Kanpur में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रदेश कार्यसमिति की दो दिवसीय बैठक चल रही है। भाजपा के दिग्गज नेता और मंत्रियों की मौजूदगी है लेकिन इन सब के बीच कोई खोया-खोया सा है। शायद, कानपुर के लोकसभा सदस्य मुरली मनोहर जोशी। उनका नाम पोस्टर और बैनर तक में नहीं है। 


[caption id="attachment_17790" align="aligncenter" width="630"] मुरली मनोहर जोशी, लोकसभा सदस्य (कानपुर नगर)[/caption]

YOGESH TRIPATHI

कानपुर। BJP की तीन धरोहर। अटल, आडवाणी और मुरली मनोहर। नब्बे के दशक में यह प्रमुख नारा अब शायद BJP नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए बेमतलब हो चुका है। जी, हां यह बिल्कुल सच है। तीन धरोहरों में एक मुरली मनोहर जोशी भी हैं। श्रीजोशी Kanpur के वर्तमान में लोकसभा सदस्य भी है। कानपुर में भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की दो दिवसीय बैठक चल रही है। पोस्टरों, बैनरों और होर्डिंग्स में उनकी फोटो तो दूर नाम तक गायब है।




 

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कार्यकर्ता पिछले तीन महीने से पूरे शहर में घूम-घूमकर पंडित दीन दयाल जन्म शताब्दी वर्ष मनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं लेकिन जो उनके बीच हैं। जिन्होंने BJP को खड़ा करने में अपना खून-पसीना एक कर दिया है, उन्हें अब शहर के नेता और कार्यकर्ता पूरी तरह से भुलाने में जुट गए हैं।


Ch Harmohan Singh Para Medical Sciences & , Nursing Institution

पोस्टर में अटल और आडवाणी तो हैं लेकिन पितामह नहीं

Kanpur के PSIT में चल रही BJP प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में दिग्गज भाजपाइयों का पहले दिन जमावड़ा रहा। प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री तक मौजूद रहे लेकिन इन सबके बीच कानपुर के सांसद मुरली मनोहर जोशी उपेक्षा का पूरी तरह से शिकार हुए। पोस्टर-होर्डिंग्स-बैनर में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी, पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी की फोटो तो है लेकिन मुरली मनोहर जोशी की नहीं है। BJP के एक प्रांतीय स्तर के नेता की मानें तो बैठक में इस मुद्दे पर को लेकर कई नेता नाराज भी दिखे।



नेता और कार्यकर्ता ही नहीं अफसर भी करते हैं उपेक्षा

सांसद वो भी सत्ताधारी दल का। यह प्रोटोकाल काफी बड़ा होता है। जानकारों की मानें तो प्रोटोकाल के तहत ही सही लेकिन कानपुर के सांसद मुरली मनोहर जोशी का नाम तो होना ही चाहिए था लेकिन ऐसा हुआ नहीं। बीजेपी के बड़े सूत्रों की मानें तो सिर्फ पार्टी में ही नहीं बल्कि शहर के कई शासनिक और प्रशासनिक अफसर भी उपेक्षा करने से नहीं चूकते। बात पिछले महीने की है। कानपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करीब 800 करोड़ रुपए की सौगात देने के लिए शहर आए। नगर निगम की तरफ से जो आमंत्रण कार्ड बांटा गया था उसमें मुरली मनोहर जोशी का नाम छठवें नबर पर था। उनसे पहले और बोल्ड अक्षरों में कानपुर से ताल्लुक रखने वाले उत्तर प्रदेश के मंत्रियों सतीश महाना और सत्यदेव पचौरी का नाम था।

MODI युग की शुरुआत से हो रही उपेक्षा

बीजेपी सूत्रों की मानें तो कानपुर के सांसद मुरली मनोहर जोशी की उपेक्षा मोदी युग के शुरु होने से ही हो गई। उसी के बाद से ही डाक्टर मुरली मनोहर जोशी को हाशिए पर रखा जाने लगा। अटल बिहारी सरकार में मानव संसाधन जैसा मंत्रालय संभालने वाले श्रीजोशी को मोदी कैबिनेट में जगह नहीं दी गई। उस समय पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को लगा कि शायद उनको उपराष्ट्रपति बनाया जाएगा लेकिन इस पर भी मायूसी ही हाथ लगी। अब बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के पोस्टर और बैनर से उनकी फोटो और नाम गायब से एक बार फिर जोशी समर्थक नाराज हैं।
Axact

Axact

Vestibulum bibendum felis sit amet dolor auctor molestie. In dignissim eget nibh id dapibus. Fusce et suscipit orci. Aliquam sit amet urna lorem. Duis eu imperdiet nunc, non imperdiet libero.

Post A Comment:

0 comments: