-BJP पर फिर भारी पड़ा मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS)
-RSS प्रमुख मोहन भागवत की “कृपा” से CM बने रहेंगे योगी आदित्यनाथ
-अतिशीघ्र होगा Uttar Pradesh के मंत्रीमंडल का विस्तार
-A.K Sharma & Jitin Prasad होंगे मंत्रीमंडल में शामिल
-डिप्टी सीएम का पद न देकर कैबिनेट मंत्री बनाए जाने के संकेत
-ब्राम्हणों की नाराजगी दूर करने को मंत्रिमंडल और संगठन में मिलेगी तरजीह
Yogesh Tripathi
Uttar Pradesh के मुख्यमंत्री Yogi Adityanath एक बार फिर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) की “कृपा” पाने में पूरी तरह से सफल रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से करीब सवा घंटे की Meeting के बाद यह बात बिल्कुल फाइनल हो गई कि करीब साढ़े चार साल पहले RSS के “आशीर्वाद” मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को UP में जो “सत्ता का सिंहासन” मिला था वह सुरक्षित रहेगा। 2022 का विधान सभा चुनाव भी उनके ही चेहरे पर लड़ा जाएगा। मंत्रिमंडल विस्तार के साथ-साथ संगठन में भी फेरबदल किया जाएगा। BJP के Old Worker’s को निगमों और बोर्डों में खाली पड़े तमाम पदों पर समायोजित किया जाएगा ताकि चुनाव में सीधा एडवांटेज मिले। ब्राम्हण वर्ग की नाराजगी को दूर करने के लिए कई Arvind Sharma & Jitin Prasad को मंत्रिमंडल में जगह दी जाएगी। बड़े सूत्रों की मानें तो दोनों को कैबिनेट मंत्री ही बनाया जाएगा। संघ सूत्रों की मानें तो डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और डॉक्टर दिनेश शर्मा की कुर्सी के सलामत रहने के भी संकेत हैं।
योगी के “हठ योग” से “दिल्ली दरबार” को भी छूटा पसीना
प्रधानमंत्री Narendra Modi के “दूत” बनकर Uttar Pradesh की सियासत में पांव जमाने की कोशिश कर रहे रिटायर्ड IAS Officer अरविंद शर्मा को सिर्फ दो सप्ताह के भीतर विधान परिषद सदस्य (MLC) बना दिया गया। यह भी सर्वविदित है कि सोशल मीडिया में श्रीशर्मा को डिप्टी सीएम बनाने और गृह एवं गोपन जैसा विभाग देने की खबरें Viral हुईं। इसका खंडन दिल्ली हाईकमान ने नहीं किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर कई बार दबाव बढ़ा लेकिन वह टालते रहे।
20 दिन पहले दिल्ली में UPBJP के संगठन मंत्री सुनील बंसल ने RSS के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले के साथ एक अहम बैठ की। इसके बाद सुनील बंसल ने जेपी नड्डा से भी मुलाकात की। फिर प्रधानंत्री के साथ भी मीटिंग की गई। दत्तात्रेय होसबोले इसके बाद बड़े संदेश को लेकर Lucknow पहुंचे लेकिन मुख्यमंत्री पूर्वांचल के दौरे पर रहे और उन्होंने दत्तात्रेय होसबोले से मुलाकात नहीं की।
दत्तात्रेय होसबोले के दिल्ली वापस लौटते ही BJP के राष्ट्रीय संगठन मंत्री B.L Santosh और प्रदेश प्रभारी Radha Mohan Singh लखनऊ में दो दिन के दौरे पर पहुंचे। दोनों ने योगी मंत्रिमंडल के कई मंत्रियों से बातचीत कर फीडबैक लिया। क्षेत्रीय अध्यक्षों से भी बातचीत की। इसके बाद लखनऊ स्थित RSS के कार्यालय भारती भवन में B.L Santosh ने क्षेत्र चालक अनिल जी, कानपुर के प्रांत प्रचारक श्रीराम जी समेत संघ के तीन बड़े नेताओं से करीब पांच घंटे तक लंबी मंत्रणा की।
मुख्यमंत्री की तरफ से तब भी स्पष्ट तौर पर नाराजगी जाहिर की गई। दोनों नेताओं ने दिल्ली पहुंचकर रिपोर्ट RSS और BJP के शीर्ष नेताओं को सौंप दी। इस रिपोर्ट पर RSS ने सभी अनुभागों के दिग्गजों को बुलाकर तीन दिन अलग-अलग बैठक कर लंबी चर्चा की। इस बीच राधा मोहन सिंह फिर लखनऊ आए। उन्होंने गवर्नर और विधान सभा स्पीकर से अलग-अलग मुलाकात की। गवर्नर को उन्होंने एक बंद लिफाफा भी सौंपा। जिस पर तमाम तरह के कयास लगाए जाते रहे। योगी जी के “योग हठ” दिल्ली में बैठे बीजेपी हाईकमान के भी पसीने छूटने लगे कि कहीं दांव गलत न हो जाए। एक बड़ी गल्ती से यूपी चुनाव के साथ-साथ दिल्ली की सियासत पर भी फर्क पड़ेगा। उसकी वजह यूपी में लोकसभा की 80 सीटों का होना है।
मुख्यंत्री ने RSS प्रमुख के पाले में डाल दी थी “गेंद”
