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  • पीड़ित की शिकायत और Portal की खबर को अफसरों ने लिया था संज्ञान में
  • तत्कालीन DM (Kanpur Naga) ने गठित की थी तीन सदस्यीय SIT (Team)
  • कानूनगो से लेखपाल बनाए गए Alok Dubey के खिलाफ दर्ज है FIR
  • जांच और छानबीन में करोड़ों रुपए की तीन दर्जन से अधिक संपत्तियों का पता चला



Yogesh Tripathi 

 

शासन और प्रशासन हमारे अंगुलियों पर नाचता है… पैरवी करना छोड़ दो नहीं तो तुम लोगों को दुनिया छोड़नी पड़ेगी... अगर फिर तुम लोग कचहरी या वकीलों के बस्ते पर दिखे...मां-बहन की भद्दी-भद्दी गालियां... तुम्हारे परिवार को बर्बाद कर दूंगा...तेरी लाश का पता नहीं चलेगा... चल यहां से चला जा तू अब नहीं तो जान से जाएगा...” फिल्मी स्टाइल में अधिवक्ता संदीप सिंह को धमकी देने वाले Kanpur के राजस्व कर्मचारी Alok Dubey पर अंतत: कार्रवाई का हंटर चल गया। DM (Kanpur Nagar) के आदेश पर इस राजस्व कर्मचारी (कानूनगो) का डिमोशन कर उसे लेखपाल बना दिया गया है। खास बात ये है कि इस भ्रष्ट सरकारी कर्मचारीके पास करोड़ों रुपए के कीमत की करीब 40 संपत्तियों का भी पता चला है। कानूनगो से लेखपाल बने इस भ्रष्टाचारी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ FIR पहले से ही दर्ज है। जल्द ही पुलिस Case की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर सकती है। रडार पर लेखपाल Aruna Dwivedi भी हैं। देर सबेर ही सही कार्रवाई उन पर भी तय मानी जा रही है।



उल्लेखनीय है कि 3 दिसंबर 2024 को www.redeyestimes.com (News Portal) ने राजस्व कर्मचारी Alok Dubey और लेखपाल Aruna Dwivedi के सरकारी पदों पर बैठकर दान-विलेख की संपत्ति के अभिलेखों में हेरफेर कर बेशकीमती जमीनों को खरीदने और बेचने की खबर को प्रकाशित किया था। News Portal की खबर को तत्कीलन जिलाधिकारी ने संज्ञान में लेते हुए तीन सदस्यीय SIT गठित की थी।  इस टीम में एडीएम (न्यायिक), एसडीएम सदर और एसीपी कोतवाली शामिल थे। तीनों अफसरों ने लंबी जांच के बाद Report जिला मजिस्ट्रेट को सौंपी थी। जिसके बाद सबसे पहले संलिप्त सरकारी कर्मचारी के खिलाफ FIR रजिस्टर्ड हुई और अब उसका डिमोशन कर लेखपाल बना दिया गया है।

 

ग्राम कला का पुरवा, (रामपुर भीमसेन), थाना सचेंडी (कमिश्नरेट पुलिस) कानपुर निवासी अधिवक्ता संदीप सिंह ने अपने साथ हुई धोखाधड़ी और बाद में जानमाल की धमकी मिलने के पूरे प्रकरण की शिकायत सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सिंह, गृहसचिव, उत्तर प्रदेश के पुलिस मुखिया, जिलाधिकारी, कमिश्नर को पत्र लिखकर की थी। तत्कालीन जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर 15 दिन में रिपोर्ट मांगी थी। अपर जिलाधिकारी न्यायिक (अध्यक्ष), उप जिलाधिकारी (सदर) (सदस्य) और सहायक पुलिस आयुक्त (कोतवाली) सदस्य थे।

  


अधिवक्ता संदीप सिंह जुबानी, ये है फर्जीवाड़े की पूरी कहानी

ग्राम कला का पुरवा, (रामपुर भीमसेन), थाना सचेंडीकानपुर निवासी संदीप सिंह ने मुख्यमंत्री को भेजे गए शिकायती पत्र में आरोप लगाया था कि उनकी दादी स्वर्गीय श्रीमती मोहन लाला उर्फ लाल साहिबा ने प्रार्थी व उसके भाई प्रदीप सिंह, पिता बीरेंद्र बहादुर सिंह उर्फ भोला सिंह, चाचा जंगबहादुर सिंह व अशोक सिंह को अपनी कृषि भूमि की रजिस्टर्ड वसीयत 31/05/2013 को की थी। स्वर्गीय श्रीमती मोहन लाला ने 17/07/2013 को पंजीकृत दान विलेख के जरिए अन्य भूमि/संपत्तियों के साथ-साथ एक और ग्राम सिंहपुर कठार स्थित आराजी संख्या 207/1.0990 हेक्टेयर तथा रामपर भीमसेन स्थित आराजी संख्या 895/1.7580 हेक्टयर की भी लिखापढ़ी की थी। दादी की रजिस्टर्ड़ वसीयत और दान विलेख के जरिए मिली संपत्तियों का प्रार्थी संदीप सिंह, उसके भाई प्रदीप सिंह, पिता बीरेंद्र बहादुर सिंह उर्फ भोला सिंह, चाचा जंगबहादुर सिंह व अशोक सिंह निर्विवाद रूप से मालिक हैं और अभी तक उक्त संपत्तियों की देखरेख व कृषि योग्य भूमि पर खेती करते आ रहे हैं।

