Lok Sabha Election 2019  के मद्देनजर BJP हाईकमान UP की हर एक लोकसभा सीट को लेकर खासा गंभीर है। यही वजह है कि जिन जगहों पर PM  नरेंद्र मोदी और CM योगी आदित्यनाथ रैली या जनसभा करने पहुंच रहे हैं, उससे पहले वहां के प्रत्याशियों का चुनावी फीडबैक बेहद गोपनीय तरीके से ले रहे हैं। Kanpur लोकसभा सीट से प्रत्याशी सत्यदेव पचौरी और अकबरपुर संसदीय सीट से प्रत्याशी देवेंद्र सिंह भोले के चुनाव मैनेजमेंट और कार्यकर्ताओं की पीड़ा का फीडबैक में जिक्र है। दोनों ही प्रत्याशियों का फीडबैक निगेटिव है। फीडबैक में विरोधी प्रत्याशियों की कमजोरी और मजबूती का भी बिन्दुवार विश्लेषण है। रिपोर्ट में दोनों प्रत्याशियों को लेकर साफ-साफ जिक्र है कि संगठन के नेताओं और कार्यकर्ताओं को तरजीह न देकर “करीबी” और “कारखास” लोगों पर विश्वास जताया जा रहा है। जिसकी वजह से भाजपा के "खांटी" के कार्यकर्ता "खूंटी" पर पहुंच चुके हैं। ये भी चुनाव में बड़ा साइड इफेक्ट साबित हो सकता है। सूत्रों की मानें तो BJP के एक जिलाध्यक्ष की रिपोर्ट भी काफी निगेटिव भेजी गई है।


 YOGESH TRIPATHI


कद्दावर पदाधिकारी ने लिया फीडबैक


लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) से जुड़ी एक डिग्री कॉलेज की प्रोफेसर ने Kanpur और अकबरपुर लोकसभा प्रत्याशियों के चुनाव मैनेजमेंट से जुड़ी तमाम जानकारियां जुटाईं। जनता के बीच प्रत्याशियों को लेकर क्या राय है ? क्या किसी प्रत्याशी का विरोध हो रहा है ? क्या किसी प्रत्याशी के साथ भीतरघात किया जा रहा है या आशंका है ? दूसरे राजनीतिक दलों से आए नेता क्या कर रहे हैं ? उनसे बीजेपी को कितना लाभ मिल रहा है ? समेत तमाम गोपनीय जानकारी हासिल कर विस्तृत रिपोर्ट RSS और BJP के शीर्ष नेतृत्व के पास भेजी गई है। ये महिला पदाधिकारी पूर्व में बीजेपी की प्रवक्ता भी रह चुकी हैं। संगठन मंत्री सुनील बंसल के बेहद करीब हैं।

क्या है सत्यदेव पचौरी की रिपोर्ट ?


सत्यदेव पचौरी की जो रिपोर्ट हाईकमान के पास भेजी गई है उसके मुताबिक बीजेपी संगठन का एक बड़ा हिस्सा खामोश है। मोदी और योगी को लेकर बिल्कुल भी विरोध नहीं है। प्रत्याशी चयन को लेकर बीजेपी के कार्यकर्ताओं परंपरागत वोटर्स काफी नाराज है। रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि बड़ी संख्या में बीजेपी वोटर्स शायद वोट डालने ही न जाए, और यदि गए भी तो हो सकता है कि NOTA  का बटन दबा दे। इसके लिए सचेत रहने की आवश्यकता होगी, वोटर्स को बूथ पर जाने से पहले ही काफी मैनेज करना पड़ेगा।

इस रिपोर्ट में बालचंद्र मिश्रा, नीरज चतुर्वेदी, सलिल विश्नोई, प्रेमलता कटियार, रवींद्र पाटनी, कैप्टन पंडित जगतवीर सिंह द्रोण, श्याम बिहारी मिश्रा जैसे दिग्गजों को लेकर भी लिखापढ़ी की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक अभी तक बीजेपी के इन पुराने दिग्गजों को चुनाव मैनेजमेंट की कोई भी बड़ी जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई है। साथ ही ये दिग्गज अभी तक जनता के बीच वोट मांगते नहीं दिखाई दिए। इसमें रवींद्र पाटनी और कैप्टन पंडित जगतवीर सिंह द्रोण तो महापौर रह चुके हैं। जनता के बीच दोनों की छवि बेहद ईमानदार नेता की है। निश्चित तौर पर ये बड़ा सवाल है ? कि इन नेताओं को आखिर किस वजह से तरजीह नहीं दी जा रही है ?


देवेंद्र सिंह भोले की फीडबैक तो और खराब


अकबरपुर लोकसभा से प्रत्याशी देवेंद्र सिंह “भोले” के चुनाव को लेकर भेजी गई रिपोर्ट बेहद खराब है। अंदरखाने की रिपोर्ट के मुताबिक जातिवाद की राजनीति के साथ-साथ ब्राम्हण मतदाताओं की बड़ी नाराजगी का जिक्र किया गया है। रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर जिक्र है कि ब्राम्हण मतदाताओं का जो भी वोट मिलेगा वो मोदी के नाम पर ही मिलेगा, प्रत्याशी के नाम पर बिल्कुल मिलता नहीं दिख रहा है। रिपोर्ट में इस सीट पर बड़े भीतरघात की आशंका जाहिर की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ठाकुर वोटर्स तो बीजेपी के पक्ष में है लेकिन इस सीट का सबसे बड़ा वोट बैंक (ब्राम्हण) खासा नाराज है।

 

 

 
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