Lok Sabha Election 2019 : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) ने सर्वे और तमाम रुझानों को देखने के बाद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को भोपाल से टिकट देकर एक तीर से कई निशाने साधे हैं। हालांकि प्रज्ञा ठाकुर को भोपाल से टिकट दिए जाने और सक्रिय राजनीति में लाने पर MODI और शाह सहमत नहीं थे लेकिन RSS का ये फैसला सभी को अंतत: मानना पड़ा। अंदरखाने की मानें तो “प्रज्ञा ठाकुर के जरिए RSS सिर्फ मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में यह मैसेज देना चाहती है कि दिग्विजय सिंह अल्पसंख्यक समर्थक हैं, कांग्रेस हिंदू विरोधी है।हालांकि प्रज्ञा का शहीद हेमंत करकरे पर दिया गया विवादित बयान जब “गुड़ भरी हंसिया” साबित होने लगा तो प्रज्ञा ने माफी मांगने में तनिक भी देर नहीं लगाई। प्रज्ञा के प्रत्याशी बनने के बाद “ध्रुवीकरण” की राजनीति साफ-साफ देखी जा रही है।


YOGESH TRIPATHI


प्रज्ञा ठाकुर और मालेगांव ब्लास्ट कनेक्शन ?


प्रज्ञा ठाकुर की शिक्षा और दीक्षा मध्य प्रदेश के ग्वालियर और भिंड में हुई। प्रज्ञा के पिता एक आर्युवेद चिकित्सक थे। प्रज्ञा के पिता का राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) से गहरा ताल्लुक था। यही वजह रही कि बड़ी होने के बाद प्रज्ञा पिता के पदचिन्हों पर चलीं। शुरुआत उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की। इसके बाद वे RSS के लिए सक्रिय हो गईं। 2008 में हुए मालेगांव विस्फोट में 8 लोगों की मौत हो गई। उस समय केंद्र में UPA की सरकार थी।

मामले की जांच कर रही ATS ने जब कांड की गुत्थी सुलझाई तो कई चौंकने वाली कड़ी मिली। जिस गाड़ी में विस्फोट रखकर ब्लास्ट किया गया था, वो साध्वी प्रज्ञा के नाम पर मिली। इसी को आधार बनाकर ATS ने प्रज्ञा को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। इसमें मामलें कई और चर्चित चेहरे भी भी Arrest किए गए। सभी पर माकोका की धारा भी लगाई गई। प्रज्ञा करीब नौ साल तक जेल में बंद रहीं। 2017 में उन पर चल रहा माकोका का मुकदमा हटा लिया गया। प्रज्ञा के वकील ने हाईकोर्ट में दलील और दस्तावेज पेश कर बताया कि उनके मुवक्किल को स्तन कैंसर हो गया। जिसके इलाज के लिए जमानत दी जाए। इस पर हाईकोर्ट ने प्रज्ञा को इलाज कराने के लिए जमानत दे दी।


दिग्विजय सिंह के खिलाफ BJP ने बनाया है प्रत्याशी


प्रज्ञा ठाकुर को बीजेपी ने मध्य प्रदेश की भोपाल लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है। यहां से कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह चुनावी मैदान में हैं। बीजेपी ने प्रज्ञा को प्रत्याशी बनाकर “सियासी फिजा” में बड़ा बदलाव लाने का संकेत दिया है। यही वजह है कि प्रज्ञा ठाकुर ने मीडिया के सामने शहीद हेमंत करकरे को लेकर काफी विवादित बयान दिया। जिसकी उनकी चारो तरफ निंदा हुई। मामला बिगड़ता देख हालांकि प्रज्ञा ने इस मुद्दे पर माफी भी मांग ली।

