Kanpur Lok Sabha 2019 की चुनावी रफ्तार दिन पर दिन बढ़ रही है। Congress प्रत्याशी श्रीप्रकाश जायसवाल और BJP उम्मींदवार सत्यदेव पचौरी के बीच यहां सीधी फाइट पक्की मानी जा रही है। दोनों ही प्रत्याशियों के लिए “विभीषण” बवाल-ए-जान बने हुए हैं। प्रत्याशी और उनके चुनावी मैनेजमेंट को संभाल रहे “कारखास” लोग अपने “विभीषण” रोकने और समझाने के बजाय सामने वाले के “विभीषण” को पसंद कर तरजीह देने में जुटे हैं। इसमें सबसे तगड़ा झटका कांग्रेस प्रत्याशी श्रीप्रकाश जायसवाल को लग सकता है। राजनीति के जानकारों की मानें तो गोविंदनगर और किदवईनगर विधान सभा का “चक्रव्यूह” भेदना कांग्रेस प्रत्याशी श्रीप्रकाश जायसवाल के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी। यहां पर उनके “विभीषण” न सिर्फ ताकतवर हैं बल्कि उनकी संख्या भी अधिक है। खास बात ये है कि दोनों ही विधान सभाएं ब्राम्हण बाहुल्य होने के साथ-साथ BJP का गढ़ मानी जाती हैं। 2017 के विधान सभा चुनाव में दोनों सीटें बीजेपी ने जीती हैं। किदवईनगर विधान सभा में तो महेश त्रिवेदी ने तीन बार के विधायक रहे कांग्रेस के अजय कपूर को हराकर उनका तिलिस्म तोड़ा है।
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YOGESH TRIPATHI
छावनी विधान सभा में होगी कांटे की टक्कर
सबसे पहले छावनी विधान सभा की बात करते हैं। यहां पर चुनावी टक्कर कांटे की होने वाली है। यही एक विधान सभा है जहां सपा-गठबंधन के प्रत्याशी रामकुमार हल्का-फुल्का कांग्रेस प्रत्याशी को नुकसान दे सकते हैं। वजह ये है कि उनका घर भ इसी विधान सभा के अंतर्गत आता है। उनके पिता मनोहर लाल छावनी से विधाय रहे थे, भाई दीपक कुमार कई साल पहले सभासद बने थे। क्षेत्र में रामकुमार की पकड़ काफी अच्छी है। यहां बीजेपी प्रत्याशी को उसका परंपरागत वोट पूरा मिलने की संभावना है। कांग्रेस प्रत्याशी श्रीप्रकाश जायसवाल को मुस्लिम वोटों के साथ-साथ दलित वर्ग का भरपूर समर्थन मिल रहा है। उनकी पार्टी के विधायक सोहेल अंसारी पूरी ताकत से दिन-रात एक किए हैं। इसका बड़ा एडवांटेज मिल भी रहा है। कुल मिलाकर कांटे की टक्कर में श्रीप्रकाश आगे रहेंगे लेकिन अंतर कम होगा।
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आर्य नगर विधान सभा में बढ़त बनाएंगे श्रीप्रकाश
आर्यनगर विधान सभा में श्रीप्रकाश एकतरफा चुनाव लड़ेंगे। वोट बीजेपी और गठबंधन को भी मिलेगें लेकिन कांग्रेस की तुलना में ये काफी कम होंगे। यहां श्रीप्रकाश के साथ-साथ नगर अध्यक्ष हरप्रकाश अग्निहोत्री की भी प्रतिष्ठा लगी है। हालांकि विधान सभा में हरप्रकाश को उनकी साफ, सुंदर छवि की वजह से हर वर्ग का समर्थन हमेशा से मिलता रहा है। जो इस चुनाव में भी बरकरार रहने की उम्मींद है। विधान सभा में मुस्लिम वोटों की संख्या ठीक है। यहां बीजेपी को एडवांटेज एक क्षेत्रीय दल के कद्दावर नेता से मिलता दिख रहा है। संकेत मिल रहे हैं कि अंत समय में ये दिग्गज नेता बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में वोट और सपोर्ट की अपील कर सकते हैं। सूत्रों पर विश्वास करें तो अंदर ही अंदर वो बीजेपी प्रत्याशी को सपोर्ट भी कर रहे हैं। इस विधान सभा की खास बात ये है कि श्रीप्रकाश जायसवाल की शादी में “सहबाला” बनकर जाने वाले एक दूसरे राजनीतिक दल के दिग्गज अंतिम दौर में अपनी “गणित” अवश्य लगाएंगे। उनकी “गणित” यदि सही बैठी तो श्रीप्रकाश की लीड का काफी बड़ी हो सकती है।
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सीसामऊ में भी मजबूत हैं श्रीप्रकाश जायसवाल
