनके संपत्तियों की जांच अब तक नहीं कराई गई है।
शिकायती पत्र में सौरभ भदौरिया ने कानपुर में SSP के पद पर तैनात रह चुके IPS Officer अनंत देव के कार्यकाल में तमाम भ्रष्टाचारों और एक भाजयुमों नेता की हिस्ट्रीशीट को खत्म किए जाने का उल्लेख करते हुए अब तक कार्रवाई न होने की शिकायत की है।
सौरभ भदौरिया (RTI Activist& Advocate) |
सौरभ भदौरिया का आरोप है कि वर्ष 2016 में गैंगस्टर विकास दुबे अपने खजांची जयकांत बाजपेयी और तमाम गुर्गों के साथ विदेश यात्रा पर गया था। वहां पर भी दोनों ने संपत्तियां बनाई हैं। उसकी जांच अभी तक नहीं हुई है। साथ ही जो लोग विदेश यात्रा पर साथ गए थे। न तो उनसे अभी तक कोई पूछताछ हुई है और न ही कोई कार्रवाई।
जयकांत बाजपेयी के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा पंजीकृत होने के बाद भी लोकल इंटेलीजेंस (LIU) और संबंधित थाने के पुलिस कर्मियों ने पासपोर्ट को जारी किया। साथ ही शस्त्र लाइसेंस का रिन्यूवल भी करते रहे। सौरभ ने वर्ष 2008 से लेकर 2020 तक तैनात रहे बीट दरोगाओं और अफसरों की जांच कराने की मांग की है।
सौरभ ने कानपुर में तैनात रहे पूर्व एसएसपी अनंत देव के कार्यकाल में हुए तमाम भ्रष्टाचारों और एक भाजयुमों नेता की हिस्ट्रीशीट खत्म कराने के मामले में अभी तक कार्रवाई नहीं होने की भी शिकायत की है। सौरभ का कहना है कि हिस्ट्रीशीट इतनी आसानी से खत्म नहीं होती है। हिस्ट्रीशीटर की हिस्ट्रीशीट क्यों और किसके आदेश पर खत्म की गई ? ये बड़ा अपराधिक मामला है। इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
सौरभ भदौरिया ने करीब डेढ़ दशक पहले बर्रा थाना एरिया में पकड़े गए “लालबत्ती” बांटने वाले गिरोह के बाबत भी शिकायत की है। सौरभ का कहना है कि “लालबत्ती” बांटने वाले गैंग का सरगना भी विकास दुबे और उसके खजांची जयकांत बाजपेयी से जुड़ा रहा था। ऐसे में उसकी जांच भी आवश्यक है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2008 में कानपुर की क्राइम ब्रांच टीम ने बर्रा थाना एरिया में एक ऐसा गिरोह पकड़ा था। जो कि 25 से 50 लाख रुपए लेकर लालबत्ती बांटता था। इस गिरोह के ताल्लुक शहर के एक बड़े ड्रग माफिया से भी थे। गिरोह ने उसे भी “लालबत्ती” बांट दी थी। कथित तौर पर लालबत्ती मिलने के बाद ड्रग माफिया ने शहर के तमाम मोहल्लों और गलियों में जब अपना स्वागत करवाया तो मामले का भंडा फूट गया था। क्राइम ब्रांच ने बर्रा में लालबत्ती लगी सैंत्रो कार तो बरामद कर ली थी लेकिन सरगना फरार हो गया था। गिरोह से एक पूर्व छात्र नेता, एक सिपाही समेत कई सफेदपोश लोगों के जुड़े होने की जानकारी तब उजागर हुई थी।
सौरभ का कहना है कि इस शिकायत के बाद सीबीआइ की टीम पिछले दो हफ्तों में दो बार बेहद गोपनीय ढंग से छानबीन करने आ चुकी है। कानपुर के साथ-साथ औरैया और रायबरेली में भी टीम ने तमाम जानकारियां जुटाई हैं।
माफिया तो मर गए लेकिन जो अभी तक ज़िंदा
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