Amit Shah की “Hit-List” में Ex.CM अखिलेश यादव की Wife डिंपल यादव। Kannayj lok Sabha seats BJP Wants Win Any Costs


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YOGESH TRIPATHI


कानपुर। वर्ष 2014, केंद्र में Narendra Modi की अगुवाई वाली BJP की सरकार। वर्ष 2017 में यूपी विधान सभा के चुनावों में 14 बरस से “बनवास” काट रही BJP की प्रचंड बहुमत वाली सरकार। इन दोनों चुनावों में BJP ने यूपी के दोनों प्रमुख विपक्षी दलों BSP और SP को बैकफुट पर धकेल कर रख दिया है। दोनों ही दलों के मुखिया अपने राजनीतिक अस्तित्व के लिए छटपटा रहे हैं। लेकिन वहीं दूसरी तरफ BJP के थिकं टैंक कहे जाने वाले नेशनल प्रेसीडेंट अमित शाह एक बार फिर एक्टिव मूड में नजर आ रहे हैं।

शाह के टॉरगेट पर इत्रनगरी Kannauj की लोकसभा सीट


यूं तो लोकसभा में अभी करीब-करीब दो साल का लंबा वक्त है लेकिन Amit Shah यूपी में एक बार फिर डंका बजाने की तैयारी का बिगुल फूंक चुके हैं। अमित शाह वर्ष 14 के चुनाव में जिन सीटों पर हारे थे सबसे अधिक उन्हें लेकर हैं। इसमें उत्तर प्रदेश के Ex. CM Akhilesh Yadav के Wife Dimple Yadav की लोकसभा सीट कन्नौज है। BJP के बड़े सूत्रों के मुताबिक अमित शाह ने यूपी के हारे हुए लोकसभा संसदीय सीट की जो “HiT List” बनाई है, उसमें कन्नौज पहले नंबर पर है। उसके बाद रायबरेली और अमेठी की सीटें हैं। बताया जा रहा है कि अमित शाह कन्नौज लोकसभा सीट हर कीमत पर चाहते हैं। फिर इसके लिए कीमत चाहे जो भी हो।

महज कुछ हजार Vote’s से हारे थे सुब्रत पाठक


2014 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश सिंह यादव की पत्नी Dimple Yadav ने चुनाव में जीत दर्ज की थी। दूसरे नंबर पर रहे सुब्रत पाठक महज कुछ हजार वोटों से चुनाव हार गए थे। इन तीन वर्षों में इत्रनगरी कन्नौज में तीन बड़े दंगे हुए। इसमें सुब्रत पाठक समेत BJP के कई नेताओं पर न सिर्फ फर्जी मुकदमें दर्ज कर उन्हें जेल भेजा गया बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून “NSA” तक लगा दी गई।

सुब्रत का कद बढ़ा तो BJP ने पद भी बढ़ा दिया


दंगे जैसे मामले में जेल जाने के बाद लोकसभा प्रत्याशी रहे सुब्रत पाठक का कद अचानक BJP की लोकल राजनीति में काफी बढ़ गया। यूपी असेंबली इलेक्शन से पहले भाजपा हाईकमान ने सुब्रत को बड़ी जिम्मेदारी देते हुए भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJUM) का प्रदेश प्रेसीडेंट बना दिया। सिर्फ इतना ही नहीं पूरे इलेक्शन में सुब्रत पाठक नेशनल प्रेसीडेंट अमित शाह और यूपी प्रेसीडेंट केशव प्रसाद मौर्या के साथ संगठन की रणनीति बनाते रहे।

यूपी में बीजेपी की प्रचंड बहुमत से सरकार बनी तो सुब्रत के मंत्री बनाए जाने की चर्चा भी शुरु हो गई। लेकिन सुब्रत को यूपी की कैबिनेट में जगह नहीं मिली। सूत्रों की मानें तो महज कुछ हजार वोटों से चुनाव हारने वाले सुब्रत पाठक पर बीजेपी एक बार फिर अपना दांव लगाएगी लेकिन इस बार कन्नौज का यह चुनाव अमित शाह के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न रहेगा। इस बात के संकेत खुद अमित शाह ने देते हुए कन्नौज की लोकसभा सीट को यूपी की “Hit List” में नंबर वन पर रखा है।

 


एक तीर से कई शिकार करने के मूड में BJP का हाईकमान


सूत्रों की मानें तो अमित शाह और BJP के शीर्ष नेतृत्व ने Kannauj लोकसभा सीट को Hiit List में टॉप पर रखते हुए इसे अभी से न सिर्फ प्रतिष्ठा की लड़ाई बना लिया है बल्कि एक तीर से कई शिकार करने के मूड में भी दिख रही है। माना जा रहा है कि यदि यह सीट हारने के बाद अखिलेश यादव के राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी हार भी हो सकती है। BJP ने छोटी राजनीतिक चालें अभी से चलनी शुरु कर दी हैं। कन्नौज के उमर्दा ब्लाक प्रमुख पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है। यहां पर अविश्वास प्रस्ताव के बाद उमर्दा ब्लाक प्रमुख को इस्तीफा देना पड़ा। जिला पंचायत अध्यक्षी पर कोई महिला प्रत्याशी न होने से बीजेपी मायूसी हुई तो इसकी भरपाई पड़ोसी जिले औरैया में लेकर कन्नौज को संकेत भी दे दिया। औरैया में जो कुछ हुआ वह किसी से छिपा नहीं है।

कन्नौज की भूमि से अखिलेश यादव पढ़ा राजनीति का “ककहरा”


कन्नौज की भूमि से उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री Akhilesh Yadav ने राजनीति शुरु करने के बाद सियासत का “ककहरा” भी यहीं से सीखा है। उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने से पहले अखिलेश यादव यहां से सांसद थे। 2012 में सपा की यूपी में प्रचंड जीत के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। उपचुनाव में उन्होंने डिंपल यादव को प्रत्याशी बनाया और ऐतिहासिक विजयश्री दिलाई। डिंपल यादव की यह जीत इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज की गई। डिंपल के खिलाफ किसी भी प्रत्याशी ने नामांकन नहीं कराया और वह निर्विरोध लोकसभा चुनाव जीतीं।

सपा में “महाभारत” का लाभ उठाना चाहती है BJP


सपा में पिछले नौ महीने से कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। चाचा शिवपाल सिंह यादव और भतीजे शिवपाल सिंह यादव के बीच चल रही “महाभारत” किसी से छिपी नहीं है। सड़क पर आ चुकी इस “महाभारत” का एडवांटेज लेते हुए BJP का शीर्ष नेतृत्व कन्नौज लोकसभा सीट को बेहद गंभीरता से ले रहा है। इसके लिए बुन्देलखंड और कानपुर की क्षेत्रीय इकाई के पदाधिकारियों को अभी से कन्नौज सीट के चुनाव के लिए तैयारियों में लगा दिया गया है।

 
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