संदीप सिंह का आरोप है कि उनकी बुआ राजपति देवी W/O रघुवीर सिंह ने इस वसीयत के खिलाफ सिविल जज सीनियर डिवीजन (कानपुर नगर) की कोर्ट में मूलवाद संख्या 2550/2013 राजपति देवी बनाम बीरेंद्र सिंह आदि का वाद दाखिल किया। बाद में श्रीमती राजपति ने खुद ही यह वाद कोर्ट में वापस ले लिया। राजपित देवी ने दादी स्वर्गीय मोहन लाला उर्फ लाल साहिबा के पंजीकृत दान विलेख के खिलाफ सिविल जज (जूनियर डिवीजन) / एफ.टी.सी कोर्ट में मूलवाद संख्या 1368/2013 को प्रस्तुत किया। इस वाद को भी श्रीमती राजपति देवी ने कोर्ट में मौजूद रहकर वाद को वापस ले लिया।

संदीप सिंह का आरोप है कि उनकी बुआ राजपति देवी और राजकुमारी देवी ने प्रार्थी की दादी स्वर्गीय श्रीमती मोहन लाला के रजिस्टर्ड वसीयत को छिपाकर धोखाधड़ी करते हुए उक्त कृषि योग्य भूमि को अपने नाम सरकारी अभिलेखों में चढ़वाने के लिए नायब तहसीलदार (बिठूर) की कोर्ट में वाद हल्का लेखपाल अरुणा दिवेदी मकान नंबर 14-बाबा नगर नौबस्ता, कानपुर और तहसील राजस्व कर्मचारी आलोक दुबे S/O स्वतंत्र कुमार दुबे R/O एलआइजी 17, दयानंद विहार फेस-1, कल्याणपुर, कानपुर नगर की साठगांठ से प्रस्तुत किया। इस दौरान प्रार्थी के मुकदमें अलग कोर्ट में चल रहे थे। जिसे भी राजकुमारी और राजपित देवी ने नायब तहसीलदार (बिठूर) कोर्ट से छिपा लिया। नायब तहसीलदार (बिठूर) की कोर्ट ने एक पक्षीय आदेश 11/03/2024 राजपति देवी और राजकुमारी के पक्ष में सुनाते हुए भूमि को उनके नाम पर सरकारी अभिलेखों में अंकित करने का आदेश जारी किया।

 

चूंकि स्थानीय लेखपाल अरुणा दिवेदी और राजस्व कर्माचारी आलोक दुबे की की साठगांठ पहले से थी, इस लिए नायब तहसीलदार (बिठूर) कोर्ट ने 11/03/2024 जब एक पक्षीय आदेश दिया तो राजपति देवी, राजकुमारी ने स्थानीय लेखपाल अरुणा दिवेदी और राजस्व कर्मचारी आलोक दुबे को उसी दिन अर्थात 11/03/2024 को फर्जी और कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर आराजी संख्या 895 का जुज रक्बा 0.3070 का दोनों के हक में बैनामा कर दिया। 12/03/2024 को राजकुमारी देवी ने राजपति के हक में अवैध तौर पर दानपत्र भी निष्पादित कर दिए। इतना ही नहीं श्रीमती राजपति ने अन्य आराजियों का भी अवैध तौर पर विक्रय अनुबंध पत्र अरुणा व आलोक के हक में कर दिया।

संदीप सिंह का आरोप है कि करीब पांच महीने बाद स्थानीय लेखपाल रहीं अरुणा दिवेदी और राजस्व कर्मचारी आलोक दुबे ने उपरोक्त सभी भूमि 06/08/2024 को कूटरचित दस्तावेजों के माध्यम से धोखाधड़ी करते हुए सभी कागजातों को वैध बताकर मालिकाना हक आर.एन.जी इंफ्रा R/O 15/78 सिविल लाइंस कानपुर नगर के भागीदार अमित गर्ग S/O स्वर्गीय प्रेम नारायण गर्ग से साठगाठ करके एक सुनियोजित षडयंत्र के तहत फर्जी विक्रयनामा आर.एन.जी इंफ्रा के पक्ष में विक्रयनामा निष्पादित कर विक्रय कर दिया।

आरोप है कि इसी तरह लेखपाल अरुणा दिवेदी और तहसील कर्माचारी आलोक दुबे ने प्रार्थी संदीप सिंह व अन्य परिजनों की ग्राम सिंहपुर कठार स्थित आराजी संख्या 207 रक्बा 0.5495 हेक्टेयर का कूटरचित दस्तावेजों के माध्यम से दिनांक 16/05/2024 को अपने हक में फर्जी विक्रय पत्र निष्पादित करवा लिया। जबकि उपरोक्त आराजी संख्या 207 पर श्रीमती राजपति देवी और राजकुमारी का किसी भी प्रकार का मालिकाना हक नहीं था।

Sandeep Singh का आरोप है कि राजपति देवी, राजकुमारी देवी ने अपने परिजनों और लेखपाल अरुणा दिवेदी और तहसील कर्मचारी आलोक दुबे व अमित गर्ग ने आपसी सांठगांठ कर सुनियोजित षडयंत्र के तहत आर्थिक लाभ प्राप्त करने की नीयत से फर्जी एवं कूटरचित दस्तावेजों को तैयार कर उपरोक्त सभी भूमि का बैनामा करवा लिया। सभी लोगों ने गिरोह बनाकर कूटरचित कागजातों के जरिए न सिर्फ फर्जी बैनामा करवाया बल्कि प्रार्थी व उसके परिजनों को आर्थिक और मानसिक अपूर्णनीय भी पहुंचाई है। जिसके लिए उपरोक्त सभी लोग जिम्मेदार हैं।

मुख्यमंत्री को भेजे गए शिकायती पत्र में Sandeep Singh ने आरोप लगाया है कि लेखपाल अरुणा दिवेदी और तहसील कर्मचारी आलोक दुबे एक संगठित गिरोह बनाकर सरकारी पद का दुरुपयोग करते हुए भू-माफियाओं और सफेदपोश लोगों का रुपया लगवा कर जमीनों की खरीद-फरोक्त का धंधा भी करते हैं। आलोक दुबे ने बिठूर में रिंगरोड के पास कई बीघा भूमि अपने परिजनों के नाम पर पहले खरीदी और बाद में उसकी बिक्री की। कुछ जगहों का मुआवजा भी उठा लिया।


 

Riddhima Yadav 
Student Of (Christ Deemed to be University) 

​टैरिफ़, जिन्हें आयात कर भी कहते हैं, विदेशी सामान को महंगा बनाने के लिए लगाए जाते हैं, ताकि घरेलू निर्माताओं को सुरक्षा मिल सके। सिद्धांत रूप में, इनका उद्देश्य रोज़गार को बचाना और आयात पर देश की निर्भरता को कम करना है। लेकिन, टैरिफ़ सिर्फ़ सरकारी नीतियां नहीं हैं; वे मज़दूरी, उपभोक्ता कीमतों और रोज़मर्रा की आजीविका पर सीधा असर डालते हैं। इसका असर पेनसिल्वेनिया के स्टील वर्कर, लॉस एंजेलिस की बुटीक मालकिन और वाराणसी के हथकरघा कारीगर जैसे अलग-अलग लोगों पर भी पड़ता है।  

​क्या टैरिफ़ हमेशा फ़ायदेमंद होते हैं ?

टैरिफ़ कुछ उद्योगों को मदद दे सकते हैं, लेकिन ये दूसरों के लिए बोझ भी बन सकते हैं।  

फ़ायदे:

​2018 में, अमेरिका द्वारा आयातित स्टील पर टैरिफ़ लगाने से घरेलू स्टील उत्पादन थोड़ा बढ़ा और लगभग 2,000 नौकरियाँ वापस आईं।  

​सोलर पैनलों पर ड्यूटी लगाने से स्थानीय उत्पादन क्षमता 30% से ज़्यादा बढ़ गई।  

​भारत में, टैरिफ़ हथकरघा, बुनाई और छोटे उद्योगों जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को सस्ते आयातित सामान से प्रतिस्पर्धा करने से बचा सकते हैं।  

नुकसान:

2018 के टैरिफ़ के कारण लॉस एंजेलिस की बुटीक दुकानों में कपड़ों की क़ीमतों में लगभग 20% की बढ़ोतरी हुई।  

​चीन ने जवाबी कार्रवाई में अमेरिकी किसानों पर टैरिफ़ लगा दिए, जिससे सोयाबीन किसानों को लगभग 28 अरब डॉलर का नुक़सान हुआ।  

​लैपटॉप और मोबाइल फ़ोन जैसे ज़रूरी सामान भी महंगे हो गए।  

​भारत के कई छोटे कारीगर आयातित कच्चे माल पर निर्भर रहते हैं। टैरिफ़ बढ़ने से उनकी लागत इतनी बढ़ जाती है कि उन्हें या तो ग्राहकों से ज़्यादा चार्ज करना पड़ता है (जिससे मांग घटती है), या नुक़सान उठाना पड़ता है।  

​टैरिफ़ युद्ध शायद ही कभी एकतरफ़ा होते हैं; एक देश का कदम दूसरे देशों की जवाबी कार्रवाई को जन्म देता है।  

​भारत के लिए एक संतुलित तरीक़ा

​भारत के लिए यह ज़रूरी है कि वह एक संतुलित रास्ता अपनाए, न कि सभी चीज़ों पर टैरिफ़ लगा दे।

  

​सुरक्षा शुल्क सीमित करें: टैरिफ़ केवल उन्हीं उद्योगों पर लागू होने चाहिए जो राष्ट्रीय सुरक्षा, स्वच्छ ऊर्जा या तकनीकी आत्मनिर्भरता के लिए महत्वपूर्ण हैं।  

​कच्चे माल को टैरिफ़ मुक्त रखें: छोटे कारीगरों और छोटे उद्योगों के लिए ज़रूरी आयातित कच्चे माल (जैसे खास रंग या हथकरघा उपकरण) पर शुल्क कम या शून्य रखा जाना चाहिए। इससे उनकी लागत नहीं बढ़ेगी और वे अपनी पारंपरिक कारीगरी को बचा सकेंगे।  

​टैरिफ़ से मिली आय का सही इस्तेमाल: टैरिफ़ से मिले राजस्व को सामान्य सरकारी फंड में डालने के बजाय, इसे कारीगरों को प्रशिक्षण देने, छोटे व्यवसायों को आसानी से ऋण देने और इनोवेशन में निवेश करने जैसे कार्यक्रमों पर खर्च किया जाना चाहिए।  

​समय-सीमा तय करें: टैरिफ़ के उपायों की समय-सीमा तय होनी चाहिए और कुछ सालों के बाद उनकी समीक्षा की जानी चाहिए, ताकि उद्योग हमेशा के लिए संरक्षित न रहें।  

​अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: भारत को जापान, यूरोपीय संघ और आसियान जैसे व्यापार साझेदारों के साथ मिलकर काम करना चाहिए, ताकि अनुचित व्यापार प्रथाओं को रोका जा सके और व्यापार युद्ध से बचा जा सके।  

​टैरिफ़ का लोगों पर क्या असर होता है?

