BSP सरकार में ताकतवर Minister रहे अनंत कुमार मिश्रा (अंटू मिश्रा) की लोकसभा चुनाव 2019 में प्रत्याशिता को लेकर अंदरखाने में चर्चाएं काफी जोरों पर हैं। सूत्रों की मानें तो अंटू मिश्रा को ऐन वक्त पर Kanpur Dehat की (अकबरपुर लोकसभा सीट) से BSP सुप्रीमों मायावती टिकट दे सकती हैं। ठीक वैसे ही जैसे 2012 के विधान सभा चुनाव में ऐन वक्त पर अजय प्रताप सिंह का पत्ता साफ महाराजपुर विधान सभा की सीट दी गई थी। ऐसा 2019 के “दंगल” की तैयारी कर रहे BSP “पहलवान” बिना लड़े ही “चुनावी अखाड़े” से बाहर होना पड़ेगा। राजनीति के चाणक्य भी यही कह रहे हैं कि आखिरी वक्त पर बहनजी अंटू मिश्रा को अपने हाथी का “महावत” बना दें तो ये आश्चर्य की बात नहीं होगी। SP और BSP की (MGB) से राजनीतिक समीकरण भी बिल्कुल अंटू के मुफीद बैठ रहा है। हालांकि चर्चा अभी घाटमपुर पालिका अध्यक्ष के पत्नी को प्रत्याशी बनाए जाने की हो रही है।


YOGESH TRIPATHI


[caption id="attachment_19024" align="alignnone" width="695"] अनंत मिश्रा (अटू), पूर्व मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार।[/caption]

गड़बड़ हो गई है MGB के वोटों गणित


महागठबंधन (MGB) के फार्मूले में अकबरपुर लोकसभा सीट बसपा के खाते में गई है। 2014 की मोदी लहर में यहां से बीजेपी के देवेंद्र सिंह भोले चुनाव जीते थे। पिछली बार सपा और बसपा चूंकि अलग-अलग लड़े थे लेकिन इस बार दोनों एक हैं। ऐसे में बसपा को जीत की संभावना काफी अधिक दिखाई दे रही है। हालांकि हाल के दिनों में यहां सपा काफी कमजोर हो चुकी है। ग्रामीण जिलाध्यक्ष समेत कई नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है। राकेश सचान के कांग्रेस में जाने से उनके समर्थक और जाति के वोटर किसको वोट करेंगे ? ये चुनाव परिणाम के बाद मालुम होगा। यही वजह है कि BSP के अंदरखाने में “गणित” लगाई जा रही है कि क्या अंटू जीत सकते हैं अकबरपुर लोकसभा की सीट ? तर्क दिए जा रहे हैं कि ब्राम्हण वोट के डॉयवर्ट होने से बसपा को उम्मींद है कि ये सीट वो जीत जाएगी।

त्रिकोणीय और बेहद रोमांचक हो जाएगा अकबरपुर का चुनाव


अकबरपुर का लोकसभा चुनाव बेहद रोमांचक और त्रिकोणीय होगा इसमें कोई शक नहीं है। वर्तमान में ये सीट बीजेपी के देवेंद्र सिंह भोले के पास है। भाजपा देवेंद्र सिंह भोले को रिपीट करेगी या फिर ये भी मुमकिन है कि वो किसी और को प्रत्याशी बना दे। कांग्रेस ने अपने पुराने “योद्धा” राजाराम पाल को पहले ही “चुनावी रण” में उतार दिया है। ऐसे में यदि अंटू मिश्रा चुनावी समर में उतरते हैं तो संघर्ष कांटे का होगा। वहीं, अंदरखाने से चर्चा है कि शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील पार्टी से एक कद्दावर नेता को चुनाव लड़ाया जा सकता है। इसके लिए पूरी कवायद जारी है। चर्चा है कि इस कद्दावर नेता का पूरा कुनबा पहले “समाजवाद की राह” पर चलते हुए समाजवादी पार्टी में था लेकिन फिलहाल अब शिवपाल सिंह के साथ है। इस यादव परिवार को भी हर गोरखधंधे से बचने के लिए “राजनीतिक छतरी” की आवश्यकता है। इस नेता ने यदि 50 हजार वोट भी काट दिए तो न सिर्फ चुनाव के समीकरण बदलेंगे बल्कि परिणाम भी चौंकाने वाला आ सकता है।

