Lok Sabha Election 2019 : Kanpur लोकसभा सीट पर पल-पल बदल रहे "सियासी गणित" ने पड़ोस की (अकबरपुर लोकसभा ) सीट के "राजनीति समीकरण" बिगाड़ दिया है। अकबरपुर के दो बड़े और धुरंधर दावेदारों को यदि सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो मायूसी हाथ लग सकती है। टिकट की रेस में सबसे पीछे चल रहे अनिल शुक्ला वॉरसी “जातिगत गणित” के लिहाज से इस समय सबसे आगे हो चुके हैं। वॉरसी का RSS और उसके पदाधिकारियों से हालांकि कोई दूर-दूर तक कोई गहरा नाता नहीं है लेकिन फिर भी उनके नाम पर RSS ने अपनी मुहर लगा दी है। RSS ने बीजेपी संगठन को जो पत्र दिया है उसमें अनिल शुक्ला को लेकर कई तर्क दिए हैं। यही वजह रही है कि केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) की मीटिंग में देर रात तक Kanpur के साथ अकबरपुर लोकसभा की सीट पर भी तगड़ा मंथन किया गया। हालांकि प्रत्याशियों के नामों का रिजल्ट अभी नहीं आएगा। कम से कम दो-तीन दिन का अभी और वक्त लग सकता है।
YOGESH TRIPATHI
[caption id="attachment_19165" align="alignnone" width="695"] अनिल शुक्ला वॉरसी (पूर्व सांसद)[/caption]
Kanpur की वजह से बिगड़ा अकबरपुर का “समीकरण”
RSS ने जब नीतू सिंह का सिंगल नाम फाइनल करके बीजेपी संगठन के पास भेजा तभी से कयास लगाए जा रहे थे कि अकबरपुर से प्रत्याशी कौन होगा ? क्यों कि जातिगत समीकरण को ध्यान में रखना था। अकबरपुर लोकसभा सीट से वर्तमान सांसद देवेंद्र सिंह भोले और बिठूर विधायक अभिजीत सिंह सांगा ने शुरु से तगड़ी दावेदारी कर रखी है। सांगा के पक्ष में सर्वे रिपोर्ट है तो भोले के समर्थन में संगठन के साथ-साथ कई कद्दावर नेता और मंत्री भी पैरवी में जुटे हुए हैं। RSS के बड़े पदाधिकारी के मुताबिक कानपुर सीट से नीतू सिंह के नाम को बीजेपी संगठन के पास भेजने के बाद अकबरपुर सीट पर जातिगत समीकरण को ध्यान में रखते हुए और दूसरा कोई विकल्प नहीं था। RSS की तरफ से भेजी गई रिपोर्ट और उसकी थ्यौरी पर बीजेपी संगठन काफी गंभीर है।
RSS ने BJP संगठन को ये तर्क दिए
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) ने बीजेपी संगठन को भेजी अपनी रिपोर्ट में अकबरपुर लोकसभा को लेकर कई तर्क दिए हैं। पहला ये कि कांग्रेस ने पाल बिरादरी (पिछड़ा वर्ग) से राजाराम पाल को टिकट दिया है। बसपा-सपा गठबंधन से निशा सचान (पिछड़ा वर्ग) से आती हैं। ऐसे में बीजेपी को सामान्य वर्ग के प्रत्याशी को टिकट देना चाहिए। कानपुर सीट से यदि संगठन नीतू सिंह के नाम पर अपनी मुहर लगाता है तो जातिगत समीकरण के मद्देनजर अकबरपुर लोकसभा सीट से हर कीमत पर ब्राम्हण प्रत्याशी को ही चुनाव लड़ाना होगा। कुल मिलाकर शहर के नीतू सिंह फैक्टर के सहारे ही अनिल शुक्ला वारसी रेस में इस वक्त नंबर वन की पोजीशन पर हैं।
RSS और BJP को सता रहा है भीतरघात का डर
खुफिया सूत्रों के जरिए RSS और BJP के पास जो रिपोर्ट पहुंची है उससे दिग्गज डरे हुए हैं। सभी को भीतरघात का डर सता रहा है। जानकारी के मुताबिक हाईकमान भी मान रहा है कि दावेदारी कर रहे ठाकुर बिरादरी के दो दिग्गजों में यदि किसी एक को टिकट दी गई तो बड़ा भीतरघात हो सकता है। जानकार इसे दो की लड़ाई में तीसरे का फायदा होने की बात भी कह रहे हैं।
पत्नी प्रतिभा शुक्ला हैं रनिया से विधायक
अनिल शुक्ला वॉरसी पूर्व में लोकसभा सांसद रह चुके हैं, वो भी बसपा के टिकट पर। हालांकि इसके बाद का चुनाव वे हार गए। 2017 के विधान सभा चुनाव में इस दंपति ने भगवा चोला ओढ़ा। इसके बाद अनिल शुक्ला वॉरसी पत्नी के लिए रनिया विधान सभा से टिकट ले आए। चुनाव में प्रतिभा विजयी हो गईं। समाजवादी पार्टी से राजनीतिक जीवन शुरु करने वाले अनिल शुक्ला का कार्यक्षेत्र वैसे तो कानपुर देहात है लेकिन निवास कानपुर के किदवईनगर में है।
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