Kanpur की करिश्मा ठाकुर NSUI की राष्ट्रीय पदाधिकारी रह चुकी हैं

करिश्मा के पिता राजेश सिंह नब्बे के दशक में क्राइस्चर्च कॉलेज के प्रेसीडेंट रहे हैं

राजेश सिंह खुद कन्नौज संसदीय सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं

करिश्मा ठाकुर खुद दिल्ली छात्रसंघ के चुनाव में भारी मतों से जीतकर पदाधिकारी बनी थीं

बहुमुखी प्रतिभा की धनी करिश्मा ठाकुर काफी तेज तर्रार युवा नेत्री हैं

पिछले काफी समय से वे गोविंदनगर विधान सभा उपचुनाव की तैयारी कर रही थीं

करिश्मा ठाकुर कांग्रेस प्रत्याशी गोविंदनगर विधान ()212 सभा उपचुनाव।

 

Yogesh Tripathi

मुकुल वासनिक ने जारी की प्रेस रिलीज

करिश्मा ठाकुर को प्रत्याशी बनाए जाने को लेकर कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव मुकुल वासनिक ने देर शाम को प्रेस रिलीज जारी की। जिसमें करिश्मा ठाकुर को प्रत्याशी बनाए जाने की घोषणा की। उनके प्रत्याशी बनाए जाने की घोषणा से कानपुर में उनके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। करिश्मा काफी दिनों से गोविंदनगर विधान सभा एरिया में जमकर मेहनत कर रही थीं।

कांग्रेसियों में खुशी की लहर

करिश्मा को गोविंदनगर विधान सभा (उपचुनाव) में प्रत्याशी बनाए जाने की खबर जब कानपुर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को लगी तो माहौल खुशनुमा हो गया। कांग्रेस के कार्यकर्ता भी दिल से चाह रहे थे कि करिश्मा ठाकुर ही प्रत्याशी बनें।  

दिग्गजों की "ना" के बाद साफ हो गया था रास्ता

कांग्रेस के दिग्गज नेता और राष्ट्रीय सचिव अजय कपूर गोविंदनगर और किदवईनगर से विधायक रह चुके हैं। उपचुनाव में उन्होंने चुनाव लड़ने से साफ-साफ इनकार करते हुए पूरे मामल से हाईकमान को अवगत करा दिया था। इतना ही नहीं अजय कपूर के इनकार के बाद श्रीप्रकाश खेमे के शैलेंद्र दीक्षित और अजय कपूर गुट के अंबुज शुक्ला ने भी न कर दी थी। ये दोनों ही गोविंदनगर सीट से चुनाव लड़ चुके हैं। दोनों ही रनर रहे हैं। 

सत्यदेव पचौरी के सांसद बनने पर खाली हुई सीट

 2017 के विधान सभा चुनाव में गोविंदनगर विधान सभा (212) से सत्यदेव पचौरी चुनाव जीते थे। चुनाव जीतने के बाद योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट में सत्यदेव पचौरी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सत्यदेव पचौरी को टिकट दिया। चुनाव में सत्यदेव पचौरी भारी मतों से जीते। चुनाव जीतने के बाद सत्यदेव पचौरी ने इस्तीफा दे दिया।  

करिश्मा ठाकुर से "करिश्मा" की आस में कांग्रेसी

इसमें कोई दो राय नहीं कि 80 के दशक तक गोविंदनगर सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है। विलायतीराम कत्याल की हत्या के बाद उनकी धर्मपत्नी विद्या कत्याल को कांग्रेस ने चुनाव में उतारा लेकिन वे हार गईं। बस यहीं से बीजेपी का केसरिया झंडा लहराने लगा। RSS से जुड़े पूर्वांचल के रहने वाले बालचंद्र मिश्रा यहां से पहली बार विधायक बने।
 इसके बाद उन्होंने लंबे समय तक पीछे मुड़कर नहीं देखा और जीत की हैट्रिक लगा दी। बालचंद्र को बार-बार चुनाव में विजयश्री की माला पहना रही जनता ने आखिर में उनसे भी नाता तोड़ लिया। इसके बाद करीब एक दशक से अधिक समय तक जनता ने कांग्रेस के अजय कपूर को चुनाव मेें विजयी बनाती रही। 2012 के चुनाव में अजय कपूर किदवईनगर विधान सभा से चुनाव लड़े। 

गोविंदनगर से भाजपा ने सत्यदेव पचौरी को मैदान में उतारा। उनके मुकाबले कांग्रेस की तरफ से शैलेंद्र दीक्षित प्रत्याशी थे। लेकिन वे चुनाव हार गए। 2017 में अंबुज शुक्ला को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया। सामने एक बार फिर बीजेपी के कद्दावर सत्यदेव पचौरी प्रत्याशी थे। नतीजा वही आया, कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी। लेकिन खास बात ये रही कि दोनों ही चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी 50 हजार से अधिक वोट पाए। 
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