BSP अब फूंक-फूंक कर रख रही है हर कदम


घाटमपुर के पूर्व विधायक और फतेहपुर से पूर्व सांसद राकेश सचान कांग्रेस ज्वाइन कर चुके हैं। राकेश सचान की कुर्मी, कटियार और सचान के वोटरों पर काफी तगड़ी पकड़ है। अकबरपुर लोकसभा एरिया का एक बड़ा हिस्सा घाटमपुर विधान सभा के अंतर्गत आता है। ऐसे में माना जा रहा है कि राकेश सचान की वजह से इस जाति का एक बड़ा हिस्सा गठबंधन को वोट नहीं करेगा। सपा ग्रामीण के अध्यक्ष रहे महेंद्र सिंह यादव समेत करीब दर्जन भर नेता भी सपा को बॉय-बॉय कह चुके हैं। इसकी वजह से कानपुर देहात में समाजवादी पार्टी बेहद कमजोर हो चुकी है। इसका चुनाव में सीधा असर दिखेगा। यही वजह है कि बीएसपी यहां हर कदम फूंक-फूंक कर रख रही है। बीएसपी के कार्यकर्ता भी मान रहे हैं कि यदि अंटू मिश्रा चुनाव लड़ते हैं तो चुनाव जीतने में अधिक दिक्कत नहीं आएगी।

महाराजपुर से पत्नी को भी चुनाव लड़वा चुके हैं अंटू


अंटू मिश्रा के लिए अकबरपुर लोकसभा सीट इस लिए मुफीद बताई जा रही है क्यों कि इस लोकसभा के अंतर्गत ही महाराजपुर विधान सभा भी आती है। इस सीट पर अंटू मिश्रा 2007 में चुनाव लड़े लेकिन हार गए। 2012 के विधान सभा चुनाव में अजय प्रताप सिंह (अज्जू) का आखिरी वक्त पर टिकट काटकर बीएसपी ने अंटू मिश्रा की पत्नी शिखा मिश्रा को दे दिया। शिखा मिश्रा भी चुनाव हार गईं। महाराजपुर के साथ-साथ आसपास की विधानसभा एरिया में भी अंटू का प्रभाव है। जातीय समीकरण के लिहाज से बीएसपी ये मानकर चल रही है कि यदि राकेश सचान की वजह से कुर्मी, कटियार और सचान के कुछ वोट यदि नहीं मिलेगें तो भरपाई ब्राम्हण वोटरों से हो जाएगी। जो कि अंटू मिश्रा के आने के बाद डॉयवर्ट हो सकते हैं।


क्या है NRHM  और अंटू मिश्रा का कनेक्शन ?


बीएसपी सरकार के कार्यकाल में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा मिशन (NRHM) में करीब 10 हजार करोड़ रुपए का महाघोटाला हुआ था। इस मामले में कभी मायावती के करीबी रहे पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा समेत तमाम बड़े अफसर तिहाड़ जेल की रोटी खा चुके हैं। इस घोटाले की जांच कांग्रेस की सरकार ने सीबीआइ को सौंपी थी। सीबीआइ की छानबीन में पता चला कि अंटू जिस कंपनी का संचालन करते थे उस कंपनी के डॉयरेक्टर उनके माता-पिता थे। करीब 78 करोड़ रुपए के घोटाले का मामला प्रकाश में आया। CBI की स्पेशल कोर्ट में अंटू पेश हुए। इतना ही नहीं दो किश्तों में उन्होंने करीब 78 करोड़ रुपए की रकम भी जमा कर दी है। हालांकि मामला अभी कोर्ट में ट्रायल पर है।

 

 
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