​टैरिफ़ सिर्फ़ आर्थिक मामले नहीं होते; उनका सामाजिक और सांस्कृतिक असर भी होता है। बढ़ती क़ीमतें सबसे ज़्यादा कम आय वाले परिवारों को प्रभावित करती हैं और असमानता बढ़ाती हैं। अगर सही तरीक़े से डिज़ाइन न किए जाएं, तो टैरिफ़ हथकरघा, बुनाई और मिट्टी के बर्तन बनाने जैसी सांस्कृतिक परंपराओं को भी ख़तरे में डाल सकते हैं।  

​संक्षेप में, टैरिफ़ का इस्तेमाल सावधानी से किया जाना चाहिए। जब सोच-समझकर इनका उपयोग किया जाता है, तो ये विकास को बढ़ावा दे सकते हैं, लेकिन लापरवाही से इस्तेमाल करने पर ये अर्थव्यवस्था को रोक सकते हैं। आख़िर में, कोई भी नीति जो सच में मायने रखती है, उसे लोगों से शुरू होकर लोगों पर ही ख़त्म होना चाहिए।


  • साढ़े पांच साल बाद कुलदीप की रिहाई
  • जेल से छूटते ही पहुंचा महाकाल के दरबार
  • हत्या के जुर्म में बिधनू पुलिस ने भेजा था जेल 
  • बिधनू थाना एरिया में मिली थी महिला मित्र की लाश 
  • साक्ष्य और सबूत के अभाव में ADJ (9th) Court ने किया बरी



Yogesh Tripathi

महिला मित्र की हत्या के जुर्म में जेल भेजे गए कुलदीप मिश्रा की करीब साढ़े पांच साल बाद जिला कारागार से रिहाई हो गई। कुलदीप मिश्रा के लिए सीनियर अधिवक्ता Om Prakash Pandey (Omi Pandey) "भगवान" बने। उन्होंने पूरे मुकदमें के दौरान कुलदीप से अपनी फीस नहीं ली। कागज व अन्य खर्च कुलदीप ने अपना स्वयं वहन किया। गवाही के बाद जिरह के दौरान अधिवक्ता Om Prakash Pandey ने कोर्ट परिसर में पुलिस के लिखापढ़ी के धागे खोल दिए। जिरह में गवाह भी फंसे। पुलिस की फर्द में आला कत्ल के बरामदगी में भी विरोधाभाष दिखाई दिया। साक्ष्य और सबूतों के अभाव में ADJ (9th) Court ने कुलदीप मिश्रा को दोषमुक्त करार देते हुए बरी कर दिया। 36 घंटा पहले जेल से कुलदीप मिश्रा की रिहाई हुई। जेल से निकलते ही कुलदीप सीधे अधिवक्ता ओमी पांडेय से मिला। उन्हें धन्यवाद देने के बाद कुलदीप महाकाल के दर्शन की खातिर उज्जैन चला गया। 

बचाव पक्ष के अधिवक्ता Omi Pandey ने बताया कि 29/10/2019 को बिधनू पुलिस ने थाना एरिया के सहिया गोझा के जंगलों में एक महिला की लाश बरामद की। महिला की शिनाख्त सीमा सिंह के रूप में परिजनों ने की। गांव के प्रधान मर्दान सिंह ने बिधनू पुलिस को तहरीर दी। पुलिस ने मुकदमा अपराध संख्या 598/2019 पर IPC की धारा 302,201 के तहत मुकदमा पंजीकृत कर कुलदीप मिश्रा की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी लेकिन वो नहीं मिला। पुलिस ने कुलदीप पर 20 हजार का इनाम भी घोषित कर दिया। 18 फरवरी 2020 को पुलिस ने बांदा जनपद में कुलदीप को Arrest किया। कुलदीप की निशानदेही पर पुलिस ने आला कत्ल को बरामद किया। गिरफ्तारी के बाद से कुलदीप मिश्रा जेल में बंद रहा। 

अधिवक्ता Omi Pandey के मुताबिक सीमा सिंह का विवाह फतेहपुर में महेंद्र सिंह के साथ हुआ था। सीमा ने घरेलू हिंसा और भरण व पोषण के लिए महेंद्र पर मुकदमा कर रक्खा था। इधर, कुलदीप मिश्रा का भी अपनी पत्नी से मुकदमा चल रहा था। कोर्ट में ही दोनों की मुलाकात हुई। इसके बाद दोनों अपने मर्जी से बगैर विवाह विच्छेद के साथ-साथ रहने लगे। सीमा सिंह के परिजन इसके खिलाफ थे। सीमा के परिजनों ने कई बार उससे ससुराल भेजने की कोशिश की लेकिन वो नहीं मानी। इस बीच सीमा ने कुलदीप के साथ मिलकर ढाबा भी खोल लिया। सीमा अक्सर अपने प्रेमी कुलदीप के साथ मायके भी जाती थी। ये बात मायके पक्ष के लोगों को नागवार लगती थी। 

सीमा के शव की शिनाख्त होने के बाद परिजनों और ग्राम प्रधान ने पुलिस को शिकायती पत्र दिया था। जिसके आधार पर पुलिस ने कुलदीप मिश्रा की Arresting कर उसे जेल भेज दिया। अधिवक्ता Omi Pandey ने बताया कि पुलिस की विवेचना बेहद लचर थी। विवेचक ने अभियुक्त कुलदीप और सीमा सिंह के मोबाइल की CDR एवं लोकेशन एकत्र नहीं की। सीमा और कुलदीप के बीच घटना से पहले तक कितनी बार बातचीत हुई...??? इसका संकलन नहीं किया गया। अभियोजन और साक्षी यह भी नहीं बता पाए कि अभियुक्त को अंतिम बार कब सीमा सिंह के साथ देखा गया था। पुलिस ने जो आला कत्ल की बरामदगी की, उसे FSL परीक्षण के लिए नहीं भेजा। अभियुक्त के पास से आला कत्ल (चाकू) की जो बरामदगी में दिखाई गई वो अरेस्ट मेमो में अंकित है। जब कि विवेचक की तरफ से पहले Arrest करना फिर चाकू की बरामदगी होना बताया गया। शव की बरामदगी और आला कत्ल की बरामदगी के स्थान के बीच की दूरी करीब तीन किलोमीटर है। Court में अभियोजन पुलिस साक्षी की तरफ से कहा गया कि शव के बरामदगी स्थल से आला कत्ल दिखाई दे रहा था। 