सीसामऊ विधान सभा की कमान श्रीप्रकाश ने अपने करीबी पूर्व विधायक संजीव दरियाबादी को दे रखी है। यहां उनके समाज का बड़ा वोट बैंक है। साथ ही मुस्लिम मतदाताओं की भी अच्छी संख्या है। मुस्लिम वोट के साथ दलित वोटर्स यहां श्रीप्रकाश के पक्ष में जाता दिखाई दे रहा है। इक्का-दुक्का जगहों पर यहां गठबंधन प्रत्याशी भी लड़ रहे हैं। बीजेपी को सिर्फ परंपरागत वोट बैंक ही मिलता दिख रहा है। यहां श्रीप्रकाश के लिए एक क्षेत्रीय दल के कद्दावर नेता का बड़ा समर्थन अंदरखाने से मिल रहा है। जिसकी वजह से श्रीप्रकाश की स्थित यहां बेहद मजबूत है।
गोविंदनगर विधान सभा में बीजेपी प्रत्याशी काफी मजबूत
गोविंदनगर विधान सभा से बीजेपी प्रत्याशी सत्यदेव पचौरी वर्तमान में विधायक हैं। 2017 का चुनाव वे बड़े अंतर से जीते थे। तब उन्होंने अंबुज शुक्ला को हराया था। उससे पहले 2012 में वे कांग्रेस प्रत्याशी के करीबी शैलेंद्र दीक्षित को हराकर चुनाव जीते थे। इस एरिया के अंतर्गत आने वाले, शास्त्रीनगर, विजय नगर, समेत कई जगहों पर सत्यदेव पचौरी काफी मजबूत हैं। रतनलाल नगर मंडल में उनको थोड़ा बहुत झटका मिल सकता है लेकिन राजनीति के पंडितों की राय में यहां पर जीत अंतत: सत्यदेव पचौरी की ही होगी। अंतर भी बड़ा सकता है। यहां पर दोनों ही प्रत्याशियों के “विभीषण” सक्रिय भूमिका में हैं। इसमें कुछ तो खुलकर चुनाव लड़वा रहे हैं। यहां पर श्रीप्रकाश के लिए राहत भरी बात ये है कि उनके पुराने समर्थक पूर्व पार्षद मनीष शर्मा ने बीजेपी प्रत्याशी सत्यदेव पचौरी के सामने ताल ठोंक दी है। वे सिर्फ अपने वार्ड में ही नहीं बल्कि रतनलाल नगर मंडप के कई वार्डों में भाजपा प्रत्याशी के लिए मुसीबत बन चुके हैं। बसपा के कई नेता भी यहां पर श्रीप्रकाश के समर्थन में खड़े दिखाई दे रहे हैं।
BJP का सबसे मजबूत किला है किदवईनगर विधान सभा
ब्राम्हण बाहुल्य किदवईनगर विधान सभा 2017 में बीजेपी ने कांग्रेस से छीनी है। यहां से तीन बार के विधायक रहे अजय कपूर को हराकर महेश त्रिवेदी विधायक बने हैं। लोकसभा के चुनावों में भाजपा ने हमेशा न सिर्फ इस विधान सभा को जीता है बल्कि मतों का अंतर काफी अधिक रहा है। महेश त्रिवेदी ने अजय कपूर को करीब 35 हजार वोटों से हराया था। जानकारों की मानें तो किदवईनगर ऐसी विधान सभा है जहां बीजेपी प्रत्याशी के जीत का अंतर इतना बड़ा हो जाता है कि बाकी विधान सभाओं में मिली जीत को भी यदि जोड़ दिया जाए तो बराबरी नहीं हो पाती है। माना जा रहा है कि इस बार भी यहां जीत का अंतर बड़ा रहेगा। इसका सीधा लाभ बीजेपी प्रत्याशी को मिलेगा।
कांग्रेस प्रत्याशी को यहां पर बड़े “विभीषणों” से सामना करना पड़ा रहा है। एक “विभीषण” ने सीधे तौर पर चैलेंज दे रखा है। यहां दूसरा बड़ा “विभीषण” श्रीप्रकाश जायसवाल का “अपना” ही बताया जा रहा है। इस "विभीषण" चुनाव लड़ने का भी अनुभव प्राप्त है। इस “विभीषण” ने ब्राम्हण वोटों को जोड़ने के बजाय उसे बीजेपी प्रत्याशी की तरफ डॉयवर्ट करने का काम Start कर दिया है। हालांकि इसे टेंडर ब्राम्हण वोट को जोड़ने का ही मिला था। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के साथ-साथ राजनीति के पंडित भी इसके कारनामों को जान रहे हैं लेकिन मुंह कौन खोले ? कांग्रेसी मान रहे हैं कि यदि समय रहते इस पर यदि नकेल नहीं कसी गई तो पराजय काफी बड़ी हो सकती है। जानकारों की मानें तो गोविंदनगर के बाद किदवईनगर में सत्यदेव पचौरी की बड़ी जीत हो सकती है। जो बाकी विधान सभा में मिली हार की खाई को आसानी से पाट सकती है।
https://redeyestimes.com/2019/04/12/lok-sabha-election-2019-congress-candidate-shri-prakash-jaiswal-created-brahman-leaders-in-charge-of-the-legislative-assembly/
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