भोपाल। दो मासूमों का गुनाह सिर्फ इतना था कि वह राखी पर्व पर अपने पिता से मुलाकात करने के लिए भोपाल की सेंट्रल जा पहुंचे। यहां मुलाकात के दौरान जेल के कर्मचारियों ने दोनों मासूम बच्चों के गाल पर जेल की मुहर लगा दी। बच्चों की फोटो जब सोशल मीडिया पर वॉयरल हुई तो हुक्मरानों की नींद खुली। डीजी जेल ने पूरे मामले में मातहतों से सात दिनों के अंदर रिपोर्ट देने को कहा है तो दूसरी तरफ मानवाधिकार आयोग ने भी Notice जारी कर दिया है।

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मानवाधिकार आयोग ने जारी एक बयान में इस घटना को बेहद अमानवीय और इंसानी मूल्यों के खिलाफ बताते हुए कहा कि बच्चों के मूल और मानवाधिकार की धज्जियां उड़ाई गईं हैं।
मानवाधिकार आयोग ने इस तरह की रस्म को तुरंत बंद किए जाने की सिफारिश की है। आयोग ने घटना के बारे में कहा है कि चेहरे पर मुहर लगाकर बच्चों की गरिमा के अधिकार को छीना गया है। बच्चे मानसिक पीड़ा से गुजर रहे होंगे।
इतना ही नहीं मानवाधिकार आयोग ने पीड़ित परिवार को 10 हजार रुपए बतौर मुआवजा देने की सिफारिश भी की है। साथ ही प्रभावित लोगों के नाम और उनके पते से संबंधित जानकारी भी मांगी है।

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गौरतलब है कि रक्षाबंधन पर भोपाल की सेंट्रल जेल में अपने परिजनों से मिलने और राखी बांधने पहुंचे लोगों के चेहरे पर ही पहचान के लिए मुहर लगा दी गई। जेल मैनुअल के मुताबिक जेल में कैदियों से मिलने वालों के हाथों पर मोहर पहचान के लिए लगाई जाती है। ताकि कोई कैदी भीड़ का फायदा उठाकर बाहर न निकल जाए।

जेल मंत्री बोलीं, मामले की जांच कराउंगी

मामला मीडिया जब सुर्खियों में आया तो जेल पुलिस की चारो तरफ कड़ी आलोचना होने लगी। ADG जेल गाजीराम मीणा ने पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं। जेल मंत्री कुसुम मेंहदेले ने भी जांच कराने की बात कही है।
वहीं, दूसरी तरफ भोपाल सेंट्रल जेल के अधीक्षक इस मामले में अपने स्टाफ की गलती मानने को तैयार नही है। उनका तर्क है कि रक्षाबंधन की वजह से सैकड़ों लोग जेल में कैदियों से मिलने पहुंचे थे, जिसकी वजह से स्टाफ को यह तरीका अपनाना पड़ा।
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