बचाव पक्ष के अधिवक्ता  Omi Pandey ने कोर्ट से कहा कि आला कत्ल की और शव बरामदगी के गांव अलग-अलग हैं। जिसकी वजह से आला कत्ल की बरामदगी में संदेह प्रतीत हो रहा है। अभियुक्त की तरफ से दिए गए बयानों का कोई मेमोरेंडम नहीं बनाया गया और न ही कोर्ट के सम्मुख साबित किया गया। आला कत्ल की बरामदगी के समय स्वतंत्र गवाहों को भी शामिल नहीं किया गया। 

अधिवक्ता Omi Pandey ने इस दौरान अदालत में माननीय सुप्रीम कोर्ट की तरफ से निर्णयज विधि अमर सिंह बनाम स्टेट ऑफ एन.सी.टी ऑफ दिल्ली 2020 SCC और माननीय हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ की तरफ से सेल्वराज बनाम स्टेट ऑफ तमिलनाडु (1976) 4 ACC (343) के हवाला देकर कोर्ट से अपील करते हुए कहा कि जहां पर अभियोजन की तरफ से प्रस्तुत साक्ष्य के विश्लेषण से अभियोग कथानक, अत्यधिक असंभाव्य एवं सहज  मानवीय स्वभाव के विपरीत व विरोधाभाषी है तो अभियुक्त को दोष सिद्ध किया जाना उचित नहीं है। सुनवाई के दौरान 15 गवाहों की गवाही हुई। इसमें पुलिस के विवेचक भी शामिल रहे। 

19 /08/2025 को ADJ (9th) Court के जज शेष बहादुर निषाद ने  कुलदीप को दोषमुक्त करार देते हुए जेल से रिहाई के आदेश दिए।  साथ ही दोषमुक्त कुलदीप को 20 हजार रुपए का बंधन पत्र भी कोर्ट में जमा करने का आदेश दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यदि मामले में अपील होती है तो कुलदीप को कोर्ट के समक्ष हाजिर रहना पड़ेगा।  हत्या जैसे मामले में बिना फीस के मुकदमा लड़ने वाले अधिवक्ता Omi Pandey ने कहा कि मुकदमें की पैरवी में उनके जूनियर्स ने काफी मेहनत की। 

  • भानु प्रताप सिंह ने 1300 वोटों की बंपर जीत दर्ज की
  • जीत के जश्न में समर्थकों ने की आतिशबाजी
  • लॉयर्स एसोसिएशन के अन्य पदों पर वोटों की गिनती जारी


Yogesh Tripathi


Kanpur Lawyers Association Election (2025) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और ज्वाइंट सेकेट्री पदों के परिणाम भी गुरुवार देर शाम को आ गए। रमाकांत मिश्रा (वरिष्ठ उपाध्यक्ष) के पद पर निर्वाचित हुए। संयुक्त मंत्री (प्रकाशन) के पद पर भानु प्रताप सिंह ने बंपर वोटों से जीत दर्ज की। भानु ने निकटम प्रत्याशी को करीब 1300 वोटों से पराजित किया। सनद रहे कि भानु प्रताप सिंह (2024) के रनर थे। अन्य पदों पर मतगणना जारी है। कुछ पदों पर शुक्रवार को गिनती की जाएगी।


वरिष्ठ अधिवक्ता रमाकांत मिश्रा 1895 वोट मिले। शैलेश कुमार त्रिवेदी (951) वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे जब कि सुधीर कुमार अवस्थी 942 वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे। जीत मिलते ही साथी अधिवक्ताओं और समर्थकों ने रमाकांत मिश्रा को बधाई दी। 

संयुक्त मंत्री (प्रकाशन) के पद पर मामला मतगणना के पहले चक्र से ही एकतरफा दिखाई दे रहा था। भानु प्रताप सिंह की जीत एक घंटे में ही पक्की हो गई थी। यही वजह है कि शाम पांच बजे जब मतगणना जारी थी तो उसी बीच भानु के समर्थकों ने नारेबाजी कर आतिशबाजी शुरु कर दी। भानु को कुल 3213 वोट मिले। अभिषेक चौरसिया 1726 वोट पाकर दूसरे  स्थान पर रहे। आलोक कुमार दुबे 577 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे। 



उल्लेखनीय है कि बुधवार को महामंत्री और अध्यक्ष पद की मतगणना हुई थी। जिसमें राजीव यादव 311 से सुनील पांडेय को हराकर निर्वाचित हुए। सबसे अधिक हाय-तौबा अध्यक्ष पद के परिणाम को लेकर मची है। दिनेश वर्मा को एल्डर्स कमेटी ने 15 मतों से विजयी घोषित किया। कड़े मुकाबले में 15 वोट से हारने वाले राकेश सचान और उनके समर्थकों ने देर रात्रि तक जमकर हंगामा किया। गुरुवार दोपहर को एल्डर्स कमेटी के खिलाफ तमाम आरोप लगाकर राकेश सचान ने प्रोटेस्ट भी किया। दिनेश वर्मा को पूरे दिन अधिवक्ताओं ने बधाइयां दी। नवनिर्वाचित महामंत्री राजीव यादव ने भी जीत के बाद दूसरे दिन कचहरी में समर्थकों और अधिवक्ताओं को धन्यवाद दिया। 







Yogesh Tripathi

दि लॉयर्स एसोसिएशन (कानपुर) 2025 के चुनाव में दिनेश वर्मा अध्यक्ष और राजीव यादव महामंत्री निर्वाचित हुए है। दिनेश वर्मा ने अपने निकटम प्रत्याशी राकेश सचान को 15 वोटों से पराजित किया। दिनेश चंद्र वर्मा को 1295 वोट मिले जब कि राकेश सचान को 1280 मत मिले। अरविंद कुमार दीक्षित को 1121 और अनूप कुमार दिवेदी को 1083 मत मिले। एक मात्र मुस्लिम प्रत्याशी सैयद सिकंदर आलम को 532 वोट हासिल हुए। 48 मत अवैध घोषित किए गए। उधर, महामंत्री पद पर राजीव यादव (1771) ने सुनील पांडेय (1460) को 311 वोटों से हराकर महामंत्री का चुनाव जीता। 962 वोट पाकर अभय शर्मा तीसरे नंबर पर रहे जब कि 498 वोट पाकर नवनीत कुमार पांडेय चौथे पायदान पर रहे। धर्मेंद्र सिंह भदौरिया 440 वोट पाकर पांचवे नंबर पर और देश बंधु तिवारी ने 348 वोट पाकर छठवें नंबर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।    



