-प्रदेश प्रभारी राधामोहन सिंह और महामंत्री बी.एल संतोष आज पहुंचेगे Lucknow
-राधामोहन और बी.एल संतोष की Meeting के बाद BJP संगठन की "सर्जरी" पक्का
-तमाम एजेंसियों केसाथ Delhi के शीर्ष नेतृत्व ने इंटेलीजेंस ब्यूरो (IB) से भी ली रिपोर्ट
-तमाम रिपोर्टों का पुलिंदा लेकर बैठेंगे BJP के दोनों दिग्गज नेता
-सत्ता के गलियारों में तरह-तरह की चर्चाओं से BJP के अंदरखाने में उठ रहा "धुआं"
Yogesh Tripathi
जेठ के महीने में नौतपा के साथ-साथ Uttar Pradesh का सियासी “तापमान” पिछले करीब एक सप्ताह से काफी बढ़ा हुआ है। इस “तापमान” के आज और बढ़ने के संकेत साफ-साफ मिल रहे हैं। वजह दिल्ली के शीर्ष नेतृत्व की बड़ी नाराजगी बताई जा रही है। BJP के प्रदेश प्रभारी राधामोहन सिंह और राष्ट्रीय महामंत्री बी.एल संतोष कुछ घंटे बाद Lucknow में हाई लेवल की Meeting करेंगे। इस मीटिंग के जरिए संगठन की “सर्जरी”, बहुप्रतीक्षित मंत्रीमंडल का विस्तार और प्रधानमंत्री Narendra Modi के “दूत” कहे जा रहे अरविंद शर्मा के कद को प्रभावी बनाने के लिए “सरकार” के साथ बातचीत के जरिए बीच का रास्ता निकालने की हर संभव कोशिश होगी। चर्चा है कि दोनों ही नेता UPCM Yogi Adityanath के साथ लंबी बातचीत करेंगे। मतलब साफ है कि सत्ताधारी BJP के अंदर उठ रहे “धुआं” को खत्म करने का बड़ा प्रयास किया जाएगा। Delhi में हाई लेवल की Meeting के बाद सूबे के बदले “राजनीतिक समीकरण” से भाजपा के अंदर “धुआं” उठ रहा है। लेकिन फिर भी BJP & RSS के दिग्गज “ऑल इज वेल” की बात कह रहे हैं।
Uttar Pradesh की योगी आदित्यनाथ सरकार का कार्यकाल मार्च 2022 में पूरा हो रहा है। 2022 Election के मद्देनजर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS), BJP का पूरा फोकस अब उत्तर प्रदेश पर है। पंचायत चुनाव में करारी हार के बाद Covid-19 महामारी की दूसरी लहर में हुई हजारों मौतों, गंगा के किनारे दफन लाशों और गंगा में उतराते शवों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खासी किरकिरी कराई है। दबी जुबान से ही सही लेकिन भाजपा के तमाम दिग्गज नेता और जमीनी कार्यकर्ता भी मान रहे हैं कि महामारी को लेकर तैयारियों और प्रबंधन में सबकुछ फेल ही नजर आया। कई मंत्रियों और विधायकों ने पत्र लिखकर अपनी नाराजगी भी जता चुके हैं।
यही वजह है कि दिल्ली का शीर्ष नेतृत्व 2022 Election से पहले डैमेज को “कंट्रोल” करने की कवायद में जुट गया है। सप्ताह भर पहले दिल्ली में संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अलग-अलग मीटिंग की। इस मीटिंग से पहले दत्तात्रेय ने प्रदेश के संगठन मंत्री सुनील बंसल से भी बातचीत कर Uttar Pradesh के ताजा हालातों पर फीडबैक लिया। चर्चा है कि फीडबैक बेहद खराब मिला। जिसके बाद से प्रधानमंत्री और गृहमंत्री बराबर सूबे पर नजर बनाए हुए हैं। दोनों ही दिग्गजों को पता है कि केंद्र की सियासत का रास्ता आखिर देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश से ही होकर जाता है। जहां लोकसभा की 80 सीटे हैं।
चुनाव से पहले संगठन को मिलेगी “संजीवनी”
चर्चाओं और खबरों की मानें तो दिल्ली हाईकमान संगठन की हालत देख काफी चिंतित है। यही वजह है कि RSS से भी दूक टूक शब्दों में कह दिया गया है कि Uttar Pradesh को लेकर किसी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा। विधान सभा का चुनाव हर कीमत पर जीतना है लेकिन संगठन बेपटरी हो चुका है। इसका प्रमाण हाल के पंचायत चुनावों में देखने को मिला है। दिल्ली हाईकमान को जो फीडबैक दिया गया है, उसके मुताबिक यदि समय रहते बड़ा परिवर्तन नहीं किया गया तो दलित और पिछड़े वर्ग का वोट BJP से दूर चला जाएगा। ऐसे हालात में Uttar Pradesh का “किला” भेद पाना आसान नहीं होगा। शीर्ष नेतृत्व पंचायत चुनाव में मिली करारी हार को गंभीरता से ले रहा है। चर्चाओं की मानें तो डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को संगठन की बड़ी जिम्मेदारी देकर पिछड़े वर्ग के वोट बैंक को अपने पाले में लाने के लिए हाईकमान मूड बना चुका है। लेकिन राह में बड़ी “बाधा” भी आ रही है। इस “बाधा” को दूर करने के लिए ही प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह, बी.