"अपने-अपने दावे, अपने-अपने नाखुदा" के सहारे Kanpur (BJP) के कई दिग्गज लोकसभा टिकट के लिए दंभ भर रहे हैं। किसी पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) की “छतरी” है तो कोई संगठन और व्यापारियों को लामबंद कर टिकट मांग रहा है। दावे तो सभी के मजबूत हैं लेकिन टिकट किसी एक को ही मिलनी है। लोकल के करीब आधा दर्जन नेताओं ने तगड़ी दावेदारी पेश की है। www.redeyestimes.com (News Portal) को मिली जानकारी के मुताबिक BJP को Kanpur लोकसभा सीट पर किसी “भाग्यवान” “सिंकदर” की तलाश हैं। चर्चा इस बात की भी है कि BJP-RSS के कद्दावर रणनीति के तहत “SKY LAB” (बाहर से किसी बड़े चेहरे) को उतार सकती हैं।
YOGESH TRIPATHI
प्रत्याशिता की रेस में लगातार बने हैं कैबिनेट मंत्री सतीश महाना
यूपी सरकार में बेहद ताकतवर मंत्री सतीश महाना लोकसभा की प्रत्याशिता के रेस में लगातार बने हुए हैं। चर्चा चाहे जनता के बीच हो या फिर सत्ता के गलियारों में, सतीश महाना का नाम हर किसी की जुबान पर आता है। हालांकि खुद महाना ने अभी तक किसी भी स्तर पर दावेदारी पेश नहीं की है। बेहद गंभीर किस्म के सतीश महाना की प्रत्याशिता पर बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व भी काफी गंभीर है लेकिन अंदरखाने से जो खबरें आ रही हैं उसके मुताबिक तमाम वजहों से सतीश महाना अभी पूरी तरह से मूड नहीं बना पा रहे हैं। गौरतलब है कि सतीश महाना 2009 में कानपुर से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। तब उनको यूपीए के सरकार में गृहराज्य मंत्री रहे कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल ने हराया था। हाल के दिनों में एक कार्यक्रम के दौरान देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंच से सतीश महाना का नाम लेकर उनकी काफी तारीफ की थी। वे यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भी बेहद करीबी मंत्रियों में एक हैं।
सुरेंद्र मैथानी को दूर करवाना होगा कुंडली का “कालसर्प दोष”
कानपुर बीजेपी के उत्तर जिलाध्यक्ष सुरेंद्र मैथानी भी तगड़े दावेदार के रूप में हैं, लेकिन उनकी सबसे बड़ी समस्या उनकी “राजनीतिक कुंडली” में बने “कालसर्प दोष” की है। जानकारों की मानें तो इसी कालसर्प दोष की वजह से 2017 में सुरेंद्र मैथानी का किदवईनगर विधान सभा सीट से टिकट अंतिम समय में कट गया था। हालांकि खबरों की मानें तो सुरेंद्र मैथानी अपनी राजनीतिक कुंडली के कालसर्प दोष को दूर कराने के लिए नागपुर स्थित RSS के कार्यालय पर पूरी तरह से एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं। पोर्टल से बातचीत में मैथानी ने कहा कि दावेदारी कर रहे हैं लेकिन टिकट देना शीर्ष नेतृत्व के हाथों में हैं।
संगठन की ताकत सलिल विश्नोई के साथ
जनरलगंज सीट से कई बार विधायक रह चुके सलिल विश्नोई के पास संगठन की बड़ी ताकत है। संगठन मंत्री सुनील बंसल के वे बेहद करीबी लोगों में एक हैं। यही वजह रही कि उनके राज्यसभा की प्रत्याशिता पर भी मुहर लग गई थी लेकिन ऐन वक्त पर समीकरण गड़बड़ा गए। अंदरखाने की मानें तो यदि सुनील बंसल की चली तो सलिल विश्नोई को बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व प्रत्याशी बना सकता है।
व्यापारियों की हुंकार एक बार फिर मणिकांत जैन
यूं तो मणिकांत जैन पहली बार लोकसभा सीट के लिए दावेदारी नहीं कर रहे हैं। पहले भी वे कई बार दावा ठोंक चुके हैं लेकिन शीर्ष नेतृत्व ने उनके नाम के कभी गंभीरता से नहीं लिया। बताया जा रहा है कि व्यापारी एकता की दुहाई देकर मणिकांत जैन एक बार फिर टिकट मांग रहे हैं। मणिकांत जैन करीब तीन दशक पहले से लोहा व्यापार मंडल की राजनीति में सक्रिय हैं। तब उनके साथ सत्यदेव पचौरी भी सक्रिय रहते थे। दोनों साथ-साथ पदाधिकारी भी लोहा व्यापार मंडल में रह चुके हैं।
RSS की पहली पसंद हैं बैरिस्टर साहब की पौत्र वधू नीतू सिंह