राजीव यादव डीसी ऑफ लॉ कालेज के प्रेसीडेंट भी रह चुके हैं। लंबे समय से वकालत कर रहे हैं। राजीव इससे पहले भी लॉयर्स का चुनाव लड़े थे लेकिन हार गए थे। इस बार उनकी जीत सुनिश्चित मानी जा रही थी। Rajeev Yadav ने कल वोटिंग के बाद कचहरी में समर्थकों के साथ जुलूस निकाल सभी को हार्दिक धन्यवाद भी दिया था। राजीव ने चुनाव में सुनील पांडेय को हराने के बाद कहा कि यह कचहरी के अधिवक्ताओं की जीत है। अधिवक्ताओं के हितों के लिए हमेशा आगे खड़े मिलेंगे। अपनी जीत पर राजीव ने कहा कि अधिवक्ताओं की हर समस्या का निस्तारण वह कराने की हर संभव कोशिश करेंगे। 

उल्लेखनीय है कि नामांकन प्रक्रिया के दिन पोर्टल ने महामंत्री पद को लेकर जो खबर लिखी थी वो बिल्कुल सच साबित हुई। राजीव यादव और सुनील पांडेय में सीधी टक्कर देखने को मिली। अंत में जीत राजीव यादव को मिली। 



Note....अन्य पदों के लिए मतगणना गुरुवार को Start होगी। गुरुवार देर रात्रि तक परिणाम आने की संभावना है। 

Update News 







  • मंगलवार सुबह करीब एक घंटा विलंब से Start हुई वोटिंग प्रक्रिया 
  • DAV College में कड़ी सुरक्षा के बीच अधिवक्ताओं ने किया मतदान
  • बुधवार सुबह 11 बजे से अध्यक्ष और महामंत्री पद की होगी काउंटिंग
  • अलग-अलग पदों पर 74 प्रत्याशी अजमा रहे हैं अपनी किस्मत 
  • 15 बूथों पर 5755 अधिवक्ताओं ने की "वोट की चोट"


Yogesh Tripathi

Kanpur में लॉयर्स एसोसिएशन का चुनाव मंगलवार को कड़ी सुरक्षा के बीच संपन्न हो गया। पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था काफी कड़ी थी। डीएवी कॉलेज परिसर में हो रही मतदान प्रक्रिया के मद्देनजर कचहरी और आसपास की सड़कों पर पुलिस प्रशासन की तरफ से बैरीकेडिंग की गई थी। प्रत्याशी के समर्थक हवा में पर्चियां उड़ाकर सुबह से शाम तक वोट मांगते रहे। उमस भरी चिपचिपी गर्मी से प्रत्याशियों और उनके समर्थकों का हाल बेहाल रहा। 5755 अधिवक्ताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। वोटिंग प्रक्रिया के बाद देर शाम कचहरी में महामंत्री पद के प्रत्याशी Rajeev Yadav ने सर्मथकों के साथ मतदाताओं का आभार व्यक्त किया। बुधवार सुबह 11 बजे अध्यक्ष और महामंत्री पद पर काउंटिंग प्रक्रिया Start होगी। दोपहर बाद से रुझान और देर रात्रि तक चुनाव परिणाम आने की उम्मींद है।


COP Card की मूल प्रति & QR Code Slip के बगैर किसी भी अधिवक्ता को मतदान केंद्र के अंदर प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी।  तमाम Voter's जब COP Card की मूल प्रति & QR Code Slip की फोटो कॉपी लेकर वोट करने पहुंचे थे लेकिन उन्हें वोट नहीं डालने दिया गया। कुछ अधिवक्ताओं ने मिन्नतें भी की लेकिन वे फिर भी वोट नहीं डाल सके। 


मंगलवार को तीन बजे तक लॉयर्स चुनाव में सिर्फ 40 प्रतिशत ही मतदान हो सका था लेकिन उसके बाद अधिवक्ताओं की मतदान केंद्र पर अचानक भीड़ बढ़ने लगी। शाम साढ़े पांच बजे तक 74 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। चूंकि मतदान प्रक्रिया करीब एक घंटा देरी से शुरु हुई थी, इस लिए शाम को आधा घंटा अतिरिक्त समय मतदान के लिए दिया गया। एल्डर्स कमेटी के चेयरमैन रवि मोहन कटियार के मुताबिक 7765 मतदाताओं में 5755 ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। 2010 मतदाताओं ने वोट नहीं डाले। 

बीमार और बुजुर्ग मतदाताओं को कुछ प्रत्याशी अपने वाहनों के जरिए मतदानस्थल तक ले गए।  खास बात ये रही कि मतदान के दौरान मोबाइल ले जाने पर पूरी तरह से रोक थी। गोरा कब्रिस्तान और आसपास प्रत्याशियों ने अपने बस्ते सजाए थे। समर्थक करीब 100 मीटर की दूरी पर खड़े होकर हवा में पर्चियां उड़ाते हुए प्रत्याशी के लिए वोट मांगते  नजर आए। किसी भी बवाल के मद्देनजर पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए थे। कई थानों की फोर्स के साथ-साथ रिजर्व पुलिस बल को भी तैनात किया गया था। 

  • 30 जुलाई को होगी नामांकन पत्रों की जांच
  • नामांकन वापसी की तारीख 31 जुलाई है मुकर्रर
  • खाकी की कड़ी निगरानी के बीच प्रत्याशियों ने भरा पर्चा 
  • "चुनावी टेंडर" के "ठेकेदारों" ने Election से बनाई दूरी
  • कचहरी में खाकी और खुफिया का "पहरा" रहा "गहरा"

Yogesh Tripathi

The Lawyers Association Election 2025  (Kanpur) की नामांकन प्रक्रिया मंगलवार को पूरी हो गई। अध्यक्ष पद पर 6, महामंत्री पद पर 8 प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र दाखिल किए। वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद पर 5 प्रत्याशी, कनिष्ठ उपाध्यक्ष में 7, कोषाध्यक्ष पद में 4, संयुक्त मंत्री प्रशासन पद में 9, संयुक्त मंत्री प्रकाशन पद में 3, वरिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य पद में 10, कनिष्ठ कार्यकारिणी पद में 17 प्रत्याशियों ने नामांकन कराया। 


नामांकन प्रक्रिया के दौरान एल्डर्स कमेटी के सदस्य देवनाथ शुक्ला , रामप्रताप सिंह चौहान, प्रबल प्रताप सिंह यादव (सभी अधिवक्ता) एवं राजेश कुमार यादव (अधिवक्ता/मुख्य चुनाव अधिकारी), और अधिवक्ता अरुण तिवारी मौजूद रहे। सभी नामांकन पत्र श्रीराम कुमार शुक्ला हाल में एल्डर्स कमेटी के चेयरमैन श्री रवि मोहन कटियार (अधिवक्ता) की अध्यक्षता में लिए गए। एल्डर्स कमेटी ने सभी प्रत्याशियों से एक शपथ पत्र इस आशय के तहत लिया है कि चुनाव आचार संहिता का पालन पूर्ण रूप से हो। 

30 जुलाई को नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी और 31 जुनाई को प्रत्याशी अपना नाम वापस ले सकते हैं। मंगलवार को नामांकन के दौरान पुलिस के साथ-साथ खुफिया भी काफी सतर्क रही। प्रत्याशियों ने समर्थकों के साथ नारेबाजी करते हुए जुलूस निकाला लेकिन इस बार नजारा कुछ "जुदा-जुदा" सा था। 



"चुनावी टेंडर" के "ठेकेदार" पुलिस की सख्ती के आगे इस बार बेबस और लाचार नजर आए। करीब-करीब सभी ने इस बार के चुनाव से दूरी बना रक्खी है। समर्थकों ने नारेबाजी तो की लेकिन हर बार जैसा हो-हुल्लड़ नहीं हुआ। Out Sider की भीड़ भी इस बार काफी कम रही। प्रत्याशी अपने समर्थकों के बीच सिर्फ लंच पैकेट, फल-फ्रूट और पानी की बोतल ही बांट सके। "रंगीन पानी" की बोतल का वितरण इस चुनाव में खुले तौर पर नहीं हो पा रहा है। सबकुछ पर्दे के पीछे से संचालित है। 

चुनावी तस्वीर बिल्कुल भी साफ नहीं है। हर पद पर घमासन मचा मचा है। अध्यक्ष पद पर अरविंद कुमार दिवेदी मजबूती से डटे हुए हैं। राकेश सचान और अरविंद कुमार दीक्षित उन्हें चुनौती देते नजर आ रहे हैं। दिनेश चंद्र वर्मा और सैय्यद सिकंदर आलम अध्यक्ष पद के चुनाव को दिलचस्प बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं। News Portal से बातचीत के दौरान कुछ सीनियर्स अधिवक्ताओं ने कहा कि चुनाव की असली तस्वीर अगले तीन से चार दिन में साफ होती नजर आएगी।  उसके बाद ही मालूम चलेगा कि सीधी फाइट होगी या फिर चुनाव त्रिकोणीय बनेगा। अभी कुछ भी कहना गलत है। 



महामंत्री पद का नजारा सबसे अलग है। इस पद पर 8 प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र भरा है। 2024 के चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे राजीव यादव इस बार और मजबूती से चुनाव में खड़े हैं। राजीव यादव ने वर्ष 1999 में डी.सी ऑफ लॉ कालेज के अध्यक्ष का चुनाव जीता था।  सुनील पांडेय उनको टक्कर दे रहे हैं। 2024 के चुनाव में सुनील पांडेय तीसरे नंबर पर थे। अभय शर्मा और नवनीत कुमार पांडेय चुनाव का पूरा माहौल बनाए हुए हैं। चुनावी "शोर" देशबंधु तिवारी का भी  है। 



संयुक्त मंत्री प्रकाशन में भानु प्रताप सिंह चौहान को अभिषेक चौरसिया और आलोक कुमार दुबे चुनौती दे रहे हैं। जबकि संयुक्त मंत्री पुस्तकालय के पद पर प्रेम शंकर मिश्रा को तरुण कुमार कुशवाहा, जसविंदर सिंह, शशि गौतम और वरुण यादव से चुनौती मिल रही है। अन्य पदों पर भी प्रत्याशी अपनी जीत के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाए हैं। अंदर की खबर ये है कि पुलिस, प्रशासन और खुफिया न सिर्फ सतर्क हैं बल्कि "पहरा काफी गहरा" किए हुए हैं। यही वजह है कि The Lawyers Association Election 2025  (Kanpur) में सूई पटक सन्नाटा है। 


  • संदीप पासी उर्फ इमरान उर्फ इब्राहिम पर घोषित था 50 हजार का इनाम
  • 2017 में Kanpur Dehat पुलिस ने की थी गैंगस्टर की कार्रवाई
  • शातिर ने फतेहपुर के बिन्दकी में ले रक्खी थी पनाह
  • फतेहपुर में शहीदुनिशा नाम की मुस्लिम महिला से किया निकाह


