-सजा पाए पति और सास को कड़ी सुरक्षा में जेल भेजा गया
-कार की मांग पूरी न होने पर विवाहिता को जिंदा फूंका था
-ADJ/FTC (41) Court ने दोषी करार देते हुए मुकर्रर की सजा
-Court ने 2.5-2.5 लाख रुपए का अर्थदंड भी लगाया
-Kanpur के बाबूपुरवा में पांच साल पहले हुई थी घटना
प्रतीकात्मक फोटो-साभार (Google)
Yogesh Tripathi
दहेज में कार की डिमांड पूरी न होने पर विवाहिता को जिंदा फूंकने वाले “दहेज के दानवों” को Kanpur की ADJ/FTC (41) Court की जज Tanu Bhatnagar ने पति और सास को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा मुकर्रर की। सजा के बाद दोषियों को पुलिस की कड़ी सुरक्षा में जेल भेज दिया गया।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (ADGC) Vinod Tripathi ने बताया कि मुकदमा वादी आचार्य नगर निवासी राहुल तिवारी की तहरीर पर बाबूपुरवा पुलिस ने पति मानक पांडेय, सास शैलबाला पांडेय, ससुर दिवाकर शरण पांडेय और ननद गुड़िया के खिलाफ IPC की धारा 498-A, 304-B & 302 (वैकल्पिक) के तहत अभियोग पंजीकृत किया था।
Rahul Tiwari के मुताबिक उसकी बहन प्रीति ने 18 अप्रैल 2012 को आर्य समाज रीति-रिवाज से बाबूपुरवा निवासी मानक पांडेय से शादी की थी। राहुल का आरोप है कि शादी के बाद से ही प्रीति को उसके ससुरालीजन कार की मांग कर प्रताड़ित करने लगे। 11 जनवरी 2016 को दहेज की मांग पूरी न होने पर ससुरालीजनों ने प्रीति को जिंदा फूंक दिया। प्रीति को गंभीर हालत में हैलट अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 14 जनवरी 2016 को प्रीति की मौत हो गई।
मौत से पहले प्रीति ने तत्कालीन ACM (2) भानु प्रताप को अपने बयान दर्ज कराए। जिसमें प्रीति ने बताया था कि उसकी सास गिन-गिनकर रोटियां देती थी। घटना वाले दिन सास, पति, ससुर और ननद ने जिंदा जलाने से पहले उसकी पिटाई की। इसके बाद आग लगा दी। उसके चीखने-चिल्लाने पर ससुरालीजनों ने पानी उड़ेल दिया।
ADGC Vinod Tripathi के मुताबिक केस की सुनवाई के दौरान ससुर दिवाकर शरण पांडेय की मौत हो गई। जबकि पुलिस ने चार्जशीट में ननद गुड़िया का नाम निकाल दिया था। केस में प्रीति का इलाज करने वाले चिकित्सक डा. मयंक का बयान भी अहम रहा।
विद्धान जज Tanu Bhatnagar ने मानक पांडेय और शैलबाला को दोषी करार देते हुए 304-B और 302 के तहत आजीवन कारावास की सजा मुकर्रर की। दोनों ही सजाएं साथ-साथ चलेंगी। Court ने दोषियों पर 2.5-2.5 लाख रुपए का अर्थदंड भी लगाया। आर्थिक दंड की धनराशि को प्रीति की नाबालिग बेटी के नाम किसी राष्ट्रीय बैंक में बालिग होने तक के लिए फिक्स करने का आदेश दिया। आर्थिक दंड न जमा करने की स्थित में दोनों ही दोषियों को तीन-तीन साल की अतिरिक्त सजा काटनी होगी।
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