वार्ड नंबर 74 श्याम नगर छावनी विधान सभा एरिया के अंतर्गत आता है। यहां मुस्लिम के साथ सभी जाति के मतदाता हैं लेकिन ब्राम्हण वोटर सर्वाधिक हैं। यहां ब्राम्हण वोटर करीब सात हजार के आसपास है। इस वार्ड से यूपी विधान सभा के चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी रघुनंदन सिंह भदौरिया को करारी हार का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस प्रत्याशी सोहेल अंसारी को यहां वोटरों ने पसंद किया था।
[caption id="attachment_18281" align="aligncenter" width="585"] बुजुर्गों और युवाओं के साथ वार्र्ड नंबर 74 के एरिया में संपर्क करते निर्दलीय प्रत्याशी वरुण यादव।[/caption]
YOGESH TRIPATHI
कानपुर। करीब 24 हजार की आबादी वाले वार्ड नंबर-74 में राजनीतिक दल के प्रत्याशियों के प्रति मतदाताओं का “मूड” करीब-करीब “Off ” है। उसके पीछे सबसे बड़ी वजह वार्ड की कई मूलभूत समस्याए हैं। इस वार्ड में कई पॉश इलाके भी शामिल हैं। यही वजह है कि मतदाताओं का समर्थन पूरी तरह से न मिलने के कारण राजनीतिक दल के प्रत्याशियों का चुनाव अभी पूरे शबाब पर नहीं पहुंच सका है। निर्दलीय प्रत्याशी वरुण यादव का चुनाव प्रचार के साथ मतदाताओं में भी ठीक-ठाक पकड़ बनाए हुए अभी तक दिख रहे हैं। इनको टक्कर दे रहे हैं कांग्रेस प्रत्याशी राजीव सेतिया। सपा और बीजेपी के प्रत्याशी चुनाव को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में जुटे हैं। संभव है कि वोटिंग से पहले यहां पर चुनाव त्रिकोणीय हो सकता है लेकिन अभी तक की लड़ाई सीधी दिख रही है।
करीब 24 हजार मतदाता चुनेंगे अपना पार्षद
वार्ड नंबर-74 श्यामनगर में करीब 24 हजार मतदाता हैं। ये मतदाता 22 नवंबर को अपना पसंदीदा पार्षद चुनेंगे। वार्ड में रक्षा बिहार, श्यामनगर के कई ब्लाक, कृष्णानगर, गिरिजा नगर, गदियाना, रामपुरम समेत कई मोहल्ले हैं। इसमें तीन यादव बाहुल्य एरिया भी हैं।
ब्राम्हण वोट बैंक तय करेगा प्रत्याशी का भविष्य
यूं तो वार्ड में करीब 24 हजार वोटर हैं लेकिन 33 फीसदी के करीब ब्राम्हण वोट बैंक इस वार्ड में हैं। राजनीति के पंडितों की मानें तो सात हजार के करीब ब्राम्हण मतदाता जिस तरफ झुकेगा। वही प्रत्याशी मोतीझील पहुंचेगा। इसके बाद यादव वर्ग का नंबर आता है। यहां यादव वोटर भी काफी अधिक संख्या में है।
निर्दलीय प्रत्याशी वरुण यादव बने हैं युवाओं की पहली पसंद
लंबे समय से क्षेत्र के सामाजिक गतिविधियों में बढ़-चढ़कर अपनी भागीदारी दे रहे निर्दलीय प्रत्याशी वरुण यादव वार्ड के युवाओं की पहली पसंद बने हैं। सामाजिक सेवा से हमेशा जुड़े रहने वाले वरुण को क्षेत्र के युवाओं के साथ पढ़े लिखे वर्ग का भी तगड़ा समर्थन मिल रहा है। शायद यही वजह है कि उनका चुनाव दलीय प्रत्याशियों के मुकाबले काफी आगे दिख रहा है। कई मोहल्लों में उन्हें तगड़ा समर्थन मिल रहा है। वरुण का मृदुभाषी व्यवहार और सामाज के हर वर्ग में तगड़ी पकड़ चुनाव में अहम भूमिका निभा सकती है। यदि पिछले चुनावों के ट्रैक को देखें तो साफ है कि यहां के मतदाता निर्दलीय प्रत्याशियों को भी पसंद करते हैं। यह बात वरुण के पक्ष में जाती दिख रही है। उल्लेखनीय है कि यहां से पहले भी मतदाता निर्दलीय प्रत्याशी को चुनाव में विजयश्री की माला पहना चुके हैं।
