ग्राम प्रधान के चुनाव से अपना राजनीतिक जीवन शुरु करने वाले चौधरी हरमोहन सिंह यादव देश के शीर्ष सदन राज्यसभा तक सफर किया। 1984 के सिख दंगों में कई परिवारों की जिंदगी बचाने वाले हरमोहन सिंह यादव को उनके शौर्य और पराक्रम के लिए देश के राष्ट्रपति ने वर्ष 91 में शौर्य चक्र से सम्मानित किया। यह सम्मान पाने वाले वह देश के पहले सिविलियन बने। आमतौर पर शौर्य चक्र सेना के जवानों और अफसरों को उनके पराक्रम के लिए दिया जाता है। चौधरी हरमोहन सिंह की 18 अक्तूबर को 96वीं जयंती है।
[caption id="attachment_17499" align="aligncenter" width="750"] Harmohan singh yadav Ex.MP[/caption]
YOGESH TRIPATHI
कानपुर। अपना संपूर्ण जीवन सामाजिक न्याय और गरीबों की सेवा में समर्पित करने वाले “शौर्य चक्रधारी” चौधरी हरमोहन सिंह यादव की 96वीं जयंती 18 अक्तूबर यानि बुधवार को है। राज्यसभा सांसद चौधरी सुखराम सिंह यादव और समाजसेवी आर्यन चौधरी ने मोहनपुरम (मेहरबान सिंह का पुरवा) में एक कार्यक्रम का आयोजन किया है। जिसमें हजारों की संख्या में लोग उनकी जयंती पर याद कर श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे। इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए कई दिनों से तैयारियां की जा रही हैं।
[caption id="attachment_17902" align="alignleft" width="308"] चौधरी हरमोहन सिंह यादव (फाइल फोटो)[/caption]
“ग्राम सभा से राज्यसभा तक का सफर”
सबसे पहले ग्राम प्रधान का चुनाव जीतने वाले चौधरी हरमोहन सिंह यादव का राजनीतिक सफर काफी लंबा रहा। ग्रामसभा गुजैनी से लगातार दो बार निर्विरोध ग्राम प्रधान बने और उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। साल दर साल वह राजनीति में सफलता की सीढ़ियां लगातार चढ़ते रहे। वह निर्विरोध अंतरिम जिला परिषद के सदस्य भी रहे। वर्ष 59 और 67 में वह कानपुर महापालिका के चुनाव में सभासद भी चुने गए। कानपुर नगर निगम में वह करीब 42 साल तक पदेन सदस्य रहे। जिला सहकारी बैंक के प्रथम प्रेसीडेंट बने। उत्तर प्रदेश भूमि विकास बैंक के वाइस प्रेसीडेंट (निर्विरोध) चुने गए।
6 मई 1970 को जीवन में आया गौरवशाली दिन
शौर्य चक्र सम्मानित चौधरी हरमोहन सिंह के राजनीतिक जीवन का सबसे गौरवशाली 6 मई 1970 को आया। इस दिन वह कानपुर-फर्रुखाबाद स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र से उत्तर प्रदेश के विधान परिषद के लिए निर्वाचित MLC बने। उनका यह कार्यकाल 5 मई 1976 तक रहा। 6 मई 1976 को वह फिर इसी सीट से निर्वाचित हुए। यह कार्यकाल 5 मई 1982 तक रहा। वह तीसरी बार इस सीट से 6 मई 1984 को निर्वाचित हुए। यह कार्यकाल 5 मई 1990 तक रहा। इस दौरान उनको पार्टी में भी तमाम बड़े पदों से नवाजा गया। जनपद और प्रदेश की राजनीति से आगे बढ़ते हुए वर्ष 90 में वह राज्यसभा सदस्य के लिए चुने गए। वर्ष 1997 में उनके राजनीतिक जीवन एक और गौरवशाली दिन तब आया जब देश के राष्ट्रपति ने उनको राज्यसभा के लिए मनोनीत किया।
शौर्य चक्र पाने वाले देश के पहले सिविलियन इस लिए बने थे चौधरी हरमोहन सिंह यादव
आमतौर पर शौर्य चक्र का सम्मान सेना के जवानों और अफसरों को दिया जाता है। लेकिन चौधरी हरमोहन सिंह यादव यह सम्मान पाने वाले देश के पहले सिविलियन बने। वर्ष 1984 में देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद समूचे भारत वर्ष में दंगे हुए। यूपी के Kanpur में भी दंगे हुए। सैकड़ों बेगुनाह सिखों की हत्या कर दंगाइयों ने आगजनी की। इन सब के बीच चौधरी हरमोहन सिंह यादव ने कई सिख परिवारों की जान बचाने के लिए दंगाइयों से मोर्चा लिया। अपने बेटे चौधरी सुखराम सिंह यादव (राज्यसभा सांसद) के साथ कई घंटे तक फायरिंग कर दंगाइयों को न सिर्फ भगाया बल्कि तमाम सिख परिवार की जान भी बचाई। उनकी इस वीरता के लिए वर्ष 91 में उन्हें देश के राष्ट्रपति ने शौर्य चक्र से सम्मानित किया।
[caption id="attachment_17901" align="aligncenter" width="600"] विवाह परिचय सम्मेलन के दौरान सपा के वर्तमान मुख्य महासचिव के साथ बैठे चौधरी हरमोहन सिंह यादव (फोटो वर्ष 2010)[/caption]
राजनीति के साथ सामाजिक जीवन में उपलब्धियों से भरा रहा
चौधरी हरमोहन सिंह यादव का सामाजिक जीवन भी उपलब्धियों से भरा रहा। वर्ष 1980 में मथुरा में ए सम्मेलन के दौरान वह अखिल भारतीय यादव महासभा के प्रेसीडेंट बने। वर्ष 83 में वह एक बार फिर हैदराबाद में हुए सम्मेलन के दौरान अखिल भारतीय यादव महासभा के अध्यक्ष बने। 1994 में अखिल भारतीय यादव सभा के प्रेसीडेंट बने। इसके साथ ही उन्होंने कई संगठनों और समाजिक संस्थाओं की नींव भी डाली।
जीवन परिचय एक नजर में
चौधरी हरमोहन सिंह यादव का जन्म 18 अक्तूबर 1921 को Kanpur के मेहरबान सिंह का पुरवा में हुआ था। किसान पिता धनीराम सिंह और मां पार्वती देवी के घर जन्म लेने वाले चौधरी हरमोहन सिंह ने हायर सेकेंड्री तक शिक्षा ग्रहण की। उनका विवाह गया कुमारी जी के साथ हुआ। उनके पांच पुत्र और एक पुत्री हैं।
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