KDA मतलब “कानपुर डकैत एसोशिएसन” ये हम नहीं बल्कि वे पीड़ित बोल रहे हैं जो 45 डिग्री तापमान में सुबह-सुबह लाइन में लगे और शाम को फार्म लेकर किसी तरह घर लौटे और अब उनके हाथ मायूसी आती दिख रही है। ये फार्म पुरानी कालोनियों को आवंटित करने के लिए कानपुर विकास प्राधिकरण ने विज्ञापन के जरिए सूचना देकर 525 रुपए में बिक्री कर रहा है। ब्लैक में ये फार्म 700 से 800 तक का बिक रहे है। गुंजन बिहार की कालोनियों में अवैध तरीके से रह रहे लोगों ने KDA के खिलाफ मोर्चा खोलते योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री सतीश महाना से मुलाकात की। बताया जा रहा है कि सतीश महाना ने इन कालोनियों को कब्जेदारों को ही आवंटित करने का निर्देश दिया। इसके बाद यहां रह रहे लोगों ने कालोनी की कीमत को लेकर “बगावत का बिगुल” बजाते हुए KDA परिसर में ही आमरण अनशन शुरु कर दिया है।


[caption id="attachment_19552" align="alignnone" width="695"] सोमवार को नेता जी सुभाषचंद्र जनकल्याण समिति (रजि.) के बैनर तले केडीए परिसर में धरना देते लोग। [/caption]

YOGESH TRIPATHI


फार्म की बिक्री के नाम पर KDA ने लाखों रुपए किए अंदर


बेशर्मी की चादर ओढ़ चुके KDA के बाबू और चपरासियों के भ्रष्टाचारा की कहानी जितनी भी लिखी जाए वो कम ही होगी। पुरानी कालोनियों के आवंटन के लिए “पहले आओ, पहले पाओ” का जिम्मा भी इन्ही बाबुओं के कंधों पर डाला गया। 7 दिन पहले केडीए ने फार्म की बिक्री शुरु की। पहले दिन से ही फार्म की बिक्री के लिए मारामारी मची रही। 45 डिग्री तापमान में भी हजारों की संख्या में लोग लाइन खड़े रहकर देर शाम तक फार्म खरीदते हुए दिखाई दिए। बाबुओं ने तमाम फार्म मोटे दामों पर ब्लैक भी करवा दिए।

सूत्रों की मानें तो अब करीब 10000 से अधिक फार्मों की बिक्री हो चुकी है। मतलब साफ है कि लाखों रुपए केडीए के पास पहुंच चुके हैं। मजेदार बात ये है कि खाड़ेपुर, गुंजन बिहार, सनिगवां, सजारी, अर्रा बिनगवां कालोनी समेत करीब 10 जगहों की स्कीम पर सिर्फ 500 कालोनियों का ही आवंटन होना है। केडीए है कि उसने 10000 हजार फार्म बेंच दिए। साथ ही केडीए ने ये भी कह दिया है कि पहले 10 जो फार्म जमा होंगे, आवंटन उसी में से किसी एक का किया जाएगा। यदि ऐसा ही करना था तो हजारों की संख्या में फार्मों की बिक्री क्यों की गई ? सबसे बड़ा सवाल ये कि प्रक्रिया को विभाग ने ऑनलाइन क्यों नहीं किया ?


[caption id="attachment_19551" align="alignnone" width="695"] कानपुर विकास प्राधिकरण (KDA) परिसर में आमरण अनशन करते गुंजन बिहार की कालोनियों में रह रहे अनाधिकृत लोग।[/caption]

