Kanpur के अधिकांश थानों और चौकियों में अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों की धमाचौकड़ी आम बात हो गई है। सही मायनों में यही लोग समाज के असमाजिकतत्व हैं। दंगाई न तो शहर के व्यापारी हैं और न ही नौकरीपेशा लोग। तमाम तरह के काले कारोबार में जुटे अपराधिक प्रवृत्ति के लोग ही इन दिनों चौकी-थानों की शोभा में चार चांद लगा रहे हैं। खुफिया सूत्रों की मानें तो इस किस्म के लोग ही इन दिनों ज्यादातर धार्मिक आयोजन कराने का बीड़ा उठा रहे हैं। उसके पीछे उनकी मंशा पुलिस से नजदीकी बढ़ाने की रहती है।
[caption id="attachment_17565" align="aligncenter" width="640"] Kanpur के जूही परमपुरवा में बवाल के बाद मौके पर पहुंचे IG और ADG[/caption]
कानपुर। संडे को Kanpur में बिगड़े सांप्रदायिक माहौल को लेकर पुलिस प्रशासन पर चारो तरफ से अंगुलियां उठ रही हैं। इसके पीछे की वजह के कई कारण हैं। पहला यह कि अतिसंवेदनशील रावतपुर गांव में जुलूस से पहले भारी पुलिस बल के इंतजाम जिम्मेदार अफसरों की तरफ से क्यों नहीं किए गए ? उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरफ से सप्ताह भर पहले जारी आदेश को Kanpur पुलिस ने संज्ञान में लेकर उसका पालन क्यों नहीं करवाया ? प्रतिबंध के बाद भी DJ जुलूस में क्यों बजे ? इन सबके साथ कई और सवाल हैं जिसका जवाब शायद पुलिस और प्रशासनिक अफसरों को देना पड़ सकता है।
[caption id="attachment_17566" align="aligncenter" width="640"] मुट्ठी भर आतताइयों ने जूही परमपुरवा चौकी में भी धावा बोल जमकर तोड़फोड़ और पत्थरबाजी की।[/caption]
मोहर्रम का जुलूस हो या फिर रामनवमी का, हर जुलूस में बजा DJ
निश्चित तौर पर इसे Kanpur पुलिस की लापरवाही ही कहेंगे कि यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद भी मोहर्रम और रामनवमी के जुलूसों के साथ दशहरा पर भी शहर की हर सड़क व गली में डीजे बजता रहा। प्रशासन ने यूपी सरकार के मुखिया के आदेश का सही ढंग से पालन नहीं करवाया।
[caption id="attachment_17549" align="aligncenter" width="585"] जूही परमपुरवा में आगजनी के बाद धू-धूकर जलती गाड़ियां[/caption]
धार्मिक आयोजन कराने वालों को खुली छूट क्यों ?
शहर में धार्मिक आयोजन कराने वाले आयोजकों को पुलिस प्रशासन की तरफ से खुली छूट मिली रहती है। देवी का जागरण हो या फिर रामलीला। जिस चौराहे या सड़क पर आयोजक चाहते हैं खुल्लम-खुल्ला आयोजन करते हैं। थानेदार से लेकर चौकी इंचार्ज का इन आयोजनों में स्वागत सत्कार कर कुछ अपराधिक किस्म के आयोजक बाद में अपनी न सिर्फ धौंस जमाते हैं बल्कि रंगबाजी भी करते नजर आते हैं। पुलिस सूत्रों की मानें तो अधिकांश के पास तो परमीशन भी नहीं होता है। इतना ही नहीं शहर की कई आयोजन कमेटियों में तो लंबे समय से विवाद भी चल रहा है। पुलिस की तरह ही कुछ यही हाल केस्को का भी है। आयोजन से दो-तीन दिन पहले सजावट कर सैकड़ों और हजारों की संख्या में बल्ब जलाए जाते हैं लेकिन केस्को उफ तक नहीं करता है। इतना ही नहीं धार्मिक आयोजन के नाम पर देर रात तक अश्लील डांस के कार्यक्रम चलते रहते हैं। साथ ही इतने लाउडस्पीकर लगा दिए जाते हैं कि आवाज एक किलोमीटर से अधिक दूरी तक सुनाई पड़ती है।
अपराधिक प्रवृत्ति के आयोजक सेल्फी पोस्ट करते हैं फेसबुक पर
Kanpur में देवी जागरण, रामलीला और अन्य धार्मिक आयोजनों के दौरान कुछ अपराधिक किस्म के आयोजक इलाकाई दरोगा और थानेदारों को बुलाकर कार्यक्रम में उनका स्वागत कराते हैं। इस दौरान सेल्फी लेकर उन फोटो को फेसबुक समेत अन्य सोशल मीडिया की साइट पर डालते हैं। बात पिछले साल की है। मोहर्रम के दौरान देशद्रोह के एक आरोपी ने थानेदार से लेकर सीओ तक के साथ सेल्फी ली और उसे फेसबुक पर डाल दिया। तीन दिन बाद हुक्का बार के अवैध संचालन में जब उसका नाम आया तो शहर पुलिस उसे बचाने में जुट गई। उल्लेखनीय है कि साउथ सिटी में इस व्यक्ति की कई जगहों पर होर्डिंग लगी हुई हैं, जिसमें उसने खुद को समाजसेवी लिख रखा है। यहां बताना यह भी जरूरी है कि इस व्यक्ति पर पहले भी देशद्रोह का मामला दर्ज हो चुका है। अब सवाल यह उठता है कि जिन लोगों पर देशद्रोह जैसे मुकदमें चल रहे हो या फिर वह संगीन मामलों में आरोपी है तो वह थाने और चौकी में कैसे उठता-बैठता है। मर्डर और डबल मर्डर जैसे संगीन मामलों में आरोपी रह चुके कई अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों के मोबाइल नंबरों की यदि प्रशासन सीडीआर निकलवाए तो तमाम राज से पर्दा उठ सकता है। ऐसे कई अपराधिक प्रवृत्ति के लोग इन दिनों चौकियों और थानों की शोभा को बढ़ा रहे हैं।
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