लंबे समय से पार्षद की तैयारी कर रहे कई दिग्गज दावेदारों ने टिकट पक्की करवाने के लिए "बाजरा" खोल दिया है। उनके "बाजरा" खोलते ही अन्य दावेदारों में खलबली मच गई है। सभी दावेदार अब अपने-अपने आकाओं की चौखट पर सुबह से लेकर शाम तक डेरा जमाए हैं। इन दावेदारों के डेरा जमाने की वजह से BJP के कई बड़े नेताओं के लिए परेशानी की वजह बन चुकी है। कई नेता अब दावेदारों के फोन तक नहीं उठा रहे हैं।
YOGESH TRIPATHI
कानपुर। नगर निकाय चुनाव के तिथियों का “शंखनाद” होने में महज कुछ ही दिन शेष बचे हैं। जिला प्रशासन चुनाव की तैयारियों में व्यस्त है तो प्रत्याशी अपनी टिकट पक्की करने में जुटे हैं। सबसे अधिक मारामारी सत्ताधारी BJP में मची है। पार्षद की टिकट पाने के लिए जद्दोजहद कर रहे तमाम दावेदारों की सुबह और शाम आकाओं की चौखट पर बीत रही है, और आका हैं कि उनके पास मिलने का वक्त ही नहीं। कई प्रत्याशी हर कीमत पर टिकट चाहते हैं, इसके लिए उन्होंने बाकायदा “बाजरा” भी खोल दिया है। भाव खुला है सीधे 10 लाख पर। ये हम नहीं कह रहे बल्कि कई दावेदार खुल्लम-खुल्ला महफिलों और चौराहों पर चर्चा करते दिखाई दे रहे हैं। गुजैनी और दबौली से तो दो दावेदारों ने अपना टिकट पक्का करने के लिए 10 लाख रुपए की बोली लगा दी है। इन प्रत्याशियों का कहना है कि बाजरा का भाव बढ़ा तो वह और भी दे सकते हैं लेकिन हर कीमत पर टिकट चाहिए।
चर्चित मंत्री तो चहेते के लिए किसी और को आवेदन तक नहीं करने दे रहे
यूपी सरकार में एक चर्चित मंत्री अपने करीबी का टिकट पक्का करने के लिए दूसरे दावेदारों को प्रत्याशिता से हटाने के लिए तरह-तरह के हथकंडों को अपना रहे हैं। वह अब तक तीन दावेदारों भगा चुके हैं। नाम न खोलने की शर्त पर एक प्रत्याशी ने बताया कि “दबंग पांडेय जी” मंत्री के करीबी हैं। मंत्री जी हर कीमत पर उनकी टिकट फाइनल कराने में जुटे हुए हैं। क्षेत्र के तीन पुराने कार्यकर्ता जब आवेदन करने पहुंचे तो मंत्री ने फटकार लगा दी। चर्चा है कि हर दावेदार के लिए मंत्री जी यह कह रहे हैं कि इसने यूपी विधान सभा इलेक्शन में बसपा प्रत्याशी को चुनाव लड़वाया था।
दो “माननीयों” पुत्र खुल्लम-खुल्ला बांट रहे टिकट
शहर के दो “माननीय” जिसमें एक मंत्री भी हैं, दोनों हर कीमत पर अधिक से अधिक अपने करीबी लोगों को टिकट देने के लिए लंबे समय से कवायद छेड़े थे। दोनों काफी हद तक सफल भी हो रहे हैं। दबी जुबान से ही सही लेकिन कार्यकर्ताओं ने बताया कि “बाजरा” खुलने के बाद दोनों के परिवारीजन ही टिकट “फाइनल” करने में व्यस्त हैं। कोई भी हो, पैसा देकर टिकट ले सकता है। दोनों ही “माननीयों” की चौखट पर टिकट के लिए कार्यकर्ताओं से अधिक भीड़ बाहरी लोगों की इस समय मौजूद रहती है।
“बाजरा” खुलने पर आर्थिक रूप से कमजोर प्रत्याशियों में निराशा
पार्षद के टिकट पाने के लिए “बाजरा” खुल जाने से सबसे अधिक निराशा और हताशा का भाव उन दावेदारों के चेहरों पर है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं। इन दावेदारों का कहना है कि लंबा समय बीत गया। पार्टी के लिए दरी और चादरें तक बिछाई हैं। अब जब समय आया है तो पार्टी में ऊंचे पदों पर बैठे “आका” पूंजीपतियों को टिकट देने की तैयारी कर रहे हैं, यह ठीक नहीं है।
चुनाव जीतने के लिए मंत्र और फार्मूला भी बता रहे प्रत्याशी
आर्थिक रूप से बेहद कमजोर प्रत्याशी पार्षदी का चुनाव जीतने के लिए अपने करीबी नेताओं को फार्मूला और मंत्री भी बता रहे हैं कि वह इस तरह से चुनाव हर कीमत पर जीत लेंगे। साथ ही वह नेताओं को यह बताना भी नहीं भूल रहे हैं कि विधान सभा के चुनाव में उन्होंने प्रत्याशी के लिए बूथ पर क्या-क्या नहीं किया ? दावेदारों की सबसे अधिक मारामारी साउथ सिटी के करीब दर्जन भर वार्डों में अधिक है।
बाकी दलों में नहीं है पार्षद प्रत्याशियों के दावेदारों की भीड़
कांग्रेस, सपा और बसपा में पार्षद का टिकट मांगने वाले प्रत्याशियों की संख्या तो है लेकिन भीड़ और मारामारी बिल्कुल भी नहीं है। मुस्लिम एरिया के तीन-चार वार्ड ही ऐसे हैं जहां सपा और कांग्रेस में होड़ मची है। बाकी जगहों पर सामान्य से हालात हैं। बसपा में भी दावेदारों की संख्या शून्य जैसी ही है। यहां पार्टी के कार्यकर्ताओं में प्रत्याशिता को लेकर उत्साह भी नहीं है। एक पदाधिकारी की मानें तो कुछ वार्डों में तो दावेदार ही नहीं हैं। इन सबके पीछे तर्क चुनाव का मंहगा होना भी है।
कई दावेदार स्लीपिंग सेल की तरह सक्रिय
टिकट के लिए दावेदारों की मचमच के बीच कई दावेदार ऐसे भी हैं जो बिल्कुल स्लीपिंग सेल की तरह सक्रिय हैं। ये वो दावेदार हैं जो हर तरह से संपन्न और सक्षम भी हैं। सूत्रों की मानें तो ये टिकट नहीं मांग रहे हैं लेकिन ऐन वक्त पर ये रायता फैला सकते हैं। विवादित सीटों पर स्लीपिंग माड्यूल्स की तरह सक्रिय कई अघोषित दावेदारों को टिकट भी मिल सकती है।
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