नगर निकाय चुनाव में जिला निर्वाचन और जिला प्रशासन पूरी तरह से आंख बंद किए बैठा है। प्रत्याशी और उनके समर्थक बेखौफ होकर आदर्श चुनाव आचार संहिता की बखिया उधेड़ने में जुटे हैं। इसमें सबसे आगे बीजेपी के प्रत्याशी हैं।बीजेपी के प्रत्याशियों को तो ऐसा लग रहा है कि जैसे प्रशासन ने गोद ले रखा है। यकीन नहीं आता तो वार्ड नंबर 60 से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी जितेंद्र गांधी को ले लीजिए। तीन साल से वह Police के अभिलेखों में WANTED है। कोर्ट से 82 की नोटिस जारी है। फिर भी नामांकन करवाने के बाद वह बेखौफ होकर जनता के बीच वोट मांग रहा है। सबकुछ जानने के बाद भी जिला पुलिस और प्रशासन पूरी तरह से खामोशी की चादर ओढ़े हुए है। इन सबके बीच कई पार्षद प्रत्याशी हर रोज आचार संहिता का उल्लंघन कर पूड़ी-तरकारी बांट मतदाताओं को रिझा रहे हैं।
YOGESH TRIPATHI
कानपुर। नगर निकाय का चुनाव धीरे-धीरे अपने शबाब पर पहुंच रहा है। इसके साथ ही प्रत्याशी मतदाताओं को रिझाने की कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। कई जगहों पर प्रत्याशी मतदाताओं को रिझाने के चक्कर में आदर्श आचार संहिता को भी तार-तार कर रहे हैं। Kanpur के South City की सबसे चर्चित सीट वार्ड नंबर 93 है। यहां पर बामुश्किल BJP से टिकट पाए नवीन पंडित ने एक बार फिर शिगूफा छोड़ते हुए पुरानी “नौटंकी” चालू कर दी है। नवीन 10 रुपए के कीमत वाले स्टांप पेपर पर विकास के तमाम वादे कर उसकी फोटो कापी चुनाव प्रचार के दौरान बांट रहे है। यह स्टांप पेपर अब सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है। जानकारों की मानें तो यह नवीन की पुरानी नौटंकी है। पहले वह वोटिंग वाले दिन वोटर के घर में ऐसे ही स्टांप की फोटो कापी फेंकवाते थे लेकिन इस बार वह बांट रहे हैं।
विधि विशेषज्ञों की राय में यह आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है
बीजेपी प्रत्याशी नवीन पंडित ने 10 रुपए के स्टांप पेपर में लिखा है कि वह वार्ड 93 से बीजेपी के प्रत्याशी हैं। पूर्व में वह यहां से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीत चुके हैं। उन्होंने स्टांप पेपर पर तमाम लोक-लुभावने वादे भी किए हैं। साथ ही अंत में यह भी लिखा है कि यदि वह इन कार्यों पर खरे नहीं उतरे तो उनका इस्तीफा क्षेत्र की जनता स्वयं ले सकती है।
आखिर स्टांप पेपर की आवश्यकता क्यों पड़ी ?
कई बार पार्षद रह चुके नवीन पंडित की तरफ से स्टांप पेपर पर विकास के वादे कर उसे बांटने की बात पर क्षेत्र के वोटरों का कहना है कि यह गलत है। कुछ लोगों का कहना है कि नवीन को अब खुद पर भरोसा नहीं रह गया है। इसी लिए वह इस तरह की हरकतें कर रहे हैं। स्टांप पेपर पर आचार संहिता को तार-तार करना भी काफी गलत है। सवाल यह भी उठता है कि जिन विकास कार्यों की बात वह स्टांप पेपर पर लिख वोटरों के बीच बांट रहे हैं, उसे अपने पुराने कार्यकाल में क्यों नहीं कराया ? बीजेपी के ही एक नेता का कहना है कि यदि काम कराए होते तो यह नौबत क्यों आती ?। एक कार्यकर्ता ने कहा कि यह नवीन पंडित की पुरानी परंपरा है। वोट वाले दिन वह स्टांप पेपर पर ऐसे ही लिखकर लोगों के घरों में फेंकवाते हैं। कुछ मतदाताओं ने कहा कि फोटो कापी क्यों बांट रहे हैं ? कल को मुकर जाएं तो हम किससे इस्तीफा मांगेगे ?
10 रुपए के स्टांप की नोटरी भी नहीं कराई
वादों वाले स्टांप पेपर की नोटरी भी नहीं कराई गई है। सूत्रों की मानें तो स्टांप पेपर पर चुनाव आचार संहिता लगने के बाद हाथ से लिखकर उसकी फोटो करा बांटा जा रहा है। जानकारों की राय मे नियमतः यह विधि विरुद्ध होने के बाद साथ ही आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन भी है।
हाईटेक चुनाव लड़ रहे गुरु देवेंद्र सब्बरवाल से है “मुकाबला”
नवीन पंडित के सामने कांग्रेस ने अपने पुराने “योद्धा” देवेंद्र सब्बरवाल पर विश्वास जताते हुए प्रत्याशी बनाया है। देवेंद्र सब्बरवाल वैसे तो नवीन के गुरु हैं। नवीन को राजनीति में लाने वाले वही हैं। चेले को सामने देख देवेंद्र ने अपना चुनाव हाईटेक करते हुए सोशल मीडिया पर जंग छेड़ दी है। देवेंद्र अब जहां जा रहे हैं वहीं से लाइव वीडियो फेसबुक पर अपलोड कर वोटरों से वोट और सपोर्ट की अपील कर रहे हैं।
पंजाबी वोटर तय करेगा अपना पार्षद
वार्ड नंबर-93 में वैसे तो सभी जाति और धर्म के मतदाता हैं लेकिन निर्णायक वोटर पंजाबी है। आंकड़ों पर गौर करें तो पंजाबी बाहुल्य इस सीट पर जिधर पंजाबी मतदाता झुकेगा, चुनाव वही प्रत्याशी जीतेगा। देवेंद्र सब्बरवाल पंजाबी हैं। उनको पूर्व विधायक अजय कपूर चुनाव लड़ा रहे हैं। कई अन्य पंजाबी नेता भी देवेंद्र सब्बरवाल के लिए खुलकर वोट मांगते दिखाई दे रहे हैं।
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