Akhilesh yadav government in Noida had given land of the Arabs। Patanjali Yog Peeth has given many powers to IAS Deepak Singhal for the deal
[caption id="attachment_16711" align="aligncenter" width="660"] big-deal-in-ramdev-court-noida[/caption]
नई दिल्ली। ऐसा लग रहा है कि देश में बाबाओं के खराब दिन शुरु हो चुके हैं। आशाराम, रामपाल और राम रहीम के जेल में चक्कियां पीस रहे हैं। इन तीन बड़े बाबाओं के जेल जाने के बाद अब कोर्ट ने योग गुरु के नाम से चर्चित बाबा रामदेव की कई अरब रुपए की भूमि पर हुए सौदों के दस्तावेजों को खंगालाना शुरु कर दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस सिलसिले में गौतमबुद्ध नगर (नॉएडा) में बाबा रामदेव को अखिलेश सरकार की तरफ से दी गई जमीन पर हो रहे निर्माण कर रोक लगाने का आदेश दिया है।
जमीन दिलाने में IAS दीपक सिंघल के नाम की चर्चा
इलाहाबाद High Court में दायर की गई एक याचिका के मुताबिक बाबा रामदेव को अखिलेश सरकार की तरफ से दी गई अरबों की बेशकीमती जमीन में काफी बड़ा झोल है। इस बड़े झोल में उत्तर प्रदेश के पूर्व चर्चित IAS अफसर दीपक सिंघल का नाम भी चर्चा में आ रहा है। चर्चा है कि उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मुख्य सचिव दीपक सिंघल ने बाबा रामदेव को जमीन दिलाने में महतो भूमिका निभाई थी। न्यूज़ वेबसाइट DNA के मुताबिक बाबा रामदेव को अरबों रूपये का फायदा पहुँचाने वाले दीपक सिंघल को इस डील के बदले में पतंजलि प्रोडेक्ट के सेल्स और मार्केटिंग के अधिकार दिए गए।
ये है नोएडा की जमीन से जुड़ा पूरा मामला
नोएडा के रहने वाले असफ खान ने कहा था कि उन्हें पेड़ लगाने के लिए यूपी सरकार की तरफ से 30 साल के पट्टे पर आवंटित 200 बीघा जमीन उस 4500 एकड़ में चली गई है जो पतंजलि योग संस्थान को आवंटित की गई है। असफ का यह भी कहना है कि फूड पार्क की स्थापना में करीब 6000 पेड़ों को काट दिया जाएगा जिससे उस इलाके में पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचेगा।
दायर याचिका में सुनवाई के दौरान इलाहाबाद High Court की तरुण अग्रवाल और जस्टिस अशोक कुमार बेंच ने सचिव औद्योगिक विकास से इस मामले में शपथपत्र मांगते हुए पूछा है कि पतंजलि आयुर्वेद को पट्टे की जमीन कैसे दे दी गई ? High Court ने यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण के CEO से भी जवाब मांगा है और पूछा है कि जमीन पर लगे हरे पेड़ किस कानून के तहत नष्ट किए गए ?
High Court ने कहा कि पेड़ काटने के समय मौजूद अधिकारियों की जानकारी दी जाये। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के वकील से पूछा था कि, किसके आदेश पर हरे पेड़ों पर बुलडोजर चलाए गए। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ के कमिश्नर से कहा कि यह बताया जाए कि जेवर तहसील को यह जमीन कैसे मिली थी और कैसे असफ खान को दी गई ? साथ ही पूछा गया है कि किस आधार पर जमीन असफ खान से वापस ली गई ?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तहसीलदार जेवर (गौतम बुद्ध नगर) अभय कुमार ने पीठ से कहा कि बाबा रामदेव की कंपनी को आवंटित की गई जमीन को कभी भी अधिग्रहित नहीं किया गया था। और न ही इस जमीन का कोई मुवावजा कभी किसानों को दिया गया। गौरतलब है कि इस जमीन पर 4500 एकड़ में पतंजलि आयुर्वेद कंपनी के फूड पार्क का निर्माण हो रहा है।
गौरतलब है कि यह भूमि उत्तर प्रदेश की पूर्व अखिलेश यादव सरकार ने बाबा रामदेव की संस्था पतंजलि योग संस्थान को नोएडा के कादलपुर व शिलका गांव में पट्टे पर दी थी। यह जमीन यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी के तहत आती है। लेकिन अब कोर्ट के निर्देश के बाद बाबा रामदेव का ये ड्रीम प्रोजेक्ट अधर में लटक गया है।
Post A Comment:
0 comments: