-98 में बुलेट चढ़ाकर Vikas Dubey ने किया था थानेदार को रौंदने का प्रयास
-बुलेट चढ़ाने के बाद कल्याणपुर के तत्कालीन इंस्पेक्टर पर राइफल से दागी गोली
-Encounter से बचाने को राजाराम पाल और एक स्वर्गीय विधायक ने किया था बवाल
-घटना के बाद तत्कालीन सरकार के दो मंत्रियों का थाने पर घनघनाया था फोन
-तब बिकरू गांव का ग्राम प्रधान था Encounter में मारा गया Vikas Dubey
-2004 दबिश के दौरान गैंगस्टर Vikas Dubey ने की थी गोलियों की बौंछार
-फायरिंग में पनकी थाने के एक सिपाही की राइफल दो हिस्सों में गई थी टूट
-विकास और उसके गुर्गों से जान बचाकर भागी थी तीनों थानों की फोर्स
-2 जुलाई 2020 को विकास और उसके गुर्गों के हमले में CO समेत 8 शहीद
Yogesh Tripathi
Kanpur के बिकरू गांव में CO समेत 8 पुलिस कर्मियों की हत्या में वांछित UP का सबसे बड़ा अपराधी Vikas Dubey का शुक्रवार सुबह STF ने Encounter कर दिया। आतंक का अंत हो चुका है लेकिन किस्से और कहानियां अभी बाकी हैं। Vikas Dubey एक दिन में आतंक का "आका" नहीं बन गया। सभी राजनीतिक दलों के दिग्गजों ने उसे समय-समय पर राजनीतिक "छतरी" दी। यही वजह रही कि विकास आतंक का दूसरा नाम बन गया। उसने पुलिस टीम पर एक बार नहीं बल्कि तीन बार बड़े हमले किए। अफसोस यह है कि यदि पहले के दो हमलों को आला अफसर संज्ञान में लेते तो शायद CO समेत 8 पुलिस कर्मियों की शहादत नहीं होती।
साभार-राष्ट्रीय सहारा अखबार (कानपुर ) |
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