(Nandini Agnihotri) |
आजाद नारी……
अद्धभुत, अदम्य साहस की,
परिभाषा है नारी,
स्वयं को परिभाषित करती है नारी,
कोमल मन है उसका, हॄदय प्रेम से भरा हुआ,
त्याग और ममता की, मूरत है नारी,
जब बात स्वंय पे आती है,
काली बन जाती है नारी।
अद्धभुत, अदम्य साहस की
परिभाषा है नारी .......
स्वयं को स्वंय से, स्थापित करती है नारी ,
पूरे परिवार की पूरक ,बन जाती है नारी,
हर कठिन परिस्थितियों में,
स्वयं को परिभाषित करती है नारी,
अद्धभुत अदम्य साहस की
परिभाषा है नारी............
जब कोई मुश्किल आये, चट्टानों सी अड़ जाती है नारी,
अपना आत्मसम्मान बचाने को,
संसार के आगे भी भिड़ जाती हैं नारी,
अद्धभुत, अदम्य साहस की,
परिभाषा है नारी ......
कभी आसमान में उड़ती,
कभी सीमा पर खड़ी हो जाती हैं,
जल,थल, आकाश में छा जाती हैं नारी,
स्वयं का स्वंय से परिचय
करवाती हैं नारी,
अद्धभुत, अदम्य साहस की
परिभाषा है नारी........
उत्साह भरा भरपूर उसमें ,पूरा कर लक्ष्य को,
अपने मन में, मुस्कुराती है नारी,
अपनी पहचान बनाकर,
स्वयं स्थापित कर जाती है नारी,
अद्धभुत, अदम्य साहस की
परिभाषा है नारी........
घर की दहलीज से निकल
सीमा प्रहरी बन जाती है नारी,
देश की रक्षा करती हैं नारी,
देश का गौरव बन जाती है नारी,
अपनी अलग पहचान बनाती है,
अद्धभुत, अदम्य साहस की
परिभाषा है ......
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