Kanpur नगर निकाय का चुनाव अब अपन पूरे शबाब पर पहुंच चुका है। कुछ घंटे बाद ही चुनाव प्रचार भी बंद हो जाएगा। प्रत्याशी न तो जुलूस निकाल सकेंगे और न ही उनके प्रचार वाहन शोर मचा सकेंगे। सिर्फ चरण वंदना का दौर ही चलेगा। भाजपा के अधिकांश पार्षद प्रत्याशियों ने अपने चुनाव प्रचार की सामग्री पर BJP की तीन धरोहरों में एक मुरली मनोहर जोशी (सांसद, कानपुर) की फोटो और नाम का उल्लेख करना भी मुनासिब नहीं समझा। पार्षद प्रत्याशी ही नहीं मेयर प्रत्याशी प्रमिला पांडेय के चुनाव सामग्री पर भी मुरली मनोहर जोशी कहीं नहीं दिखे। सिर्फ अखबारों में दिए गए विज्ञापनों पर ही वर्तमान सांसद मुरली मनोहर जोशी की फोटो लगी है। मुरली मनोहर जोशी के साथ ही निवर्तमान मेयर कैप्टन पंडित जगतवीर सिंह द्रोण भी निकाय चुनाव में प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार सामग्री से गायब हैं।
YOGESH TRIPATHI
कानपुर। BJP की तीन धरोहर। अटल, आडवाणी, मुरली मनोहर। नब्बे के दशक में भाजपा का यह नारा न सिर्फ बीजेपी के कार्यकर्ताओं बल्कि बच्चे-बच्चे की जुबां पर होता था लेकिन समय के करवट बदलने के साथ भाजपा के कार्यकर्ता और नेता इस नारे को भूल चुके हैं। सिर्फ नारा ही नहीं Kanpur के भाजपाई इन तीन धरोहरों में एक मुरली मनोहर जोशी को भी पूरी तरह से भुला चुके हैं। मुरली मनोहर जोशी बीजेपी के वरिष्ठ लीडर होने के साथ-साथ Kanpur से लोकसभा सदस्य भी हैं। नगर निकाय का चुनाव लड़ रहे 109 पार्षद प्रत्याशियों में इक्का-दुक्का को छोड़कर किसी प्रत्याशी ने BJP के इस “पितामह” की PHOTO को अपने पंम्पलेट, बैनर या पोस्टर में लगाना उचित नहीं समझा।
निवर्तमान मेयर जगतवीर सिंह द्रोण की PHOTO भी नहीं दिख रही
सिर्फ कानपुर के सांसद मुरली मनोहर जोशी ही नहीं Kanpur के भाजपाइयों ने शहर की राजनीति में लंबे समय से सक्रिय निवर्तमान मेयर कैप्टन पंडित जगतवीर सिंह द्रोण को भी हाशिए पर रख दिया। अधिकांश पार्षद प्रत्याशियों ने उनकी फोटो या नाम को अपने पंपलेट और बैनर में जगह नहीं दी। सिर्फ पार्षद ही नहीं मेयर प्रत्याशी प्रमिला पांडेय की तरफ से सभी अखबारों में छपे विज्ञापनों में मुरली मनोहर जोशी की फोटो तो है लेकिन निवर्तमान मेयर की फोटो और नाम गायब है। कैप्टन पंडित जगतवीर सिंह द्रोण सिर्फ मेयर ही नहीं बल्कि कानपुर के पूर्व सांसद भी रहे हैं। शहर के नेताओं में उनका अपना एक अलग स्थान और मुकाम है। अब सवाल यह उठता है कि बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता आखिर दो बड़े दिग्गज नेताओं के साथ ऐसा सौतेला बर्ताव क्यों कर रहे हैं ? यह सवाल बीजेपी के कई बड़े नेताओं से किया गया लेकिन किसी ने इस मुद्दे पर बेबाकी से जवाब न देते हुए गोलमोल बात कही।
[caption id="attachment_18345" align="aligncenter" width="640"] मुरली मनोहर जोशी (पूर्व केंद्रीय मंत्री, सांसद कानपुर)[/caption]
पहले भी हो चुका है “पितामह” का अपमान
बीजेपी की तीन धरोहरों में एक मुरली मनोहर जोशी (पितामह) के साथ यह सौतेला व्यवहार पहली बार नहीं हुआ है। इसके पहले भी समय-समय पर बीजेपी के कार्यकर्ता, नेता और संगठन के कई पदाधिकारी उनके साथ इस तरह का व्यवहार कर चुके हैं। एक महीना पहले प्रांतीय अधिवेशन में भी मुरली मनोहर जोशी को कोई तवज्जो नहीं दी गई थी। उसके पहले जब सीएम कानपुर आए थे तो बीजेपी की तरफ से बांटे गए आमंत्रण पत्र में शहर के दो मंत्रियों का स्थान सांसद मुरली मनोहर जोशी से काफी ऊपर रखा गया था।
