अमेठी और बरेली के बाद Delhi में UP के किसी लोकसभा सीट की सबसे अधिक चर्चा होती है तो वो है Kanpur की संसदीय सीट। ब्राम्हण बाहुल्य इस सीट पर कांग्रेस कई बार विजय का पताका फहरा चुकी है। तीन बार कानपुर सीट को जीतने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल मोदी लहर के चलते 2014 का चुनाव हार गए थे। 2019 के चुनावी “शंखनाद” में अब महज कुछ ही दिन बचे हैं। ऐसे में कांग्रेस हाईकमान एक बार पुन: अपनी इस पुरानी सीट को वापस पाने के लिए “शतरंज की बिसात” बिछाने में जुट गया है। खबरों और चर्चाओं की मानें तो हाईकमान ब्राम्हण कार्ड खेलने का मन पूरी तरह से बना चुका है। चर्चा ये भी है कि BJP के प्लान A, B, C का जवाब देने कांग्रेस पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ पत्रकार राजीव शुक्ला को प्रत्याशी बना सकती है। जानकारों की मानें तो ब्राम्हण जाति के राजीव शुक्ला कांग्रेस के लिए “मॉस्टर स्ट्रोक” साबित हो सकते हैं।  


[caption id="attachment_18849" align="aligncenter" width="594"] राजीव शुक्ला वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और IPL चेयरमैन।[/caption]

YOGESH TRIPATHI


Kanpur से शुरु की थी पत्रकारिता


पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला का Kanpur से पुराना नाता है। नब्बे के दशक में जब उन्होंने आजक चैनल को ज्वाइन किया लेकिन उससे पहले उन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत कानपुर से ही की थी। उनके साथ Work कर चुके शहर के वरिष्ठ पत्रकारों की मानें तो 90 के दशक में जब दूरदर्शन पर जब आज तक चैनल का प्रसारण शुरु हुआ तो श्रीशुक्ला ने दिल्ली की तरफ अपना रुख किया। दिल्ली में पत्रकारिता के साथ-साथ उन्होंने राजनीति में एंट्री कर ली। राज्यसभा सदस्य के बाद वे केंद्रीय मंत्री भी बने। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) में तमाम पदों पर रहे। इस समय वे IPL के चेयरमैन हैं।

[caption id="attachment_18850" align="aligncenter" width="581"] राजीव शुक्ला से बातचीत करते हुए Kanpur कांग्रेस कमेटी के नेता संदीप शुक्ला।[/caption]

 

कांग्रेस हाईकमान बना चुका है Observer


मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कांग्रेस हाईकमान ने राजीव शुक्ला को कानपुर लोकसभा सीट का Observer (अवलोकनकर्ता)  कुछ दिन पहले ही बनाया है। बुधवार को कानपुर पहुंचे राजीव शुक्ला ने तिलकहाल में कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर उनके साथ चर्चाएं कीं। खबरों की मानें तो कांग्रेस के पुराने कार्यकर्ताओं से वे समय-समय पर उनका हालचाल लेते रहते हैं। यही वजह है कि करीब 6 महीना पहले शिक्षक पार्क में चल रहे कांग्रेस के धरने में अचानक शामिल होकर उन्होंने सभी को चौंका दिया था।


एक तीर से कांग्रेस करेगी कई शिकार"


राजनीति के जानकारों की मानें तो राजीव शुक्ला प्रत्याशी बनते हैं तो कांग्रेस एक तीर से कई “शिकार” करेगी। तीन धड़ों में बंट चुकी कांग्रेस की गुटबाजी राजीव शुक्ला के चुनावी मैदान में उतरने से पूरी तरह खत्म हो होगी। दूसरा ये कि सभी कार्यकर्ता और नेता पूरी मेहनत के साथ उनको चुनाव लड़ाएंगे। तीसरा यह कि 6 लाख ब्राम्हण और करीब 4 लाख मुस्लिम वोटरों के बीच राजीव शुक्ला काफी हद तक सेंधमारी भी करने में सफल हो सकते हैं। शहर के दक्षिण एरिया में उनका परिवार रहता है। ये एरिया और इसके आसपास के क्षेत्र बीजेपी बाहुल्य हैं। ऐसे में यदि राजीव शुक्ला चुनाव में उतरते हैं तो निश्चित तौर पर कांग्रेस इसका सीधा एडवांटेज लेगी।