गुंजन बिहार के बाशिंदे पहुंचे Minister की चौखट

“पहले आओ, पहले पाओ” स्कीम के तहत सर्वाधिक कालोनियां गुंजन बिहार  की हैं। यहां पर कुल 247 कालोनियों का आवंटन किया जाना है। इसकी भनक जब यहां लंबे समय से रह रहे लोगों को लगी तो सभी कैबिनेट मंत्री सतीश महाना के पास पहुंचे। शिकायती पत्र लेने के बाद सतीश महाना ने सभी की पीड़ा को गंभीरता से सुना और केडीए को आदेश दिया कि जो लोग गुंजन बिहार कालोनी में अनाधिकृत तरीके से रह रहे हैं, उनको ही वहां की कालोनी आवंटित की जाए।

कालोनी के रेट को लेकर KDA परिसर में आमरण अनशन Start

KDA की कारगुजारियों के खिलाफ गुंजन बिहार के सैकड़ों लोग सोमवार सुबह कानपुर विकास प्राधिकरण परिसर पहुंचे और नारेबाजी करते हुए बैनर टांग आमरण अनशन शुरु कर दिया। नेता जी सुभाषचंद्र जनकल्याण समिति (रजि.) के बैनर तले करीब तीन दर्जन से अधिक महिलाएं और पुरुष पहले दिन बैठे। इन सभी की अगुवाई मास्टर जय प्रकाश, मोहन लाल गुप्ता और कांग्रेस नेता गौरव पांडेय कर रहे हैं। इन सभी का कहना है कि कई साल पहले भी केडीए ने इसी तरह किया था। तब डबल स्टोरी में ऊपर की कालोनी का रेट 1.60 लाख और नीचे की कालोनी का रेट 1.66 लाख रुपए निर्धारित किया गया था। लेकिन अब केडीए जो नई स्कीम लाया है उसके तहत करीब चार लाख रुपए की दर का निर्धारण किया है। पुराने रेट पर कालोनी को पाने के लिए अनाधिकृत तरीके से रह रहे लोग केडीए परिसर में आमरण अनशन पर बैठे हैं।

क्या फार्म के रुपए वापस लौटाएगा KDA ?

गुंजन बिहार की 247 कालोनियों के लिए अब तक कई हजार लोग केडीए से फार्म खरीद चुके हैं। मंत्री सतीश महाना ने अनाधिकृत तरीके से रह रहे लोगों को ही कालोनी आवंटित करने के लिए कहा है। देखना अब ये है कि क्या केडीए मंत्री जी के आदेश को अमल में लाता है या फिर नहीं ? यदि आदेश को अमल में केडीए लाता है तो क्या उन हजारों लोगों का पैसा वापस करेगा जो गुंजन बिहार की स्कीम के लिए फार्म खरीद कर ले गए हैं ? बड़े सूत्रों की मानें तो केडीए में तैनात कुछ चर्चित बाबू और चपरासियों की बड़ी साठगांठ से कानपुर विकास प्राधिकरण की साख पर बट्टा हमेशा से लगता रहा है। सरकार चाहे जिसकी हो इन भ्रष्टाचारियों की जड़े हर जगह पहुंच जाती हैं। कर्मचारियों की एसोशिएशन का भी इनको पूरी तरह से परोक्ष और अपरोक्ष तरीके से संरक्षण मिला रहता है। सूत्रों की मानें तो इस स्कीम में बाबुओं ने अपने करीबी लोगों के जरिए बड़ा खेल करने की योजना बना रखी है। ये कोई पहली बार नहीं हो रहा है, बल्कि हर योजना में यहां के बाबू, चपरासी विभाग के अफसरों की साठगांठ से मलाई खाते आ रहे हैं। यही वजह है कि यहां के बाबू, चपरासी और इंजीनियर्स करोड़ों के वारे न्यारे करते हैं।

 

 

 

 
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1 comments:

  1. mai khud ek bjp karyakrta hu mera khna hai ki jo log jha rh rhe unhe whi alot kr dena chaiye mai janta hu ki satish mahana ek acche insaan hai wo garibo ki jarur sunege aur modi ji ko bhi aap logo ka dard btaenge.
    sbka sath sabka vikash
    jay hind jay bharat

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