- बुधवार को Agra Jail में हार्ट अटैक से D-2 सरगना अतीक कुरैशी की मौत
- अधिवक्ता खुर्शीद आलम Murder Case में हुई थी उम्रकैद की सजा
- राजधानी दिल्ली के लक्ष्मी नगर एरिया के कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक
- अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और एजाज लक्कड़वाला से भी जुड़े थे अतीक के तार
- पुलिस के अभिलेखों में फिलहाल दर्ज रहेगी "IS-273" गैंग की "कहानी"
- भाई या फिर बीवी...? आखिर कौन संभालेगा अतीक के जुर्म का "साम्राज्य"
- मरने से काफी पहले अपनी सभी संपत्तियों की वसीयत बेटों और बेगम के नाम की
Yogesh Tripathi
कभी Kanpur के अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह रहे कुलीबाजार निवासी अतीक अहमद कुरैशी का तीन दिन पहले Uttar Pradesh की आगरा जेल में हार्ट अटैक पड़ने से इंतकाल हो गया। खबर है कि जेल प्रशासन की सूचना पर पहुंचे अतीक अहमद के परिवारीजन शव को दिल्ली ले गए और वहीं शनिवार को सुपुर्द-ए-खाक कर दिया। चर्चा है कि अतीक और तौफीक अहमद उर्फ बिल्लू का परिवार लंबे समय से दिल्ली के लक्ष्मीनगर एरिया के किसी मोहल्ले में रहता है। यही वजह रही कि शव को दिल्ली ले जाया गया।
अपने जुर्म के "साम्राज्य" को मुंबई अंडरवर्ल्ड से जोड़कर नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश समेत कई जगहों तक फैलाने वाले अतीक अहमद ने अपराध की शुरुआत 70 के दशक में Kanpur के अनवरगंज थाना एरिया स्थित कुली बाजार की तंग गलियों से की थी। 80,90 के दशक में अतीक अहमद और उसके भाइयों रफीक, बिल्लू, बाले, शफीक, अफजाल की तूती बोलती थी। वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करना और भाड़े पर हत्याएं करने जैसे बड़े अपराध की नींव इन भाइयों ने ही Kanpur में रक्खी थी। Kanpur के बाद अतीक और उसके भाई Uttar Pradesh में "सुपारी किलिंग" के भी "बादशाह"| बन बैठे। यूपी के बाहर भी तमाम प्रांतों में इन भाइयों के अपराध का खौफ था। शहर की कुछ सियासी हस्तियां ने भी इन खतरनाक भाइयों से समय-समय पर सेवाएं ली थीं।
विदेशी हथियारों की तस्करी में भी अतीक और उसके भाई लंबे समय तक संलिप्त रहे। दिल्ली में स्टार मार्का चाइनीज पिस्टलों के साथ अतीक और बाले पकड़े गए। लंबे समय तक दोनों तिहाड़ जेल में कैद रहे। पकड़े जाने पर दोनों ने स्वीकार किया था कि Pakistan के कराची से ये पिस्टलें लाकर गिरोह यूपी और आसपास के प्रांतों में बिक्री लंबे समय से कर रहा था। सभी की अपने सौतेले भाई टॉयसन से कभी नहीं बनी। गिरोह के बारे में जानकारी रखने वाले पुलिस अफसरों की मानें तो इस गैंग को नेस्तानाबूत करने में टॉयसन का अहम योगदान रहा। सभी भाई टॉयसन के पीछे भी पड़े रहे लेकिन कभी छू तक नहीं पाए। वर्ष 98-99 में भरे चौराहे पर तमाचा खाने के बाद अतीक और उसके भाइयों से अपमान का बदला लेने के लिए अपराध की दुनिया में उतरे हीरामन का पुरवा निवासी परवेज ने कुछ समय के लिए D-2 गिरोह को छकाया लेकिन 2008 में STF ने परवेज का बिठूर में Encounter कर दिया।
Unnao के शुक्लागंज में है ससुराल
आगरा जेल में हार्ट अटैक से मरे "IS-273" गिरोह के सरगना अतीक अहमद की ससुराल पड़ोसी जनपद उन्नाव के शुक्लागंज में है। अतीक की बेगम का नाम चमन बेबी है। अतीक के तीन बेटे हैं। वर्ष 2005 में Encounter में मारे जा चुके अतीक के भाई तौफीक उर्फ बिल्लू का निकाह चमन की छोटी बहन गुड़िया से हुआ था। दोनों से एक बेटा और एक बेटी हैं। खबर है कि तौफीक का परिवार भी दिल्ली में शिफ्ट हो चुका है। दोनों के बच्चे अब अपराध की दुनिया से दूर हैं लेकिन अतीक की बेगम और बड़े बेटे पर खुफिया व पुलिस की पैनी निगाह हमेशा रहती है।
कौन संभालेगा अतीक के जुर्म का "साम्राज्य"...?
