RAJA KATIYAR
कन्नौज। शराब और बीयर का शौक रखने वालों के लिए यह खबर न सिर्फ चिंताजनक है बल्कि उन्हें खबरदार करने वाली भी है। इत्रनगरी कन्नौज में बड़े पैमाने पर शराब और बीयर में मिलावट का “खेल” चल रहा है। इजेंक्शन के जरिए नामी-गिरामी (ब्रांडेड शराब) की बोतलों में मिलावट की जा रही है। इस बड़े नेटवर्क का भंडाफोड़ तब हुआ जब इत्रनगरी कन्नौज के DM जगदीश प्रसाद के निर्देश पर SDM (सदर) डॉक्टर अरुण कुमार की अगवुई में टीमों ने एक के बाद एक कई शराब के ठेकों पर छापे की ताबड़तोड़ कार्रवाई की। शहर और ग्रामीण की चार दुकानों में छापे के दौरान टीम को जो कुछ भी मिला वह न सिर्फ जनता की बल्कि प्रशासन की भी आंखें खोलने वाला है। टीम ने एक दुकान को सील करने के साथ बाकी का लाइसेंस निरस्त करने की संस्तुति की है।



बीयर और केन में भी इंजेक्शन से “मिलावट का खेल”

जिलाधिकारी जगदीश प्रसाद के मुताबिक कई दिनों से शराब और बीयर शॉप में मिलावट की शिकायत मिल रही थी। इस पर उन्होंने फ्राइ-डे को SDM अरुण कुमार सिंह की अगवुई में टीम गठित कर छापे की कार्रवाई के निर्देश दिए। टीम में अतिरिक्त मजिस्ट्रेट रामदास, तहसीलदार तिर्वा आरके राजवंशी समेत गुरुग्राम स्थित यूएसएल (यूनाइटेड स्प्रिट लिमिटेड) कंपनी के शाखा प्रबंधक संजय शर्मा को भी रखा गया।
टीमों ने शहर और ग्रामीण आंचल के चार अलग-अलग ठेकों में छापे की कार्रवाई की। छापेमारी में सरायमीरा की अंग्रेजी शराब दुकान से 103 बोतल नकली शराब मिली। यहां से बाराबंकी निवासी सेल्समैन राजेश कुमार को पकड़ा गया। इसी तरह कन्नौज बाईपास स्थित मॉडल शाप से 97 बोतल नकली शराब समेत 472 खाली केन पकड़ी गई। बाराबंकी के चंदवाड़ा निवासी सेल्समैन प्रमोद कुमार को हिरासत में लिया गया। मानीमऊ की शराब दुकान से नौ बोतल नकली शराब समेत सीतापुर के आलमनगर निवासी सेल्समैन सत्यम जायसवाल और मित्रसेनपुर की शराब दुकान से 134 बोतल नकली शराब, 1400 ढक्कन व शराब बनाने का केमिकल पकड़ा गया। यहां DM की तरफ से गठित टीम ने ठेके को सील कर दिया। साथ ही बाकी दुकानों के लाइसेंस निरस्त करने की संस्तुति की। इस दौरान यूएसल के अफसर कमल सिंह, भीमसेन समेत पुलिस फोर्स मौजूद रहा।

गिरोह का नेटवर्क कई जनपदों में सक्रिय

जानकारों की मानें तो शराब और बीयर में मिलावट का खेल का काफी पुराना हो चुका है। लंबे समय से माफिया और उनके गुर्गे इस अवैध कारोबार में शामिल हैं। कई राजनीतिक दलों के सफेदपोश इस गिरोह को आपरेट कर रहे हैं। मिलावटखोरों का यह नेटवर्क कई जनपदों में बड़े पैमाने पर सक्रिय है। कुछ दिन पहले कानपुर में बड़े पैमाने पर इस बात का खुलासा भी हो चुका है। हालांकि तब सपा की सरकार थी और इस खेल के सरगना को तब पुलिस ने इस लिए नहीं पकड़ा था क्यों कि वह सत्ताधारी दल से न सिर्फ जुड़ा था बल्कि कुछ दिन पहले ही MLC बना था। मीडिया में चर्चाएं बहुत हुईं लेकिन सेटिंग-गेटिंग तगड़ी होने की वजह से सबकुछ जानने के बाद भी पुलिस ने सरगना की गिरफ्तारी नहीं की।

DM से USL टीम ने मांगी थी अनुमति

लंबे समय से चल रहे मिलावट के काले कारोबार का भंडाफोड़ करने के लिए USL टीम ने पहले जिलाधिकारी जगदीश प्रसाद से परमीशन मांगी। डीएम की हां के बाद भारी फोर्स के साथ टीम ने छापे की कार्रवाई शुरु की। डीएम की परमीशन मिलने के बाद USL की टीम ने पहले इन शराब के ठेकों से शराब और बीयर खरीदी, फिर इसे लैब टेस्टिंग के लिए भेजा।
ब्रांडेड कंपनी की शराब में होता है “खेल”
मिलावट के काले कारोबार से जुड़े लोगों की मानें तो प्रशासन की मिलीभगत से चलने वाले इस गोरखधंधे में खासी सावधानी बरती जाती है। बोतल से जितनी शराब निकाली जाती है उतनी ही मात्रा में पानी या फिर केमिकल उसमें भरा जाता है। ब्रांडेड कंपनी की शराब के साथ जिस शराब की डिमांड अधिक होती है, उसमें सबसे अधिक मिलावट की जाती है। मिलावट वाली शराब उसे दी जाती है जो शराब पी चुका हो। नशे में होने की वजह से वह भांप ही नहीं पाता है कि शराब नकली या फिर मिलावटी है।



शराब निकालने के बाद इंजेक्शन से भरते हैं केमिकल और पानी

छापे की कार्रवाई के दौरान पकड़े गए शराब ठेकों के सेल्समैन तो सिर्फ “मोहरा” हैं। पर्दे के पीछे इस “खेल” में बड़े और “सफेदपोश” लोगों के शामिल होने की बात सूत्रों ने पुष्टि की है। सेल्समैनों की मानें तो वह लोग शराब निकालने के बाद उतनी ही मात्रा में पानी या फिर केमिकल शराब की बोतल और बीयर की केन में मिला देते हैं। टीम को नकली ढक्कन और अन्य सामान भी मिला है। जानकारी के मुताबिक मिलावट के “खेल” में काफी मोटी कमाई होती है। www.redeyestimes.com ने कानपुर के बिठूर स्थित एक फार्म हाउस पर जब छह महीने शराब में मिलावट के खेल का भंडाफोड़ होने पर खबर प्रकाशित की थी, तब एक अहम मामले का खुलासा हुआ था। सूत्रों की मानें तो इंट्रोगेशन में सपा का एक कद्दावर नेता और उसके गुर्गे इस कारोबार में शामिल होने के ठोस सबूत मिले थे लेकिन नेता की पहुंच सपा संरक्षक मुलायम सिंह तक होने की वजह से प्रशासन ने उक्त नेता को गिरफ्तार नहीं किया, बल्कि उसे बचाने में अपनी पूरी ताकत लगा दी थी।
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