-Yogi कैबिनेट के कई Minister’s से मीटिंग में लिया गया फीडबैक
-प्रदेश प्रभारी राधामोहन सिंह और बी.एल संतोष ने जानकारियां जुटाई
-अगले कुछ दिनों में लग सकते हैं BJP संगठन को “सियासी भूकंप” के झटके
Yogesh Tripathi
हर बड़े तूफान के आने से पहले एक शांति होती है। यह शांति Uttar Pradesh (BJP) में दिख चुकी है। थोड़ी से उथल-पुथल के साथ यह अंजाम की तरफ अग्रसर होती प्रतीत हो रही है। आने वाले कुछ दिनों में BJP, सरकार और भगवा संगठनों के बीच “घमासान” देखने को मिल सकता है। प्रबल संभावना है कि कि चौंकाने वाले फैसले “दिल्ली दरबार” की तरफ से लिए जा सकते हैं। राजनीति के जानकारों की मानें तो “सियासी भूकंप” की “तीव्रता” अधिक रहेगी। इसकी जद में कई नौकरशाह भी आ सकते हैं। कुछ दिनों से सरकार और संगठन के बीच सबकुछ सही नहीं दिख रहा है। हालांकि इसे सही दिखाने की झूठी कवायद नेताओं की तरफ से जारी है। अभी तक किन्हीं कारणों से जो विधायक और संगठन के लोग चुप्पी साधकर बैठे थे अब वह अंदर ही अंदर मुखर होते दिख रहे हैं। कई के बागी तेवर पिछले दिनों दिखाई दिए हैं। जानकार मान रहे हैं कि वर्ष 2022 में Uttar Pradesh Election से पहले एक बड़ी “सियासी सर्जरी” की तैयारी हो चुकी है।
राधा मोहन सिंह (पूर्व केंद्रीय मंत्री और यूपी बीजेपी प्रभारी) |
नौकरशाहों के खिलाफ निगेटिव फीडबैक
Uttar Pradesh (BJP) प्रभारी राधा मोहन सिंह और राष्ट्रीय संगठन मंत्री बी.एल संतोष ने Monday को Meeting कर सरकार की जनता के बीच छवि और कार्यों को लेकर Yogi Adityanath की कैबिनेट के तमाम मंत्रियों से फीड बैक लिया। इन मंत्रियों से एक पर एक ही बातचीत की गई। देर शाम कुछ बड़े नेताओं के संग भी मंत्रणा जारी रही। खबरों और राजनीतिक गलियारों में हो रही चर्चाओं की मानें तो करीब-करीब सभी मंत्रियों ने एक ही बात दुहराई है कि नौकरशाही ने सबकुछ गड़बड़ कर रखा है। किसी भी विधायक या मंत्री की नहीं सुनी जाती है। कार्यकर्ता बेहद निराश और आहत है। सही काम भी नहीं हो पा रहे हैं। इन शिकायतों को BJP के दोनों दिग्गजों ने काफी गंभीरता से लिया। भ्रष्टाचार के मुद्दों पर भी जानकारी जुटाई गई। संगठन कितना प्रभावी है यह भी दोनों नेताओं ने जानने की भरपूर कोशिश की। पंचायत चुनाव में करारी हार की वजह आखिर क्या रही ? ये अहम प्रश्न भी मंत्रियों से पूछे गए।
जल्द लगेंगे “सियासी भूकंप” के झटके
चर्चाओं और खबरों की मानें तो Uttar Pradesh की राजधानी Lucknow में राधामोहन सिंह और बीएल संतोष की तरफ से मीटिंग कर जुटाई गई जानकारियां को दोनों ही नेता अगले 24 घंटे में दिल्ली दरबार के सम्मुख रखेंगे। उसके बाद कोर ग्रुप की बैठक में लंबी मंत्रणा और मंथन के बाद चौंकाने वाले फैसले आ सकते है। साफ है कि “सियासी भूकंप” आएगा। इसकी तीव्रता कितनी होगी ? अनुमान लगाना फिलहाल बेहद मुश्किल है। हां इतना अवश्य है कि संगठन में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। कैबिनेट विस्तार में भी कुछ नए चेहरों को शामिल कराया जा सकता है। यही वजह है कि लखनऊ में “सियासी पारा” काफी गर्म है। सत्ता के इर्द-गिर्द “परिक्रमा” करने वाले नौकरशाह भी परेशान हैं। परेशानी की वजह तमाम मंत्रियों की तरफ से इन नौकरशाहों के खिलाफ निगेटिव फीडबैक दिया जाना बताया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो दिल्ली हाईकमान अपने “दूत” को प्रभावी बनाकर नौकरशाही पर नकेल कसने की तैयारी में हैं। हालांकि "दूत" को डिप्टी सीएम बनाने और गृह एवं गोपन जैसा महत्त्वपूर्ण और ताकतवर मंत्रालय देने पर "सरकार" ने स्पष्ट मना कर दिया है।
केशव प्रसाद मौर्य पर भी एक राय नहीं !
खबर है कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को दिल्ली हाईकमान संगठन में अहम जिम्मेदारी एक बार फिर देने का मूड बना चुका है लेकिन राह में कुछ “रोड़ा” भी हैं। RSS से जुड़े लोगों की मानें तो यही वजह है कि दो और नेताओं को बैकअप के तौर पर रखा गया है। यदि किन्ही वजहों से बात नहीं बनती है तो इन दो नेताओं में किसी एक को संगठन की कमान सौंपी जा सकती है। इसमें एक नेता मंत्री भी हैं। हालांकि पलड़ा केशव प्रसाद मौर्य का ही काफी मजबूत बताया जा रहा है। दिल्ली की पहली पसंद वही है लेकिन समस्या “रोड़ा” बने लोगों को लेकर ही बनी है। खबर यह भी है कि राधा मोहन सिंह और बीएल संतोष सुबह तक संगठन और संघ के कुछ और लोगों से टेलीफोन पर वार्ता कर जानकारी जुटा सकते हैं।
जानकारों की मानें तो संगठन को अधिक प्रभावी बनाने के लिए हाईकमान कई बड़े और कठोर फैसले लेगा। चर्चा है कि कुछ क्षेत्रीय अध्यक्षों को बदला जा सकता है। एक या दो क्षेत्रीय अध्यक्षों को योगी कैबिनेट में जगह मिलने की भी चर्चाएं हो रही हैं। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में संगठन को “संजीवनी” देने के लिए कुछ और भी फैसले लिए जा सकते हैं।
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