4 दशक पहले कांग्रेस खेल चुकी है ब्राम्हण-मुस्लिम कार्ड


कानपुर लोकसभा सीट कांग्रेस कई बार जीत चुकी है। 80 के चुनाव में यहां से आरिफ मोहम्मद खां चुनाव लड़े और जीते भी। हालांकि आरिफ कानपुर के नहीं थे, बल्कि उनकी ससुराल यहां पर थी। 84 के चुनाव में कांग्रेस ने ब्राम्हण कार्ड खेलते हुए दादा नरेश चंद्र चतुर्वेदी को चुनाव लड़ाया। इंदिरा गांधी की हत्या के चलते लहर कांग्रेस की थी और दादा भारी मतों से चुनाव जीते। 89 का चुनाव काफी रोचक रहा। मिल बंदी और मजदूरों की आवाज बुलंद करने वाली कम्युनिस्ट पार्टी की सुभाषिनी अली ने बीजेपी के कैप्टन पंडित जगतवीर सिंह द्रोण को हराकर चुनाव जीता। उसके बाद के चुनाव में द्रोण जी यहां से कई बार चुनाव जीते। 99 में कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल ने जगतवीर सिंह द्रोण को हराने के बाद यह सीट बीजेपी से छीनकर कांग्रेस को दी। श्रीप्रकाश लगातार तीन बार सांसद बने। 2014 में मोदी लहर के चलते वे चुनाव हार गए। 80 के पीछे जाएं तो उन्नाव के दिग्गज नेता मनोहर लाल इमरजेंसी के दौरान यहां से चुनाव जीते। उससे पहले निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर एसएम बनर्जी कई बार सांसद बने। हरिहर नाथ शास्त्री कानपुर के पहले सांसद बने थे।

BJP के A,B, C फार्मूला का हर तोड़ ढूंढ रही है कांग्रेस


चुनाव से पहले ही राजनीतिक दलों में शह और मात देने का सिलसिला शुरु हो चुका है। दोनों ही बड़े राजनीतिक दलों ने अपने प्लान बना रखे हैं। कौन सा नेता कहां से चुनाव लड़ रहा है। उस नेता के खिलाफ अपना कौन सा योद्धाया सेनापतिउतारना है। राजनीति के जानकारों की मानें तो जिस तरह से कांग्रेस और गठबंधन के दल नरेंद्र मोदी की घेराबंदी कर रहे हैं, उसकी वजह से भाजपा ऐन वक्त पर उन्हें अटल जी की पुरानी और अपनी परंपरागत सीट लखनऊ से उतार सकती है। ऐसे में फिर राजनाथ सिंह कहां से लड़ेंगे ? चर्चा है कि राजनाथ सिंह को कानपुर से बीजेपी उतार सकती है। राजनाथ सिंह के कानपुर से लड़ने पर कांग्रेस किसी लोकल नेता को टिकट न देकर राजीव शुक्ला को अपना प्रत्याशी बनाएगी। ऐसे में राजनाथ सिंह के लिए इतना आसान नहीं होगा चुनाव जीतना।

Kanpur सीट से ये दिग्गज कर रहे हैं दावेदारी


कानपुर लोकसभा सीट से कई दिग्गज दावेदारी पेश कर रहे हैं। हालांकि अभी तक जो नाम सामने आए हैं उनमें किदवई नगर के पूर्व विधायक अजय कपूर, आलोक मिश्रा, और हर प्रकाश अग्निहोत्री, प्रमोद जायसवाल, पवन गुप्ता, ममता तिवारी हैं। हालांकि तीन बार यहां से सांसद रह चुके श्रीप्रकाश जायसवाल ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। हालांकि जनता और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की पहली पसंद वही हैं। इसके संकेत कार्यकर्ताओं ने बुधवार को आए राजीव शुक्ला को भी दिया।10 जनपथ में सीधी पहुंच रखने वाले श्रीप्रकाश जायसवाल को कांग्रेस हाईकमान कोई बड़ी जिम्मेदारी दे सकता है। इतना ही नहीं हाईकमान को भी श्रीप्रकाश जायसवाल को नजरअंदाज करके किसी को प्रत्याशी नहीं बनाएगा।

राजीव शुक्ला को यदि सिर्फ रिपोर्ट भेजनी पड़ी तो....


फिलहाल राजीव शुक्ला को हाईकमान ने आब्जर्वर ही बनाया है। मतलब साफ कि यहां की दावेदारों के साथ-साथ कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोल रिपोर्ट देने का काम उनको सौंपा गया है। खबरों की मानें तो शहर से अभी तक 8 लोगों ने अपनी दावेदारी ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास भेजी है। राजीव शुक्ला के पूर्व विधायक अजय कपूर से पारिवारिक रिश्ते हैं साथ ही आलोक मिश्रा से भी उनकी काफी निकटता है। श्रीप्रकाश जायसवाल से भी उनके ताल्लुक काफी पुराने हैं। उसमें में इन दावेदारों की रिपोर्ट हाईकमान को भेजना उनके लिए टेढ़ी खीर ही साबित होगी। शायद यही वजह है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्य प्रदेश के अपने एक करीबी नेता को राजीव शुक्ला के कोआर्डिनेशन के लिए साथ लगाया है। साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कानपुर देहात की अकबरपुर लोकसभा सीट के लिए मध्य प्रदेश के दतर सिंह मीणा को आब्जर्वर बनाया है।

 

 
Axact

Axact

Vestibulum bibendum felis sit amet dolor auctor molestie. In dignissim eget nibh id dapibus. Fusce et suscipit orci. Aliquam sit amet urna lorem. Duis eu imperdiet nunc, non imperdiet libero.

Post A Comment:

0 comments: