Lok Sabha Election 2019 : Uttar Pradesh की VIP (Kannauj ) लोकसभा सीट पर "महा मुकाबला" देखने को मिल सकता है। 2014 की तरह यहां एक बार फिर यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी सपा प्रत्याशी Dimple Yadav और BJP उम्मींदवार सुब्रत पाठक के बीच हार-जीत की “लड़ाई” पक्की है। डिंपल को इस बार BSP का समर्थन मिला है। लेकिन इसकी खुशी डिंपल यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव काफूर किए है। शिवपाल ने बहू डिंपल के खिलाफ अपनी प्रगतिशील पार्टी से प्रत्याशी मैदान में उतारा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में “जीती बाजी” हारने वाले बीजेपी के प्रदेश मंत्री सुब्रत पाठक उन तीन विधान सभा सीटों पर पूरा फोकस किए हैं जहां से उनको पिछली बार हार का मुंह देखना पड़ा था। साथ ही उनका फोकस ठाकुर वोटर्स पर भी है। जानकारों की मानें तो ठाकुर वोटर्स एक बार फिर निर्णायक भूमिका में रहेगा।
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कन्नौज लोकसभा के अंतर्गत पांच विधान सभाएं
UP की VIP कन्नौज लोकसभा के अंतर्गत पांच विधान सभाएं आती हैं। सदर विधान सभा में 394376 मतदाता हैं। इसमें ब्राम्हण वोटर्स की संख्या सबसे अधिक हैं। छिबरामऊ विधान सभा में 4032574 वोटर्स हैं। यहां ब्राम्हण और पिछड़ी जाति के मतदाताओं की संख्या करीब-करीब बराबर है। तिर्वा विधान सभा में कुल मतदाता 3055679 हैं। यहां सबसे अधिक लोधी बिरादरी के वोटर्स हैं। लोकसभा के अंतर्गत औरैया की बिधूना विधान सभा के अंतर्गत 3055699 वोटर्स हैं। जिसमें ठाकुर मतदाता की संख्या सबसे अधिक है। वहीं 3015654 मतदाताओं वाली कानपुर देहात की रसूलाबाद विधान सभा में सर्वाधिक 80 फीसदी के करीब ठाकुर बिरादरी के मतदाता हैं। जानकारों की मानें तो ठाकुर बिरादरी का वोटर्स एक बार फिर निर्णायक भूमिका में होगा। जिस प्रत्याशी को ठाकुर वर्ग का वोट अधिक मिलेगा वही चुनाव जीतेगा।
तीन विधान सभाओं में मिली थी सुब्रत को हार
बीजेपी ने एक बार फिर अपने पुराने “योद्धा” सुब्रत पाठक पर दांव लगाया है। सुब्रत पाठक को 2014 के चुनाव में पांच से तीन विधान सभाओं में हार मिली थी। हालांकि ये हार काफी नजदीकी थी। अंत में चुनाव का फैसला भी सुब्रत के पक्ष में गया लेकिन इस बीच एक अप्रत्याशित घटना हुई। सुब्रत को हार मिली। प्रशासन ने जब ये खबर दी तो उससे पहले मीडिया के लोगों को मतगणना स्थल से बाहर कर दिया। सरकार भी समाजवादी पार्टी की थी। डिंपल को कुछ हजार वोटों से विजयी घोषित किया गया। जानकारों की मानें तो पिछली बार की चूक से इस बार बीजेपी प्रत्याशी सुब्रत पाठक हर कदम फूंक-फूंक कर रख रहे हैं। सुब्रत की नजरें ठाकुर मतदाताओं के साथ उन तीन विधान सभा सीटों पर भी हैं जहां पिछली बार उनको पराजय मिली थी।
चाचा ने बहू डिंपल की राह में बोए “कांटे”
राजनीति के जानकारों की मानें तो 2014 के चुनाव में डिंपल सपा की प्रत्याशी थीं। बीजेपी से सुब्रत पाठक और बसपा ने निर्मल तिवारी प्रत्याशी के तौर पर अपना महावत बनाया था। इस बार समीकरण उलट हैं। निर्मल तिवारी दो दिन पहले बीजेपी ज्वाइन कर चुके हैं। जबकि बसपा इस बार सपा से गठबंधन कर चुनाव लड़ रही है। लेकिन इन सबसे बड़ा फैक्टर डिंपल यादव के चचिया ससुर शिवपाल सिंह बने हैं। शिवपाल सिंह ने बहू के मुकाबले अपनी प्रगतिशील पार्टी से प्रत्याशी उतारा है। राजनीति के जानकारों की राय में कन्नौज में अखिलेश यादव का बड़ा जनाधार है। वे यहां से सांसद भी रह चुके हैं लेकिन चाचा शिवपाल सिंह यादव का भी इस लोकसभा के अंतर्गत खासा प्रभाव है। दो विधान सभा की सीटों पर उनका प्रत्याशी बेहतर चुनाव लड़ सकता है, यदि ऐसा हुआ तो डिंपल यादव की ये सीट फंस भी सकती है। उल्लेखनीय है कि चुनावी शंखनाद के बाद यहां पर शिवपाल सिंह और उनके बेटे दस्तक दे चुके हैं। यही वजह है कि डिंपल यादव के चुनावी रणनीतिकार इस बार अपना सियासी दांव-पेंच बदल सकते हैं।
करीब तीन लाख से अधिक मतदाता बढ़े
कन्नौज लोकसभा के अंतर्गत इस बार कुल वोटर्स की संख्या 1853987 है। पिछली बार ये संख्या 14 लाख से अधिक थी। जिला निर्वाचन आयोग के मुताबिक इस बार करीब तीन लाख से अधिक वोटर्स बढ़े हैं।
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