नीतू सिंह का नाम वैसे सक्रिय राजनीति में नहीं है लेकिन बैरिस्टर साहब की पौत्रवधू होने और यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री सत्यदेव पचौरी की बेटी होने की वजह से वे बीजेपी, संगठन और RSS में किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। नीतू सिंह का नाम 2017 में हुए नगर निगम के चुनाव में तब चर्चा में आया था जब दावेदारों के बीच चल रही रस्साकशी के बीच शीर्ष नेतृत्व ने उनको बुलाकर टिकट देने की ठान ली थी। हालांकि अंतत: टिकट प्रमिला पांडेय को मिला और चुनाव भी जीतीं। बेहद करीबी लोगों की मानें तो नीतू सिंह के नाम पर खुद RSS मोहन भागवत समेत कई कद्दावर उनको प्रत्याशी बनाए जाने के पक्ष में हैं।
रेस से इस लिए बाहर हो गईं महापौर प्रमिला पांडेय
पिछले कुछ दिनों में प्रमिला पांडेय का नाम काफी तेजी से लोकसभा की प्रत्याशिता को लेकर चल रहा था। लेकिन फिलहाल वे रेस से करीब-करीब बाहर हो चुकी हैं। खबरों की मानें तो हाल के दिनों में महापौर प्रमिला पांडेय ने सरकारी गाड़ी छोड़ दी थी लेकिन उसके बाद उन्होंने फिर से ले ली। कुछ मौकों पर उनकी प्रतिक्रयाएं भी ठीक नहीं रहीं। एक ताकतवर मंत्री की तरफ से हाईकमान को ये बताया कि गया कि सत्ता पक्ष की महापौर रहने के बाद भी उनकी यह कार्यप्रणाली बेहद खराब रही और जनता के बीच संदेश गलत गया। इस लिए माना जा रहा है कि प्रमिला पांडेय का नाम हाईकमान गंभीरता से नहीं लेगा।
[caption id="attachment_18972" align="alignnone" width="695"] 90 के दशक में फिल्म "मैने प्यार किया" की अभिनेत्री भाग्यश्री का नाम भी चर्चा में है।[/caption]
भाग्यश्री, राजनाथ, अमित शाह हो सकते हैं “SKY LAB”
वैसे BJP के बारे में एक बात कही जाती है कि कब, किसको क्या बना दिया जाए ये किसी को नहीं मालुम रहता है। यही वजह है कि 2019 लोकसभा के “चुनावी शंखनाद” से पहले तमाम तरह की अटकले लगाई जा रही हैं। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को लखनऊ से कानपुर शिफ्ट कर चुनाव लड़ाने की चर्चाएं काफी लंबे समय से हो रही हैं।
राजनाथ सिंह की प्रत्याशिता को लेकर लंबे समय से तरह-तरह की चर्चाएं हैं। कहा जा रहा है कि लखनऊ की जगह उनको कानपुर या फिर गाजियाबाद से बीजेपी टिकट दे सकती है। वहीं, शनिवार को लखनऊ में आयोजित एक बड़े वैवाहिक समारोह में यूपी के पूर्व संगठन मंत्री और वर्तमान में एक बड़े प्रांत के संगठनमंत्री ने 90 के दशक की मशहूर बॉलीवुड अभिनेत्री भाग्यश्री के भी कानपुर से चुनाव लड़ाए जाने की चर्चा की। जानकारों की मानें तो भाग्यश्री के पारिवारिक संबध बीजेपी के इस बड़े नेता से हैं। तर्क ये दिया जा रहा है कि भाग्यश्री चूंकि बीजेपी की मेंबर हैं साथ ही उनके ससुराल पक्ष की कई रिश्तेदारियां भी कानपुर में हैं। इस लिए बीजेपी के ये बड़े नेता उनकी पैरवी में जुटे हैं।
चर्चा ये भी है कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी ऐसी सीट चाहते हैं कि जहां पर जाए बगैर ही वे आसानी से चुनाव जीत जाएं। ऐसे में लखनऊ और कानपुर ही काफी मुफीद सीट उनके लिए हो सकती है। खबर ये भी है कि केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन कानपुर की चर्चित चिकित्सक डॉ. आरती लाल चंदानी के लिए अंतिम समय में पैरवी कर सकते हैं। सूत्रों की मानें तो अगले महीने ही शायद उनका रिटयरमेंट भी है।
“खिचड़ी” पकने पर रिपीट हो सकते हैं “भीष्म पितामह”
चर्चाओं की मानें तो कानपुर से बीजेपी सांसद मुरली मनोहर जोशी ने अभी अपनी दावेदारी नहीं छोड़ी है। कयास लगाए जा रहे हैं कि यदि प्रत्याशिता को लेकर खिचड़ी पकी तो बीजेपी एक बार फिर से उनको रिपीट करने के बारे में सोच सकती है। हालांकि विपक्ष भी यही चाहता है कि जोशी को रिपीट किया जाए ताकि सीधा एडवांटेज कांग्रेस को मिले।
Best news and best portal.
जवाब देंहटाएं