दस्यु सम्राट ददुआ की तरह बबुली कोल ने छपवा रखा था लेटर पैड
ददुआ, ठोकिया और बलखड़िया का दाहिना हाथ रहा था बबुली कोल
मरने से पहले 2015 में बलखड़िया ने बनाया था गिरोह का सरदार
बबुली कोल पर दर्ज थे करीब 125 से अधिक मुकदमें
"शबाब-शराब-कबाब" का शौकीन था बबुली कोल, Viral हो चुका था Video
Yogesh Tripathi
करीब दो दशक तक Uttar Pradesh & Madhya Pradesh स्थित पाठा के जंगलों में आतंक के पर्याय रहे 7.5 लाख के इनामी दस्यु बबुली कोल का अंत हो चुका है। बबुली कोल के साथ उसका दाहिना हाथ कहा जाने वाला साला लवलेश कोल भी मारा गया। दोनों के शव सतना जनपद के मझगवां थाना एरिया चमरी पहाड़ पर पुलिस ने बरामद कर लिए। बबुली कोल को Encounter में मारने के लिए UP Police लंबे समय से जाल बिछाए थे लेकिन उसे मायूसी हाथ लगी। सोमवार दोपहर को जब मझगवां में बबुली-लवलेश के शव लाए गए तो काफी बदबू आ रही थी। अनुमान लगाया जा रहा है कि शव कई दिन पुराने थे। जिसकी वजह से दुर्गंध आ रही थी। हालांकि इन सब के बाद भी सतना पुलिस दोनों को Encounter में मारे जाने का दावा कर रही है।
UP और MP के सैकड़ों गांवों में था
बबुली का खौफ
आतंक के पर्याय बन चुके बबुली कोल का खौफ सिर्फ UP के Chitrakoot तक ही सीमित नहीं था। MP के कई जिलों के सैकड़ों गांवों में उसके नाम से ग्रामीण थर्राते थे। यही वजह है कि दो दशक में बबुली कोल पर करीब 125 मुकदमें पंजीकृत हुए। इसमें सतना का बिछियन नरसंहार भी शामिल है। इसमें बबुली कोल और बलखड़िया ने कई लोगों को जिंदा फूंक दिया था। जानकार सूत्रों की मानें तो बबुली इन दिनों अपने गुरु ददुआ के नक्शे कदम पर चल रहा था। ददुआ की तरह अपहरण कर फिरौती वसूली में लगा था। फिरौती की रकम के बंटवारे में ही उसके अपने “करीबी” ने ढेर कर दिया। पुलिस ने शवों के पास से बबुली का लेटरपैड भी बरामद किया है। फिरौती और चुनावों में फरमान जारी करने के लिए ऐसे ही लेटरपैड का प्रयोग ददुआ भी करता था।
सतना की मझगवां पुलिस ट्रक पर लेकर पहुंची बबुली और लवलेश का शव। |
कोलान टिकरिया का
रहने वाला था बबुली
करीब 40 साल के बबुली
कोल पर 7.5 लाख रुपए का इनाम दोनों प्रांतों की पुलिस से था। सबसे अधिक मध्य
प्रदेश पुलिस ने बबुली कोल पर इनाम रखा था। बबुली चित्रकूट जनपद के मानिकपुर थाना
एरिया स्थित डोडा सोसाइटी क्षेत्र के गांव कोलान टिकरिया का
रहने वाला था। गांव में प्राथमिक पढ़ाई पूरी करने के बाद वो बांदा पढ़ने के लिए
गया लेकिन परिवार की आर्थिक हालत बेहद खराब होने की वजह से वो चित्रकूट लौट आया
था। खेती करने के दौरान ही दस्यु सम्राट ददुआ से उसकी मुलाकात हो गई। लंबे समय तक
बबुली दस्यु ददुआ के लिए मुखबिरी करने के साथ-साथ राशन भी पहुंचाता था।
07 में Police ने भेजा जेल तो बन गया डकैत
किस्सा 2007 का है। इसी साल STF
ने दस्यु सरगना ददुआ को
एनकाउंटर में मार गिराया। ददुआ के मरने के बाद बबुली ने दस्यु ठोकिया की मदद करनी
शुरु कर दी। ठोकिया की मदद करने के आरोप में चित्रकूट पुलिस ने तमंचा के साथ बबुली
कोल को जेल भेज दिया। बबुली कई महीने तक बांदा की जिला कारागार में बंद रहा। इस
दौरान बबुली कोल की मुलाकात ठोकिया के साले लाले उर्फ लाली पटेल से हो गई। करीब 6
महीने बाद बबुली जेल से छूट गया। जेल से रिहाई के बाद बबुली ने जेल में साथ बंद
रहे लाले को छुड़ाने के लिए ताना-बाना बुना। पेशी पर लाते समय बबुली कोल अपने साथी
लाले को छुड़ा ले गया। इसके बाद दोनों ठोकिया गिरोह में शामिल हो गए।
Police रिकार्ड में आइएस-262 फाइल होगी बंद
बबुली कोल, लवलेश पर Uttar Pradesh के चित्रकूट, बांदा, प्रयागराज और Madhya Pradesh के सतना, रीवा में अलग-अलग थानों में हत्या, लूट, डकैती, बलवा के करीब सवा सौ मुकदमें रजिस्टर्ड हैं। पुलिस रिकॉर्ड में आईएस-262 के रूप में गिरोह की पहचान थी। गिरोह के पास AK-47 से लेकर स्वचालित अत्याधुनिक हथियार थे। पुलिस के मुताबिक सक्रिय और कैजुअल मिलाकर करीब 13 सदस्य गिरोह में थे। अब ये फाइल बंद हो जाएगी।
विशेष-----सिर्फ
बबुली कोल ही पुलिसिया जुल्म से डकैत नहीं बना बल्कि अंबिका पटेल उर्फ डॉक्टर उर्फ
ठोकिया भी पुलिस की प्रताड़ना से तंग होकर पाठा के जंगलों में कूदा था। स्थानीय
लोगों के मुताबिक ठोकिया की बहन के साथ रेप की वारदात हुई थी। जिसकी वजह से वो
गर्भवती हो गई। मामला चौकी और थाने पहुंचा तो सजातीय होने का हवाला देकर आरोपी से
समझौता करवाया गया। जिसमें शादी या फिर हर्जाना के तौर पर 50 हजार रुपए देने की
बात तय हुई। लेकिन आरोपी ने सिर्फ 5 हजार खर्च किए और ठोकिया को थाने की हवालात
में बंद करा दिया।
शौच क्रिया के बहाने ठोकिया ने किसी तरह खुद को हवालात से बाहर
निकाला और फिर पुलिस के लिए क्रूर बन बैठा। सिपाही की राइफल लूटी और पाठा के
जंगलों में कूद गया। ठोकिया ने दर्जन भर से अधिक पुलिस वालों की हत्याएं की। यही
वजह है बुन्देलखंड के लोग कहते हैं कि “जब तक पाठा के जंगल हैं और सामंतवादी
प्रथा है, तब तक यहां डाकू पैदा होते रहेंगे।” एक मरता है तो दूसरा पैदा हो जाता है।
इसके पीछे भौगोलिक स्थित का भी बड़ा हाथ है।
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