Yogesh Tripathi

उत्तर प्रदेश स्पेशल टॉस्क फोर्स (UPSTF) ने लंबे समय से गैंगस्टर एक्ट के मामले में फरार चल रहे शातिर बदमाश को Arrest कर लिया। संदीप पासी उर्फ इमरान उर्फ इब्राहिम नाम के इस बदमाश पर 50 हजार रुपए का इनाम घोषित था। पूछताछ में शातिर ने बताया कि पुलिस से बचने के लिए उसने अपना नाम इरफान रख लिया और फतेहपुर जनपद की बिंदकी तहसील में पनाह ले ली। यहां पर उसने शदीदुनिशा नाम की मुस्लिम महिला से निकाह भी कर लिया। पुलिस की निगाह से बचने के लिए गैंगस्टर सब्जी की बिक्री भी करने लगा। पूछताछ के बाद उसे कोर्ट में पेश किया गया। जहां से न्यायिक अभिरक्षा में कोर्ट ने जेल भेज दिया।


ADG (Zone), Kanpur आलोक सिंह, IG (Range), Kanpur जोगेन्द्र कुमार के मार्गदर्शन में SP (Kanpur Dehat) अरविन्द मिश्र के के निर्देश पर जनपद में अपराधों की रोकथाम, खुलासे, वांछित एंव पुरस्कार घोषित अपराधियों की Arresting के लिए चलाए जा रहे विशेष अभियान के क्रम में थाना गजनेर पर पंजीकृत मुकदमा अपराध संख्या 128/2017 धारा 3(1)  UP Gangster (Act)) एक्ट में वांछित अभियुक्त सन्दीप पासी उर्फ इब्राहिम उर्फ इमरान पुत्र विनोद कुमार उर्फ टिकई मूल पता खजूर गाँव थाना लालगंज जनपद रायबरेली हाल पता ग्राम दरवेशाबाद थाना बिन्दकी जनपद फतेहपुर गिरफ्तारी न हो पाने के कारण IG (Range) Kanpur ने इनाम की राशि बढ़ाकर 50 हजार रुपए कर दिया। शनिवार को STF (Inspector) घनश्याम यादव की अगुवाई में टीम ने गजनेर पुलिस की मदद से मुखबिर की सूचना पर संदीप पासी उर्फ इब्राहिम उर्फ इमरान को Kanpur Dehat के गजनेर थाना एरिया स्थित जिठरौली तिराहे पर बने प्रतीक्षालय के पास घेराबंदी के बाद धर दबोचा।


STF की पूछताछ में गैंगस्टर सन्दीप पासी उर्फ इब्राहिम ने बताया कि वो अपने साथी सुशील कुमार गुप्ता पुत्र बरातीलाल निवासी 101/325 S-ब्लाक किदवई नगर कानपुर नगर, अल्ताफ पुत्र रामस्वरूप निवासी मल्लावां थाना बड्डूपुर जनपद बाराबंकी, छोटे गौतम उर्फ नन्द किशोर पुत्र रामऔतार कुरील निवासी बैरी सवाई थाना शिवली जनपद कानपुर देहात और  सुशील गौतम पुत्र बाबूराम निवासी चौराई थाना बिधनू जनपद कानपुर नगर आदि के साथ लंबे समय से शराब की तस्करी करता था। नौ साल पहले सभी को पुलिस ने Arrest कर जेल भेजा था। 


संदीप पासी के मुताबिक जेल से जमानत पर छूटने के बाद जब उसे पता चला कि पुलिस ने उस पर गैंगेस्टर एक्ट की कार्रवाई की है तो पुलिस से बचने के लिए उसने अंडरग्राउंडहोने का ब्लूप्रिंट बनाया। मूल पता ग्राम खजूरगाँव से निकल कर भिन्न-भिन्न स्थानों पर संदीप पुलिस से छुपता रहा। बकौल संदीप करीब 8 साल पहले फतेहपुर जनपद की तहसील बिंदकी के ग्राम दरवेशाबाद शहीदुनिशा नाम की महिला से निकाह कर लिया और पहचान छुपाने की नियत से अपना नाम इब्राहिम उर्फ इमरान रख लिया।


इस बीच संदीप पासी सब्जी बेचने का काम करने लगा ताकि लोगों और पुलिस की निगाह से बच सके। STF (Inspector) घनश्याम यादव के मुताबिक शनिवार को संदीप पासी उर्फ इब्राहिम अपने गिरोह के सदस्यों से मिलने के लिए गजनेर पहुंचा था। STF की टीम को मुखबिर के जरिए उसके मौजूदगी की खबर मिली तो गजनेर पुलिस की मदद से टीम ने उसकी गिरफ्तारी के लिए जाल बिछाया। टीम को देख जब उसने भागने की कोशिश की तो घेराबंदी कर दबोच लिया गया।

गैंगस्टर को Arrest करने वाली टीम में STF (Inspector) घनश्याम यादव, Inspector आशुतोष कुमार त्रिपाठी, गजनेर थाने के प्रभारी निरीक्षक प्रवीन कुमार यादव, SSI यतेंद्र कुमार यादव, SI राजेश कुमार वर्मा, HC कुलदीप सिंह, दिलीप सिंह, शिवभोला शुक्ला, राजेश कुमार, कांस्टेबल अंकुर अहलावत और STF टीम के चालक रईस भी शामिल रहे।

गैंगस्टर संदीप पासी उर्फ इब्राहिम का अपराधिक इतिहास

1. मु.अ.सं. 128/2017 धारा 3(1) गैंगस्टर एक्ट थाना गजनेर जनपद कानपुर देहात।

2. मु.अ.सं. 334/2016 धारा 420/467/468/471/272/273 भा..वि. 60(2)/72 आबकारी अधिनियम व 63 कापी.एक्ट थाना गजनेर जनपद कानपुर देहात।

3. मु.अ.सं. 293/2019 धारा 174-A भा.द.वि. थाना गजनेर जनपद कानपुर देहात