Rafale Deal केस में बुधवार को एक नया ट्विस्ट आ गया। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए अटॉर्नी जनरल (AG) ने कोर्ट से कहा कि “Rafale Deal से जुड़े कुछ पेपर रक्षा मंत्रालय से चोरी हो गए हैं”। इसकी जानकारी जब विपक्षी दलों को हुई तो देश की राजनीति में एक बार फिर से Rafale का "बवंडर" आ गया। सोशल मीडिया में केंद्र सरकार की जमकर आलोचना की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने तीखी बहस के बाद सुनवाई की अगली तारीख 14 मार्च को मुकर्रर करते हुए हलफनामा देने की बात कही है। वहीं, राफेल डील के मुद्दे पर कांग्रेस एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर हो गई है। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने सरकार को घेरते हुए कहा कि साजिश का भंडाफोड़ हो गया है और चौकीदार की चोरी रंगे हाथों पकड़ी गई है।
YOGESH TRIPATHI
अटॉर्नी जनरल गुरुवार को देंगे हलफनामा
सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल (AG) से पूछा कि “क्या रक्षा मंत्रालय प्रमुख Rafale के चोरी हुए दस्तावेज पर हलफनामा दे सकता है कि जो दस्तावेज अखबारों और न्यूज एजेंसी ने इस्तेमाल किए हैं, वो चोरी किए गए हैं ? इस पर अटॉर्नी जनरल ने सहमति जताते हुए गुरुवार तक हलफनामा पेश करने की बात कही।
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रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ''अब साफ है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने देश व संसद को सफेद झूठ बोल जानबूझकर गुमराह किया ताकि राफेल सौदे में हुए भ्रष्टाचार, जालसाजी व देश की सुरक्षा से षडयंत्रकारी खिलवाड़ पर पर्दा डाला जा सके। साजिश का भंडाफोड़ हुआ और चौकीदार की चोरी रंगे हाथों पकड़ी गई''।
“मामला राजनीतिक है इस लिए संयम बरते कोर्ट”
केंद्र सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए अटॉर्नी जनरल (AG) के.के वेणुगोपाल ने अदालत से कहा कि “कोर्ट के बयान का विपक्ष राजनीतिक इस्तेमाल कर सकता है। कोर्ट को इस तरह की कवायद के लिए पक्षकार क्यों बनना चाहिए ? इसलिए मैं कोर्ट से अपील करता हूं कि वो इस मामले में संयम बरते। उन्होंने कहा कि रक्षा खरीद की न्यायिक जांच नहीं हो सकती है।”
प्रशांत भूषण और अरुण शौरी ने कहीं ये बातें
AG की दलीलों का जवाब देते हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि “मैंने पहले भी 2G जैसे मामलों में CBI चीफ रंजीत सिन्हा के घर पर एंट्री रजिस्टर जैसे कई अहम दस्तावेज व्हीसल ब्लोअर की तरह कोर्ट के सामने पेश किए और कोर्ट ने उन पर संज्ञान भी लिया था। उन्होंने कहा कि राफेल मामले में सिर्फ एक ही दस्तावेज ऐसा है जिसका स्रोत हमें मालूम नहीं है।
वहीं, याचिकाकर्ता अरुण शौरी ने कहा, 'ये हमारा दायित्व है कि कोर्ट को बताया जाए कैसे सरकार कोर्ट को गुमराह कर रही है। सब ये दस्तावेज देख चुके हैं तो AG कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट इन्हें नहीं देख सकता।'
सरकार ने कहा चोरी हुए राफेल के कागज
सुनवाई के दौरान AG केके वेणुगोपाल ने कहा कि जिन गोपनीय कागजों को अखबार ने छापा है उसको लेकर कार्रवाई होनी चाहिए. अटॉर्नी जनरल ने कहा कि कुछ डॉक्यूमेंट को रक्षा मंत्रालय से चोरी किया गया और आगे बढ़ाए गए. उन्होंने कहा कि ये केस काफी अहम है. अखबार ने कुछ गोपनीय जानकारी सार्वजनिक कर दी हैं. AG ने कोर्ट को बताया कि दूसरे देशों से सरकार के रिश्ते RTI के एक्ट से भी बाहर हैं, लेकिन अखबार ने सभी बातों को सार्वजनिक किया जो कि एक गुनाह है.
अटॉर्नी जनरल के.के वेणुगोपाल ने कहा कि राफेल सौदे पर अगर न्यायिक समीक्षा होती है तो भविष्य की खरीद पर असर पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि विदेशी कंपनियों को इस बारे में विचार करना पड़ेगा। उन्होंने समझाया कि अभी हमें संसद, मीडिया और कोर्ट की कार्रवाई को पार करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि मीडिया की तरफ से कोर्ट को प्रभावित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि 22 पायलट हर महीने राफेल उड़ाने की ट्रेनिंग लेने के लिए फ्रांस जाने वाले थे। लेकिन सारी प्रक्रिया ठप हो गई है, इससे देश को भारी नुकसान हुआ है। वेणुगोपाल ने कहा कि अखबार को उनका सोर्स बताना चाहिए और इस याचिका को रद्द करना चाहिए क्योंकि ये चोरी किए गए कागजों पर आधारित है।
“भ्रष्टाचार हुआ है तो जांच हर कीमत पर होगी होगी”
जस्टिस के.एम जोसेफ ने सुनवाई के दौरान बड़ी टिप्पणी की। उन्होंने केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए अटॉर्नी जनरल के.के वेणुगोपाल से कहा कि “क्या आप कह रहे हैं कि भ्रष्टाचार की जांच सिर्फ इसलिए ना हो कि सोर्स असंवैधानिक है। हमें सबूतों की जांच करनी होगी। उन्होंने कहा कि चोरी किए गए सबूत भी महत्वपूर्ण हैं, इसकी जांच होना आवश्यक है।”
CJI ने पूछा क्यों नहीं की कार्रवाई ?
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने AG के.के वेणुगोपाल से पूछा है कि “यदि आपको लगता है कि राफेल के कागज चोरी हुए हैं और अखबारों ने चोरी किए हुए कागजों पर लेख लिखे हैं तो सरकार ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की ?
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