दलीय प्रत्याशियों में कांग्रेस प्रत्याशी राजीव सेतिया हैं भारी
कांग्रेस ने राजीव सेतिया को इस वार्ड से अपना प्रत्याशी घोषित किया है। राजीव सेतिया के पिता मदन लाल सेतिया भी पार्षद रहे थे। पिता की छवि के साथ राजीव अपने व्यवाहर और चुनाव प्रचार से चुनाव को गति दिए हुए हैं। अभी तक चुनाव प्रचार में निर्दलीय प्रत्याशी वरुण यादव से उनकी सीधी टक्कर दिखाई दे रही है। राजीव को इस बात का भी एडवांटेज मिल रहा है कि विधान सभा के चुनाव में इस वार्ड से कांग्रेस प्रत्याशी सोहैल अहमद ने जीत दर्ज की थी।
सपा ने दिया है एहसान खां को टिकट
समाजवादी पार्टी ने इस सीट से एहसान खां को टिकट दिया है। एहसान खां की बेगम पिछले चुनाव में यहां रनर थी लेकिन इसके बाद भी अभी तक वह क्षेत्र की जनता में पकड़ नहीं बना पा रहे हैं। एहसान खां के खिलाफ एक निगेटिव बात यह सामने आ रही है कि उनके खिलाफ कई अपराधिक मुकदमें दर्ज हैं। जहां पर उनका तगड़ा वोट बैंक है वहां अंदर ही अंदर विरोध भी चल रहा है। गदियाना एरिया जो सपा का वोट बैंक माना जाता है वहां पर सपा प्रत्याशी को लेकर जनता के बीच कई तरह की राय बनी है। अभी तक के चुनाव में सपा प्रत्याशी नंबर तीन पर मतदाताओं के बीच आंके जा रहे हैं। चुनाव के अंत तक वह त्रिकोणीय लड़ाई में आ जाएं तो कोई बड़ी बात नहीं होगी।
दिनेश दिवेदी हैं BJP के प्रत्याशी
बीजेपी ने इस वार्ड से दिनेश दिवेदी को टिकट दिया। दिनेश का क्षेत्र में गेस्ट हाउस है। यहां बीजेपी के नेताओं की मीटिंग होती है। यहां से पुराने कार्यकर्ताओं की टिकट काटने के बाद बीजेपी ने दिनेश को टिकट दिया है। बीजेपी प्रत्याशी का चुनाव अभी तक पूरी गति नहीं पकड़ सका है। संगठन के साथ RSS भी अभी तक दिनेश के चुनाव प्रचार में नहीं उतरी है। यहां एक बात और उल्लेखीय है कि विधान सभा के चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी रहे रघुनंदन भदौरिया को करारी हार मिली थी। हालांकि जब वह विधायक बने थे तो इस वार्ड से लीड भी लिए थे लेकिन इस बार कांग्रेस प्रत्याशी सोहैल अंसारी ने जीत दर्ज की।
अंत में हो सकता है त्रिकोणीय घमासान !
अभी तक के चुनावी हलचल में निर्दलीय प्रत्याशी वरुण यादव के साथ कांग्रेस प्रत्याशी की सीधी टक्कर है लेकिन चुनाव से ठीक पहले यहां त्रिकोणीय घमासान मच जाए तो कोई बड़ी बात नहीं है। सपा और बीजेपी प्रत्याशी इस पूरी कोशिश में लगे हैं कि चुनाव को त्रिकोणीय बनाया जाए लेकिन यह कब हो पाएगा ? इसका पता नहीं। शायद यही वजह है कि सपा और बीजेपी के प्रत्याशी नाराज लोगों को मनाने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं। लेकिन गुस्साए कार्यकर्ता और वोट के ठेकेदार हैं कि मानने को तैयार ही नहीं हो रहे हैं। सूत्रों की मानें तो नाराज कार्यकर्ता यदि बाहर निकल आए तो त्रिकोणीय घमासान इस सीट पर पक्का है।
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