मोदी मैजिक गायब, “वोट अटल को, वोट कमल को” पुराना नारा चला रहे भाजपाई
देश का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मैजिक नगर निकाय के चुनाव में देखने को नहीं मिल रहा है। लोकसभा और विधान सभा के चुनाव में भाजपाइयों की जुबां पर सिर्फ मोदी-मोदी ही रहते थे। हर-हर मोदी, घर-घर मोदी का नारा भाजपाई अब भूल चुके हैं। करीब दर्जन भर से अधिक बीजेपी पार्षद प्रत्याशियों के जुलूस और जनसंपर्क के दौरान www.redeyestimes.com पोर्टल ने काफी बारीकी से इन बातों को गौर किया। जनसंपर्क के दौरान कार्यकर्ता काफी पुराना नारा ही लगाते नजर आ रहे हैं। वोट अटल को. वोट कमल को। इसके बाद दूसरा नारा जयश्रीराम।
विकास कार्यों की उपलब्धियां भी नहीं गिना पा रहे पार्षद प्रत्याशी
भारतीय जनता पार्टी की मेयर प्रत्याशी प्रमिला पांडेय समेत तमाम पार्षद प्रत्याशी Kanpur की जनता के सामने वोट तो मांग रहे हैं लेकिन नगर निगम के पिछले कार्यकाल के दौरान कराए गए विकास कार्यों का ब्यौरा वह जनता के सामने नहीं रख पा रहे हैं। सबसे अहम बात यह है कि कुछ पार्षद प्रत्याशियों को यदि छोड़ दें तो अधिकांश प्रत्याशी जनता के सामने अपने वादे भी ठीक ढंग से नहीं रख पा रहे हैं। चुनाव जीतने के बाद जनता के लिए वह क्या काम करेंगे ? क्षेत्र की जनता को क्या सौगात दिलाएंगे ? कौन सी बड़ी समस्या को वह दूर करेंगे ? यह भी नहीं बता पा रहे हैं। सिर्फ कमल का फूल ही बता रहे हैं।
अपने ही गढ़ में मात खा सकती हैं मेयर प्रत्याशी प्रमिला पांडेय
मेयर प्रत्याशी प्रमिला पांडेय को कांग्रेस प्रत्याशी बंदना मिश्रा कड़ी टक्कर दे रही हैं। चुनाव से पहले जिस चुनाव को भाजपाई बेहद हल्के में ले रहे थे वो अब काफी भारी दिख रहा है। चुनाव पूरे शबाब पर पहुंच चुका है। लेकिन अभी भी बीजेपी के कई ऐसे प्रमुख गढ़ हैं जहां मेयर प्रत्याशी या फिर उनके समर्थक जनसंपर्क करने या फिर वोट मांगने नहीं पहुंचे हैं। साउथ सिटी के तमाम मोहल्ले और बस्तियां ऐसी हैं जहां बीजेपी के बड़ी संख्या में मतदाता हैं। लेकिन सभी में निराशा के साथ आक्रोश भी है। आक्रोश इस बात का है कि जब चुनाव से पहले नहीं आईं तो चुनाव के बाद क्या आएंगी ? राजनीति के जानकार पंडितों की मानें तो यदि वोटर ने वोट के दौरान अपना आक्रोश दिखा दिया तो बीजेपी प्रत्याशी का चुनाव फंस भी सकता है।
कई मोहल्लों में तो BJP के पार्षद प्रत्याशी भी नहीं पहुंचे मतदाताओं के पास
मेयर प्रत्याशी का तो एरिया काफी बड़ा होता है। उसे पूरे शहर की कई विधान सभा को कवर करना रहता है लेकिन छोटे से वार्डों में कई जगहों पर पार्षद प्रत्याशी भी अपने मतदाता के बीच नहीं पहुंच सके हैं। सूत्रों की मानें तो प्रत्याशी यह सोच रहे हैं कि यह वोटर तो भाजपा का ही है आखिर कछ भी वोट तो बीजेपी को ही देगा। शायद यही वजह है कि प्रत्याशी अपने परंपरागत मतादाता के बीच नहीं पहुंच पाए। अब वो चाहकर भी कुछ नहीं कर पाएंगे। क्यों कि आज ही देऱ शाम से चुनाव प्रचार खत्म हो रहा है। ऐसे में यह बिल्कुल तय है कि कई प्रत्याशियों को उनकी आराम तलबी वोटिंग के दौरान भारी पड़ेगी।
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