-CJM Court की तरफ से जारी बी-वारंट में हकीकत सामने आई
-कूटरचित दस्तावेजों के जरिए पासपोर्ट बनवाने के मामले में हटीं जालसाजी की धाराएं
-Bikru Case में बंद है विकास दुबे का खजांची Jai Bajpai
Yogesh Tripathi
Bikru Case में सलाखों के पीछे कैद गैंगस्टर Jai Bajpai पर से लगता है कि पुलिस की "कृपा" अब भी बरस रही है। कूटरचित दस्तावेजों के जरिए पासपोर्ट बनवाने के मामले में दर्ज FIR से संगीन धाराएं पुलिस ने हटा ली हैं। जो धाराएं हटाई गई हैं वह बेहद संगीन हैं। थाना पुलिस फिलहाल धारा हटाने की बात से साफ इनकार कर रही है लेकिन CMM Court की तरफ से जारी किए गए बी-वारंट कुछ और ही "कहानी" बयां कर रहा है।
देश के मीडिया की सुर्खियां बटोर चुके Bikru Case के बाद सूबे के मुख्यमंत्री Yogi Adityanath ने मामले की जांच के लिए SIT का गठन किया था। SIT की संस्तुति पर Kanpur Nagar के नजीराबाद थाने में 21 नवंबर 2020 को पुलिस ने जय के खिलाफ कूटरचित दस्तावेजों का प्रयोग करके पासपोर्ट बनवाने की रिपोर्ट दर्ज की थी।
CMM Court की तरफ से जारी बी-वारंट में IPC 467, 468 क्ष 471 की धाराएं "लापता" हैं। इसमें 467 धारा ऐसी है, जिसमें आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है। जानकारों की मानें तो इन धाराओं के हटने से जय बाजपेयी को जमानत मिलने में आसानी होगी। नजीराबाद थाना प्रभारी ज्ञान सिंह का कहना है कि धाराएं हटाने की जानकारी उनको नहीं है।
RTI Activist (सौरभ भदौरिया) |
RTI Activist और अधिवक्ता सौरभ भदौरिया का कहना है कि SIT के आदेश पर मुकदमें तो पुलिस ने दर्ज कर लिए लेकिन अब गैंगस्टर एक्ट के साथ-साथ अन्य मामलों में बंद जय बाजपेयी पर पुलिस मेहरबानी कर रही है। पूरे प्रकरण को वह जल्द ही इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष रखेंगे। उल्लेखनीय है कि बिकरू कांड के बाद सौरभ भदौरिया ने जय बाजपेयी और विकास दुबे के खिलाफ तमाम साक्ष्यों का संकलन कर उसे SIT टीम को सौंपा था।
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