एल संतोष महामंत्री बीजेपी लखनऊ पहुंच रहे हैं। तीन चरणों में मीटिंग होगी। निचले स्तर पर जिन जगहों पर पंचायत में करारी हार मिली है वहां के क्षेत्रीय अध्यक्ष से लेकर तमाम पदाधिकारियों को भी आने वाले दिनों में बदला जा सकता है।
महामहिम के जरिए दिया गया मैसेज
चर्चाओं की मानें तो गवर्नर आनंदी बेन पटेल के जरिए एक बड़ा मैसेज प्रदेश नेतृत्व को दिया जा चुका है। इस मैसेज के बाद भी बात नहीं बनी है। यही वजह है कि एक बार फिर से बीच का रास्ता निकालने की कवायद की जा रही है। राधामोहन सिंह और बीपी संतोष इस रास्ते को निकालने के लिए बड़ी कड़ी बनेंगे। दोनों ही नेता तमाम रिपोर्टों को साथ लेकर बैठेंगे। इसमें विधायकों की नाराजगी से लेकर तमाम भ्रष्टाचार की रिपोर्ट भी शामिल हो सकती हैं।
इंटेलीजेंस ब्यूरो (IB) की रिपोर्ट के बाद “नींद” से जागा हाईकमान
चर्चा है कि दिल्ली हाईकमान ने तमाम एजेंसियों और NGO के जरिए Uttar Pradesh के ताजा हालात पर फीडबैक लिया। करीब-करीब सभी जगहों से यूपी को लेकर निगेटिव रिपोर्ट मिली। इसके बाद इंटेलीजेंस ब्यूरो (IB) को भी सक्रिय कर दिया गया। चर्चा है कि इंटेलीजेंस ब्यूरो की तरफ से जो फीडबैक मिला वह बेहद चौंकाने वाला था। रिपोर्ट में बताया गया कि कुछ नौकरशाहों की वजह से सबकुछ फेल हो गया। अफसरों सांसदों और विधायकों को भाव देना बंद कर रखा है। जिसकी वजह से विधायक और सांसद बेहद नाराज हैं। सही काम पर भी इन “माननीयों” को सिर्फ फटकार मिलती है।
रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि डेढ़ साल पहले करीब 150 के करीब सरकार के खिलाफ ही धरने पर बैठ चुके हैं। यदि समय रहते डैमेज को कंट्रोल नहीं किया गया तो कई विधायक चुनाव से पहले बगावत भी करने से नहीं चूकेंगे। इस रिपोर्ट के बाद दिल्ली हाईकमान के पैरों तले से जमीन ही खिसक गई। “नींद” से जागने के बाद हाईकमान ने काफी मंथन किया। उसके बाद Uttar Pradesh के डैमेज को कंट्रोल करने के लिए तमाम बिंदुओं पर सहमति बनी।
अरविंद शर्मा को लेकर भी खिंची है “तलवार”
रिटायर्ड IAS Officer’s और वर्तमान में विधान परिषद सदस्य अरविंद शर्मा और प्रधानमंत्री Narendra Modi की निकटता किसी से छिपी नहीं है। नौकरी के दो साल बचे होने के बाद त्यागपत्र देकर अरविंद शर्मा प्रधानमंत्री के कहने पर ही यूपी आए। जल्द ही उन्हें विधान परिषद का सदस्य भी बना दिया गया। लेकिन जो उम्मींदे अरविंद शर्मा और दिल्ली हाईकमान को थीं वो पूरी नहीं हो सकीं। चर्चाओं की मानें तो अरविंद शर्मा को डिप्टी सीएम बनाकर गृह एवं गोपन विभाग दिए जाने को लेकर भी “तलवार” खिंची हुई है। पिछले दिनों बनारस में मुख्यमंत्री और अरविंद शर्मा के बीच हुई पहली मुलाकात भी सुखद नहीं बताई जा रही है। शायद उस मुलाकात के बाद ही अरविंद शर्मा सीधे दिल्ली पहुंच गए और अपनी बात को हाईकमान के सामने रखने में सफल रहे। इसके बाद से ही दिल्ली नेतृत्व Uttar Pradesh को लेकर “मंथन” जुट गया।
सूत्रों की मानें तो आज की मीटिंग के बाद बड़ी राजनीतिक तस्वीर आने
वाले कुछ दिनों में दिखाई देगी। संभव है कि इन तस्वीरों में रंग भी जल्द ही भर
दिया जाएगा। यह रंग मंत्रीमंडल विस्तार, संगठन की “सर्जरी” के जरिए ही भरा जाएगा। ऊर्जावान, युवा और ईमानदार चेहरों को बड़ी जिम्मेदारी देकर संगठन को "संजीवनी" दी जाएगी। ताकि 2022 की "रणभूमि" में विपक्ष को शिकस्त दी जा सके।
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