अतीक के जुर्म का अध्याय भले ही बंद हो गया लेकिन उसके दुस्साहस और अपराध करने के Style की चर्चाएं तो होती रहेंगी। अतीक समेत चार भाइयों की मौत हो चुकी है। दो भाई इकबाल उर्फ बाले और अफजाल फिलहाल जेल में बंद हैं। अतीक की बेगम बच्चों और परिवार के साथ अंडरग्राउंड है। गिरोह के दो खतरनाक सदस्य रफाकत और इजराइल आटा वाला जेल में सजा काट रहे हैं। लईक कालिया (बूढ़ा शेर) हो चुका है। शाहिद पिच्चा, राजिक, बाबर और उसका भाई छोटे और डब्लू व एक अन्य सदस्य ही बाहर और एक्टिव हैं।
इसमें बाबर और छोटू वाराणसी में कुछ साल पहले मारे जा चुके मुख्तार गैंग के शार्प शूटर रईस बनारसी के भांजे हैं। पुलिस की मानें तो दोनों हथियारों और कारतूस की तस्करी में Expert हैं। बाबर को भारी मात्रा में हथियारों के साथ ATS ने कुछ साल पहले Arrest किया था। जिसमें उसे सजा भी हुई थी। उस समय ATS ने प्रतिबंधित हथियारों का बड़ा जखीरा बरामद किया था। पुलिस अफसरों का मानना है कि अतीक की मौत के बाद गिरोह की कमान परिवार का ही कोई व्यक्ति संभाल सकता है। लेकिन संभालेगा कौन...? इस सवाल पर जानकार पुलिस अफसर कहते हैं कि अफजाल या फिर उसकी बेगम में कोई भी... गिरोह का सरदार भले ही कोई बने लेकिन खुफिया और पुलिस Alert हैं।
गिरोह के लिए "यमराज" बने ये अफसर
इस गिरोह के लिए वर्तमान में उन्नाव जनपद में क्षेत्राधिकारी के पद पर तैनात ऋषिकांत शुक्ला सही मायनों में "यमराज" बन गए। 2005 में मेहरबान सिंह का पुरवा के पास तौफीक उर्फ बिल्लू को Encounter में ढेर कर ऋषिकांत ने गिरोह का पहला और कीमती विकेट गिरा दिया। उसके बाद हीर पैलेस के बाहर STF सिपाही की हत्या कर भागे गिरोह के खूंखार बदमाश रफीक को कोलकाता में Arrest करने पहुंचे। कोलकाता में रफीक ने गोलियां चला दीं। किसी तरह अपनी टीम के साथ ऋषिकांत शुक्ला बच पाए। लोकल पुलिस की मदद से गिरफ्तार कर रफीक को कोर्ट में पेश किया गया। उसके बाद बी-वारंट के जरिए उसे कानपुर लाया गया।
यहां से पुलिस ने A.K-47 की बरामदगी के लिए रिमांड ली। रफीक को लेकर पुलिस टीम जूही यार्ड के पास जा रही थी। लेकिन रास्ते में बाइक से आए अतीक गिरोह के कट्टर दुश्मन परवेज ने पुलिस कस्टडी में रफीक की हत्या कर दी। करीब दो साल पहले तीसरे भाई शफीक की मुंबई में बीमारी से मौत हो गई थी और अब अतीक की हार्ट अटैक से मौत। इकबाल उर्फ बाले और अफजाल जेल में हैं। इसमें अफजाल को करीब ढाई साल पहले राजस्थान में गिरफ्तार किया गया। उसे भी सजा हो चुकी है।