अपर जिला जज (12) ने मुकर्रर की शूटर के खिलाफ सजा
पुलिस कस्टडी में हुई थी D-2 सरगना रफीक की हत्या
AK-47 की रिकवरी के लिए रिमांड पर लेकर जा रही थी पुलिस
D-34 सरगना परवेज ने बहार खान, गुलाम नबी के साथ की थी हत्या
परवेज और उसके साथियों के हमले में पुलिस वाले भी हुए थे घायल
मौके पर पिस्टल, बाइक के साथ पकड़ा गया था शूटर बहार खान
गोविंद नगर पुलिस ने लिखापढ़ी के बाद भेजा था जेल
आरोपित सरगना परवेज को 11 साल पहले STF कर चुकी है ढेर
हत्यारोपित गुलामनबी की दो साल पहले गैंगवार में हो चुकी है हत्या
D-2 सरगना कुलीबाजार निवासी रफीक को कोलकाता में Arrest करने वाले इंस्पेक्टर ऋषिकांत शुक्ला। Photo साभार facebook |
Yogesh Tripathi
बहार खान एक लाख का जुर्माना भी Court ने किया मुकर्रर
D-34 गैंग के शार्प शूटर बहार खान को करीब 15 साल पुराने Kanpur के इस हाईप्रोफाइल और
चर्चित Murder Case में अपर जिला जज (ADJ-12) की कोर्ट ने दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास के साथ एक
लाख रुपए का अर्थदंड भी मुकर्रर किया है। पुलिस कस्टडी में D-2 गैंग के लीडर रफीक की हत्या
करने वाले बहार खान को Arrest करने के बाद गोविंदनगर पुलिस ने जेल भेजा था। इस केस में दो
और आरोपी थे। परवेज और गुलाम नबी। परवेज को करीब 11 साल पहले STF ने Encounter के दौरान बिठूर के एक टीले
पर ढेर किया था। जबकि गुलाम नबी की दो साल पहले गैंगवार में हत्या कर दी गई। गुलाम
नबी करीब 10 साल इस मामले में जेल के अंदर रहा।
रामू बंगाली समेत कई हत्याओं में शामिल रहा था बहार खान
D-34 गैंग के शूटर बहार खान पर शहर के कई थानों में मुकदमें दर्ज हैं। पुलिस
सूत्रों के मुताबिक बहार खान करीब आधा दर्जन से अधिक हत्याएं कर चुका है। इसमें
सबसे चर्चित हत्याकांड रामू बंगाली का है। करीब 15 साल पहले बाबूपुरवा के रहने
वाले रामू बंगाली नाम के अपराधी की धारदार हथियार से हत्या कर उसके शव को होलिका
में फेंक दिया गया था। इसमें भी बहार खान आरोपी रहा है। बहार खान एक शहर के एक
शातिर अपराधी का सगा साला है।
कोलकाता में ऋषिकांत शुक्ला ने रफीक को किया Arrest
मामला करीब 14 वर्ष और 7 महीना पुराना है। एनकाउंटर स्पेशललिस्ट ऋषिकांत
शुक्ला तब स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (कानपुर) के प्रभारी थे। शहर में तब D-2 गैंग की बादशाहत थी।
रंगदारी, हत्या, वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करना इस गैंग की आदत में शुमार था। गैंग
का सरगना रफीक तब Most Wanted था। उसके सिर पर एक लाख रुपए का इनाम शासन से घोषित था। ऋषिकांत शुक्ला इस खूंखार गिरोह पर कहर बनकर टूटे। तमाम गुर्गों को जेल भेजा और कुछ को एनकाउंटर में ठोंक दिया। न्यायिक
अभिरक्षा में कोलकाता की जेल में बंद रफीक को बी-वारंट के जरिए ऋषिकांत शुक्ला की
अगुवाई वाली फोर्स अदालती कार्रवाई के बाद शहर लेकर पहुची। Kanpur Police ने रफीक को Court में पेश किया। अदालत ने उसे
जेल भेज दिया।
रफीक को रिमांड पर लेकर किदवईनगर आई थी Police
हरबंश मोहाल के हीर पैलेस टॉकीज के पास अगस्त 2004 में STF की D-2 गैंग से मुठभेड़ हुई थी। STF ने समीम उर्फ दुरग्गा और
जमशेद उर्फ भइया को ढेर कर दिया था। लेकिन मुठभेड़ के दौरान रफीक और उसके गैंग की
तरफ से चलाई गई गोली से STF के सिपाही धर्मेंद्र सिंह शहीद हो गए। इस मामले की विवेचना
तत्कालीन अनिल कुमार के पास थी। अनिल कुमार ने AK-47 की बरामदगी के लिए रफीक का
रिमांड मांगा। कोर्ट ने रिमांड दे दिया। जिसके बाद पुलिस रफीक को जेल से थाने लेकर
आई। यहां पूछताछ में रफीक ने बताया कि AK-47 जूही यार्ड के पास छिपाकर
रखी है। आधी रात को पुलिस AK-47 जैसे खतरनाक असलहे की बरामदगी के लिए निकली।
घात लगाए बैठा था D-2 गैंग का जानी दुश्मन परवेज
पुलिस जीप में बैठाकर रफीक को जूही यार्ड लेकर पहुंचने वाली थी कि थोड़ी दूर
पहले ही अचानक फायरिंग शुरु हो गई। बाइक सवार तीन लोगों ने अंधाधुंध गोलियों की
बौंछार कर दी। पुलिस जब तक कुछ समझ पाती हमलावरों ने रफीक की कनपटी पर सटाकर गोली
मार दी। रफीक का भेजा तक बाहर आ गया। पुलिस ने जवाबी फायरिंग की तो हमलावर फायरिंग
करते हुए भागे। वॉयरलेस पर मैसेज मिलते ही कई थानों की फोर्स ने घेराबंदी की।
रेलबाजार निवासी बहार खान को पुलिस ने बाइक और पिस्टल के साथ Arrest कर लिया। बहार खान ने बताया
कि बाइक वो खुद चला रहा था जबकि परवेज और गुलाम नबी पीछे बैठे थे। गोविंदनगर पुलिस
ने लिखापढ़ी के बाद बहार खान को जेल भेज दिया। बाद में गुलाम नबी भी पकड़ा गया। परवेज
को भी पुलिस ने सलाखों के पीछे डाल दिया। परवेज जेल से छूटा तो STF ने उसे ढेर कर दिया। 11 साल
गुलाम नबी जेल से बाहर आया तो गैंगवार में उसकी हत्या कर दी गई। रफीक का एक
हत्यारोपित जेल में था बहार खान। सबूत, साक्ष्य और गवाही के आधार पर कोर्ट ने उसे
आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
परवेज ने दो बार कचहरी में किया था पर हमला
D-2 गैंग का जानी दुश्मन D-34 गैंग का सरगना परवेज था। 11 साल पहले STF के हाथों मारे गए परवेज की
आंख का किरकिरी था रफीक। यही वजह रही थी कि कचहरी परिसर में परवेज ने दो बार
जानलेवा हमला किया। एक बार गोलियां दागीं और दूसरी बार बमों के धमाके किए। जिसमें
एक सिपाही भी घायल हुआ था।
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