प्रज्ञा ठाकुर को लेकर सहमत नहीं थे मोदी और शाह


लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी के साथ-साथ RSS भी रणनीति और मंथन कर रही है। यही वजह है कि तमाम सर्वे और रुझानों के बाद जब RSS को लगा कि बीजेपी की जमीन खिसक रही है तो उसने प्रज्ञा ठाकुर को अपना ट्रंपकार्ड बनाने की ठान ली। सूत्रों की मानें तो प्रज्ञा को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह सहमत नहीं थे लेकिन RSS हर कीमत पर प्रज्ञा को भोपाल से टिकट देकर “ध्रुवीकरण” चाह रही थी। लंबी प्रक्रिया के बाद सहमति बनी और प्रज्ञा को प्रत्याशी घोषित किया गया। प्रत्याशी घोषित होने के बाद प्रज्ञा ने शहीद हेमंत करकरे को लेकर विवादित बयान दे दिया। प्रज्ञा के इस बयान के बाद “सियासी फिजा” देखते ही देखते वास्तव में बदल गई। हालांकि जब बीजेपी और RSS को लगा कि नुकसान हो रहा है तो 24 घंटे के अंदर ही प्रज्ञा ने माफी भी मांग ली।

 भोपाल सीट पर 35 साल से है बीजेपी का कब्जा


मध्य प्रदेश की भोपाल लोकसभा सीट के इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि 1984 के बाद से यहां बीजेपी का कब्जा है। भोपाल संसदीय क्षेत्र में अब तक हुए 16 चुनाव में कांग्रेस को छह बार जीत हासिल हुई है। भोपाल में 12 मई को मतदान होने वाला है।

भोपाल संसदीय क्षेत्र में साढ़े 19 लाख मतदाता है, जिसमें चार लाख मुस्लिम, साढ़े तीन लाख ब्राह्मण, साढ़े चार लाख पिछड़ा वर्ग, दो लाख कायस्थ, सवा लाख क्षत्रिय वर्ग से हैं। मतदाताओं के इसी गणित को ध्यान में रखकर कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारा था, लेकिन बीजेपी ने प्रज्ञा ठाकुर को उम्मीदवार बनाकर “ध्रुवीकरण” का दांव खेला है।


 क्या कहते हैं वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक ?


वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटेरिया कहते हैं कि, “BJP ध्रुवीकरण चाहती है, इसी के चलते उसने प्रज्ञा ठाकुर को मैदान में उतारने का फैसला लिया। बीजेपी वास्तव में प्रज्ञा ठाकुर के जरिए पूरे देश में यह संदेश देना चाहती है कि दिग्विजय सिंह अल्पसंख्यक समर्थक हैं, कांग्रेस हिंदू विरोधी है। प्रज्ञा को हिंदुत्व पीड़ित बताने की भी कोशिश की जा रही है और बीजेपी भोपाल में इस चुनाव को अन्य मुद्दों की बजाय ध्रुवीकरण करके लड़ना चाहती है।"

उम्मींदवार घोषित होते ही तल्ख होने लगे प्रज्ञा के मिजाज


भोपाल से उम्मीदवारी घोषित होने के बाद प्रज्ञा के मिजाज तल्ख होने लगे हैं। वे मतदाताओं को भावनात्मक तौर पर लुभाने में जुट गई है। उन्होंने कांग्रेस पर हिंदू विरोधी होने का आरोप तो लगाया ही साथ में हिंदुत्व आतंकवाद और भगवा आतंकवाद का जिक्र छेड़ा और मालेगांव बम विस्फोट का आरोपी बनाए जाने के बाद पुलिस की प्रताड़ना का ब्योरा देना शुरू कर दिया। वे लोगों के बीच भावुक भी हो रही हैं।

जानकारों का कहना है कि भोपाल के चुनाव में "ध्रुवीकरण" की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। कांग्रेस की हर संभव कोशिश होगी कि "ध्रुवीकरण" को किसी तरह रोका जाए। लेकिन बीजेपी प्रज्ञा को कांग्रेस की तरफ से सताई गई हिंदू महिला के तौर पर पेश कर रही है।


 

 
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1 comments:

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