“दिल्ली दरबार” की तरफ से अपने तल्ख तेवरों को देख मुख्यमंत्री ने भी तुरंत “फील्डिंग” सजानी शुरु कर दी। संघ सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने RSS प्रमुख मोहन भागवत से तत्काल संपर्क किया। मुख्यमंत्री ने बीते चार साल में जो भी कुछ उनके साथ घटित हुआ, उसे काफी विस्तृत तौर पर बताया। सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री ने कहा कि “बीते चार साल से अधिक समय में उन्होंने केंद्र के हर आदेश का पालन किया है।” “राज्यसभा और विधान परिषद के सदस्यों की सूची तक उनसे पूछे बगैर फाइनल की गई।” “कई मौके ऐसे भी आए जब केंद्र सरकार की तरफ से राज्य के अफसरों को सीधे दिशा-निर्देश जारी कि गए” । “इतना ही नहीं संगठन के नाम पर तमाम सरकारी कार्यों और नियुक्तियों में हमेशा दखल दिया गया। अब जब चुनाव की बेला सिर पर है तो नाकामयाबी और असफलता का सारा ठीकरा उन पर फोड़ा जा रहा है”। मीडिया रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया की मानें तो मुख्यमंत्री ने RSS प्रमुख से बातचीत के बाद स्पष्ट तौर पर कह दिया कि “यदि उनके पास से गृह एवं गोपन जैसा विभाग भी ले लिया जाएगा तो वह किस बात के मुख्यमंत्री ? इससे बेहतर तो आप (संघ प्रमुख) उन्हें निर्देश दे दें तो वह खुद ही अपना इस्तीफा दे देंगे। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यह “सिंहासन” आप के आशीर्वाद से ही साढ़े चार साल पहले मिला था।
UPCM की बातों को RSS प्रमुख ने गंभीरता से लिया
खबर है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरफ से कही गई इन तमाम बातों को RSS प्रमुख ने काफी गंभीरता से लेते हुए BJP के शीर्ष नेतृत्व से कई चक्र लंबी बातचीत की। Delhi में संघ के सभी प्रकल्पों और अनुषांगिक संगठनों के प्रभारी और अन्य शीर्ष पदाधिकारियों की तीन दिवसीय बैठक में एक दिन Uttar Pradesh में बढ़े “सियासी तापमान” पर भी लंबी चर्चा की गई। दत्तात्रेय होसबोले और बीएल संतोष की रिपोर्ट भी मंथन किया गया। खबर है कि उसके बाद RSS में कई बड़े पदाधिकारियों ने सर्वसम्मति से तय किया कि यूपी में 2022 का चुनाव यदि जीतना है तो मुख्यमंत्री की कमान योगी आदित्यनाथ के हाथों में ही रहेगी। खबर तो यह भी है कि इसके बाद RSS प्रमुख ने मुख्यमंत्री से बातचीत कर कहा कि वह भी अरविंद शर्मा को राज्यमंत्री बनाने की जिद का त्याग करें। संघ प्रमुख ने कैबिनेट मंत्री बनाने की बात कही। कुल मिलाकर संघ प्रमुख की कवायद, रणनीति की वजह से अंततः एक बीच का रास्ता निकल गया है। इसमें योगी आदित्यनाथ थोड़ा पीछे हटे लेकिन दिल्ली दरबार को कुछ अधिक ही पीछे हटना पड़ा। क्यों कि वहां तो “सिंहासन” तक हिलाने की तैयारी कर ली गई थी।
UP में 20 दिनों से चल रहा था “शीतयुद्ध”
दिल्ली और लखनऊ “दरबार” के बीच करीब 20 दिनों से “शीतयुद्ध” चल रहा था। दोनों तरफ से कई बार ऐसे संकेत मिले कि Uttar Pradesh की सियासत में जल्द बड़ा भूचाल आ जाएगा। RSS के साथ-साथ BJP का शीर्ष नेतृत्व भी यूपी को लेकर काफी गंभीर हो गया। बैठकों के दौर के साथ लखनऊ में दिग्गजों के दौरे भी शुरु हो गए। मंत्रियों और संगठन के पदाधिकारियों से “सरकार” के बाबत फीडबैक लिया गया। बीजेपी के प्रदेश प्रभारी राधामोहन सिंह जब गवर्नर और विधान सभा स्पीकर से मिले तो “सियासी तापमान” काफी हद तक बढ़ गया। सोशल मीडिया पर तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे। अब दिल्ली में योगी आदित्यनाथ की गुरुवार को गृहमंत्री अमित शाह, शुक्रवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद “शीतयुद्ध”, तमाम चर्चाओं, अटकलों पर विराम लग चुका है।
कैबिनेट मंत्री बनेंगे अरविंद शर्मा, जितिन प्रसाद
RSS सूत्रों और मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो दिल्ली में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ मीटिंग के बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल कर विस्तार किया जाएगा। अरविंद शर्मा और कांग्रेस से आए जितिन प्रसाद को मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री का पद देकर ठीक-ठाक विभाग से नवाजा जा सकता है। वहीं, योगी मंत्रिमंडल के दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा की कुर्सी पूरी तरह से बचे रहने की संभावना है। उनके विभागों में बदलाव नहीं किया जाएगा। ब्राम्हणों की नाराजगी को दूर करने के लिए विशेष तरजीह दी जाएगी। मंत्रिमंडल में दलितों और पिछड़े वर्ग के लोगों को भी विधान सभा चुनाव के मद्देनजर समायोजित किया जाएगा। लंबे समय से उपेक्षित अपना दल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल के पति को भी कैबिनेट में जगह मिल सकती है। हालांकि गृहमंत्री से मुलाकात कर अनुप्रिया पटेल ने यूपी और केंद्र में मंत्रि पद देने और पांच जनपदों में जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने की मांग रखी है।
Post A Comment:
0 comments: