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  • प्रारंभिक छानबीन में मामला सही पाए जाने पर FIR
  • Police Officer’s ने जांच के लिए SIT Team गठित की
  • ACP को तत्काल प्रभाव से DGP Office से संबंद्ध कर दिया गया
  • आजाद अधिकार सेनाके राष्ट्रीय अध्यक्ष ने निष्पक्ष जांच की मांग की

Photo (साभार) Google

Yogesh Tripathi

Kanpur में तैनात प्रांतीय पुलिस सेवा के एक अधिकारी (PPS Officer) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) की Student ने झांसा देकर Rape करने का आरोप लगाया है। IIT Student की शिकायत पर कानपुर पुलिस ने PPS Officer के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत किया है। मामले की निष्पक्ष जांच के लिए एक SIT Team गठित की गई है। आरोपी अधिकारी किसी भी तरह से जांच को प्रभावित न कर सके इस लिए उनको तत्काल प्रभाव से DGP Office से संबंद्ध कर दिया गया है। उधर आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष और Ex.IPS Officer अमिताभ ठाकुर ने मामले को गंभीर बताते हुए निष्पक्ष एवं पारदर्शी विवेचना की मांग की है। अमिताभ ठाकुर ने जांरी अपने बयान में कहा कि एक वरिष्ठ पुलिस अफसर पर इस तरह के आरोप बेहद गंभीर हैं।

इस पूरे मामले पर DCP (South) अंकिता शर्मा मीडिया को बताया कि IIT (Kanpur) में पढ़ाई करने वाली एक छात्रा ने कानपुर पुलिस के एक ACP पर शारीरिक शोषण करने का आरोप लगाया है। छात्रा की तहरीर पर सुसंगत धाराओं में FIR रजिस्टर्ड की जा रही है। प्रकरण की गहनता से जांच के लिए एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित की जा रही है जिसको एसीपी (ट्रैफिक) अर्चना लीड करेंगी। ACP को तत्काल प्रभाव से पुलिस महानिदेशक कार्यालय (DGP Office ) से अटैड कर दिया गया है।

बताया जा रहा है कि ACP मोहसिन खान जुलाई के महीने में एक विषय में PHD करने के लिए IIT से जुड़े थे और वहीं पर उनकी मुलाकात आरोप लगाने वाली IIT Student से हुई। जिसके बाद दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ीं। आरोप है कि इस दौरान झांसा देकर ACP ने शारीरिक संबंध भी बनाए। चर्चा है कि जब पीड़िता को ये जानकारी हुई कि ACP शादीशुदा हैं तो फिर दोनों के बीच विवाद बढ़ा। पीड़िता ने मामले की शिकायत पुलिस के उच्छ अधिकारियों से की। जिसके बाद कमिश्नर ने तत्काल एक सीनियर अधिकारी को मौके पर भेजा।


IIT (Kanpur) के निदेशक प्रोफेसर मनिंद्र अग्रवाल ने एक बयान जारी कर कहा है कि छात्रा ने पुलिस अधिकारी पर यौन शोषण का आरोप लगाया है। उसने अधिकारी के खिलाफ लिखित शिकायत भी दर्ज कराई है। IIT (Kanpur) छात्रा को सभी आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है, ये कठिन समय है। त्वरित कार्रवाई के लिए शहर पुलिस के अाभारी हैं। हम जांच में पुलिस को सहयोग कर रहे हैं"

 


लखनऊ निवासी मोहसिन खान 2013 बैच के PPS Officer हैं। मोहसिन ने एक जुलाई 2015 को प्रांतीय पुलिस सेवा की नौकरी ज्वाइन की थी। मोहसिन खान आगरा और अलीगढ़ में भी तैनात रह चुके हैं। एक साल पहले उनकी तैनाती कानपुर में हुई थी।

  • महिला लेखपाल और राजस्व कर्मचारी की अब पुलिस भी करेगी जांच
  • जांच पूरी कर एक महीने में Report कमिश्नर को देंगे मातहत
  • पैरवी करने पर दबंगों ने कचहरी में रोककर पीड़ित को दी थी धमकी
  • दो दिन पहले DM ने जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई
  • पीड़ित ने मुख्यमंत्री से लेकर गृहसचिव तक की शिकायत
  • रजिस्टर्ड वसीयत को दरकिनार कर रजिस्ट्री कराने का मामला


Central Desck (Kanpur)

रजिस्टर्ड वसीयत और दान-विलेख पत्र को दरकिनार कर अवैध तरीके से कृषि भूमि का बैनामा कराने और जानमाल की धमकी देने वाले सिस्टमबाजमहिला लेखपाल अरुणा दिवेदी और राजस्व कर्मचारी आलोक दुबे व उनके गुर्गों की जांच अब Kanpur Police भी करेगी। पुलिस कमिश्नर (कानपुर) अखिल कुमार ने जांच Report एक महीने के अंदर देने का निर्देश मातहतों को दिया है। उल्लेखनीय है कि DM (Kanpur Nagar)  राकेश कुमार सिंह ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाकर 15 दिन के अंदर Report देने का आदेश दो दिन पहले ही दे चुके हैं। DM ने अपर जिलाधिकारी (न्यायिक) को कमेटी का अध्यक्ष बनाया है। SDM & ACP कमेटी में सदस्य हैं। पहले डीएम फिर पुलिस कमिश्नर की तरफ से प्रकरण में जांच का आदेश दिए जाने के बाद राजस्व विभाग में कार्यरत भ्रष्ट और सिस्टमबाजकर्मचारियों व लेखपालों के बीच हड़कंप का माहौल है।


ग्राम कला का पुरवा, (रामपुर भीमसेन), थाना सचेंडी, कानपुर निवासी संदीप सिंह ने मुख्यमंत्री को भेजे गए शिकायती पत्र में आरोप लगाया है कि उनकी दादी स्वर्गीय श्रीमती मोहन लाला उर्फ लाल साहिबा ने प्रार्थी व उसके भाई प्रदीप सिंह, पिता बीरेंद्र बहादुर सिंह उर्फ भोला सिंह, चाचा जंगबहादुर सिंह व अशोक सिंह को अपनी कृषि भूमि की रजिस्टर्ड वसीयत 31/05/2013 को की थी। स्वर्गीय श्रीमती मोहन लाला ने 17/07/2013 को पंजीकृत दान विलेख के जरिए अन्य भूमि/संपत्तियों के साथ-साथ एक और ग्राम सिंहपुर कठार स्थित आराजी संख्या 207/1.0990 हेक्टेयर तथा रामपर भीमसेन स्थित आराजी संख्या 895/1.7580 हेक्टयर की भी लिखापढ़ी की थी। दादी की रजिस्टर्ड़ वसीयत और दान विलेख के जरिए मिली संपत्तियों का प्रार्थी संदीप सिंह, उसके भाई प्रदीप सिंह, पिता बीरेंद्र बहादुर सिंह उर्फ भोला सिंह, चाचा जंगबहादुर सिंह व अशोक सिंह निर्विवाद रूप से मालिक हैं और अभी तक उक्त संपत्तियों की देखरेख व कृषि योग्य भूमि पर खेती करते आ रहे हैं।

पीड़ित संदीप कुमार सिंह

संदीप सिंह का आरोप है कि उनकी बुआ राजपति देवी W/O रघुवीर सिंह ने इस वसीयत के खिलाफ सिविल जज सीनियर डिवीजन (कानपुर नगर) की कोर्ट में मूलवाद संख्या 2550/2013 राजपति देवी बनाम बीरेंद्र सिंह आदि का वाद दाखिल किया। बाद में श्रीमती राजपति ने खुद ही यह वाद कोर्ट में वापस ले लिया। राजपित देवी ने दादी स्वर्गीय मोहन लाला उर्फ लाल साहिबा के पंजीकृत दान विलेख के खिलाफ सिविल जज (जूनियर डिवीजन) / एफ.टी.सी कोर्ट में मूलवाद संख्या 1368/2013 को प्रस्तुत किया। इस वाद को भी श्रीमती राजपति देवी ने कोर्ट में मौजूद रहकर वाद को वापस ले लिया।

संदीप सिंह का आरोप है कि उनकी बुआ राजपति देवी और राजकुमारी देवी ने प्रार्थी की दादी स्वर्गीय श्रीमती मोहन लाला के रजिस्टर्ड वसीयत को छिपाकर धोखाधड़ी करते हुए उक्त कृषि योग्य भूमि को अपने नाम सरकारी अभिलेखों में चढ़वाने के लिए नायब तहसीलदार (बिठूर) की कोर्ट में वाद हल्का लेखपाल अरुणा दिवेदी मकान नंबर 14-B बाबा नगर नौबस्ता, कानपुर और तहसील राजस्व कर्मचारी आलोक दुबे S/O स्वतंत्र कुमार दुबे R/O एलआइजी 17, दयानंद विहार फेस-1, कल्याणपुर, कानपुर नगर की साठगांठ से प्रस्तुत किया। इस दौरान प्रार्थी के मुकदमें अलग कोर्ट में चल रहे थे। जिसे भी राजकुमारी और राजपित देवी ने नायब तहसीलदार (बिठूर) कोर्ट से छिपा लिया। नायब तहसीलदार (बिठूर) की कोर्ट ने एक पक्षीय आदेश 11/03/2024 राजपति देवी और राजकुमारी के पक्ष में सुनाते हुए भूमि को उनके नाम पर सरकारी अभिलेखों में अंकित करने का आदेश जारी किया।

चूंकि स्थानीय लेखपाल अरुणा दिवेदी और राजस्व कर्माचारी आलोक दुबे की की साठगांठ पहले से थी, इस लिए नायब तहसीलदार (बिठूर) कोर्ट ने 11/03/2024 जब एक पक्षीय आदेश दिया तो राजपति देवी, राजकुमारी ने स्थानीय लेखपाल अरुणा दिवेदी और राजस्व कर्मचारी आलोक दुबे को उसी दिन अर्थात 11/03/2024 को फर्जी और कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर आराजी संख्या 895 का जुज रक्बा 0.3070 का दोनों के हक में बैनामा कर दिया। 12/03/2024 को राजकुमारी देवी ने राजपति के हक में अवैध तौर पर दानपत्र भी निष्पादित कर दिए। इतना ही नहीं श्रीमती राजपति ने अन्य आराजियों का भी अवैध तौर पर विक्रय अनुबंध पत्र अरुणा व आलोक के हक में कर दिया।

संदीप सिंह का आरोप है कि करीब पांच महीने बाद स्थानीय लेखपाल रहीं अरुणा दिवेदी और राजस्व कर्मचारी आलोक दुबे ने उपरोक्त सभी भूमि 06/08/2024 को कूटरचित दस्तावेजों के माध्यम से धोखाधड़ी करते हुए सभी कागजातों को वैध बताकर मालिकाना हक आर.एन.जी इंफ्रा R/O 15/78 सिविल लाइंस कानपुर नगर के भागीदार अमित गर्ग S/O स्वर्गीय प्रेम नारायण गर्ग से साठगाठ करके एक सुनियोजित षडयंत्र के तहत फर्जी विक्रयनामा आर.एन.जी इंफ्रा के पक्ष में विक्रयनामा निष्पादित कर विक्रय कर दिया।

आरोप है कि इसी तरह लेखपाल अरुणा दिवेदी और तहसील कर्माचारी आलोक दुबे ने प्रार्थी संदीप सिंह व अन्य परिजनों की ग्राम सिंहपुर कठार स्थित आराजी संख्या 207 रक्बा 0.5495 हेक्टेयर का कूटरचित दस्तावेजों के माध्यम से दिनांक 16/05/2024 को अपने हक में फर्जी विक्रय पत्र निष्पादित करवा लिया। जबकि उपरोक्त आराजी संख्या 207 पर श्रीमती राजपति देवी और राजकुमारी का किसी भी प्रकार का मालिकाना हक नहीं था।

Sandeep Singh का आरोप है कि राजपति देवी, राजकुमारी देवी ने अपने परिजनों और लेखपाल अरुणा दिवेदी और तहसील कर्मचारी आलोक दुबे व अमित गर्ग ने आपसी सांठगांठ कर सुनियोजित षडयंत्र के तहत आर्थिक लाभ प्राप्त करने की नीयत से फर्जी एवं कूटरचित दस्तावेजों को तैयार कर उपरोक्त सभी भूमि का बैनामा करवा लिया। सभी लोगों ने गिरोह बनाकर कूटरचित कागजातों के जरिए न सिर्फ फर्जी बैनामा करवाया बल्कि प्रार्थी व उसके परिजनों को आर्थिक और मानसिक अपूर्णनीय भी पहुंचाई है। जिसके लिए उपरोक्त सभी लोग जिम्मेदार हैं।

मुख्यमंत्री को भेजे गए शिकायती पत्र में Sandeep Singh ने आरोप लगाया है कि लेखपाल अरुणा दिवेदी और तहसील कर्मचारी आलोक दुबे एक संगठित गिरोह बनाकर सरकारी पद का दुरुपयोग करते हुए भू-माफियाओं और सफेदपोश लोगों का रुपया लगवा कर जमीनों की खरीद-फरोक्त का धंधा भी करते हैं। आलोक दुबे ने बिठूर में रिंगरोड के पास कई बीघा भूमि अपने परिजनों के नाम पर पहले खरीदी और बाद में उसकी बिक्री की। कुछ जगहों का मुआवजा भी उठा लिया।

संदीप सिंह का आरोप है कि लेखपाल अरुणा दिवेदी पूर्व में अपने इस तरह के क्रियाकलापों की वजह से निलंबित भी की जा चुकी हैं। शिकायती पत्र में संदीप सिंह ने आरोप लगाया है कि जब अपने भूमि से संबंधित मामलों की पैरवी के लिए जब दो महीना पहले कचेहरी सदर तहसील पहुंचे तो लेखपाल अरुणा दिवेदी, तहसील कर्मचारी आलोक दुबे ने अपने करीब दर्जन भर अपराधिक मानसिकता वाले गुर्गों के साथ उसे रोक लिया। सभी ने प्रार्थी को मां-बहन की भद्दी-भद्दी गालियां देते हुए कहा कि पैरवी करना छोड़ दो वर्ना जान से हाथ धो बैठेगो। 

शासन और प्रशासन हमारा है और हमारे ही इशारों पर नाचता है। भविष्य में यदि फिर कचहरी या तहसील के आसपास दिख गए तो लाश का भी पता नहीं चलेगा। उसके बाद तुम्हारे परिवार को बर्बाद कर दूंगा। दबंगों की धमकी के बाद प्रार्थी को काफी सदमा लगा और वह काफी समय तक बीमार रहा। प्रार्थी का चिकित्सकीय इलाज अब भी चल रहा है। प्रार्थी ने इस बाबत एक शिकायती पत्र 16/10/2024 को कोतवाली थाना (कानपुर नगर) में दिया लेकिन पुलिस ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की। जिसकी वजह से दबंगों के हौसले बुलंद हैं।

  • रजिस्टर्ड वसीयत और दान विलेख पत्र को धता बताकर करवा ली सेल डीड
  • पीड़ित ने सिविल कोर्ट में दाखिल किया वाद तो मिली जान से मारने की धमकी
  • UPCM, DGP से पीड़ित ने की मामले की शिकायत
  • DM ने जांच कमेटी बनाकर 15 दिन में मांगी Report



Central Desck (Kanpur)

शासन और प्रशासन हमारे अंगुलियों पर नाचता है पैरवी करना छोड़ दो नहीं तो तुम लोगों को दुनिया छोड़नी पड़ेगी... अगर फिर तुम लोग कचहरी या वकीलों के बस्ते पर दिखे...मां-बहन की भद्दी-भद्दी गालियां... तुम्हारे परिवार को बर्बाद कर दूंगा...तेरी लाश का पता नहीं चलेगा... चल यहां से चला जा तू अब नहीं तो जान से जाएगा...” ये डॉयलाग किसी फिल्म, धारावाहिक, वेब सीरीज, उपन्यास या कहानी का नहीं है बल्कि एक पीड़ित परिवार पर टूटे दबंगों के कहर की दास्तां है। जिसकी बेशकीमती पर जमीन पर सरकारी पद पर बैठे कर्मचारियों ने रजिस्टर्ड वसीयत और दान-विलेख पत्रों के होने के बाद भी अवैध तरीके से लिखापढ़ी कर अपने नाम पर दर्ज करवा ली। पीड़ित ने जब अपने बाप-दादा की पैतृक संपत्ति को बचाने के लिए न्याय के मंदिर”  Court में सिविल वाद दाखिल किया तो उसे परिवार समेत नेस्तानाबूद करने की धमकी फिल्मी अंदाज में दी गई। दरसल ये राजस्व विभाग के भ्रष्ट और अराजक हो चुके कर्मचारियों और पर्दे के पीछे से अहम भूमिका निभाने वाले कुछ सफेदपोश माफियाओं का एक नमूना भर है।

भले ही अखबारों, टीवी, होर्डिग्स में सूबे के मुख्यमंत्री Yogi Adityanath के योगीराज” के गुण गाए जा रहे हैं लेकिन धरातल पर नजारा कुछ और ही है। असंवेदनशील हो चुके है भ्रष्ट सिस्टम” की असीमित शक्ति” के आगे बेबसी, लाचारी, आखों में खौफ के साथ झरते आंसुओं के सैलाब को कैसे रोका जा सकता है। ये दर्द भरी कहानी ग्राम कला का पुरवा, (रामपुर भीमसेन), थाना सचेंडी (कमिश्नरेट पुलिस) कानपुर निवासी संदीप सिंह की है। अपने साथ हुई धोखाधड़ी और बाद में जानमाल की धमकी मिलने के बाद संदीप सिंह ने पूरे प्रकरण की शिकायत सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सिंह, गृहसचिव, उत्तर प्रदेश के पुलिस मुखिया, जिलाधिकारी, कमिश्नर को पत्र लिखकर की है। DM (Kanpur Nagar) राकेश कुमार सिंह के सामने मंडे को वह सभी अभिलेखों के साथ पेश हुए और शिकायती पत्र सौंपा। मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी ने तत्काल तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की है। इस जांच कमेटी में अपर जिलाधिकारी न्यायिक (अध्यक्ष), उप जिलाधिकारी (सदर) (सदस्य) और सहायक पुलिस आयुक्त (कोतवाली) सदस्य हैं। DM (Kanpur Nagar) ने 15 दिन के अंदर जांच पूरी कर Report मांगी है। देखना अब यह है कि जीत न्याय की होती है या फिर सफेदपोश खाकी का साया या फिर सुन्न पड़ी संवेदनायें...???


राकेश कुमार सिंह (जिलाधिकारी कानपुर नगर), फोटो साभार google

ग्राम कला का पुरवा, (रामपुर भीमसेन), थाना सचेंडीकानपुर निवासी संदीप सिंह ने मुख्यमंत्री को भेजे गए शिकायती पत्र में आरोप लगाया है कि उनकी दादी स्वर्गीय श्रीमती मोहन लाला उर्फ लाल साहिबा ने प्रार्थी व उसके भाई प्रदीप सिंह, पिता बीरेंद्र बहादुर सिंह उर्फ भोला सिंह, चाचा जंगबहादुर सिंह व अशोक सिंह को अपनी कृषि भूमि की रजिस्टर्ड वसीयत 31/05/2013 को की थी। स्वर्गीय श्रीमती मोहन लाला ने 17/07/2013 को पंजीकृत दान विलेख के जरिए अन्य भूमि/संपत्तियों के साथ-साथ एक और ग्राम सिंहपुर कठार स्थित आराजी संख्या 207/1.0990 हेक्टेयर तथा रामपर भीमसेन स्थित आराजी संख्या 895/1.7580 हेक्टयर की भी लिखापढ़ी की थी। दादी की रजिस्टर्ड़ वसीयत और दान विलेख के जरिए मिली संपत्तियों का प्रार्थी संदीप सिंह, उसके भाई प्रदीप सिंह, पिता बीरेंद्र बहादुर सिंह उर्फ भोला सिंह, चाचा जंगबहादुर सिंह व अशोक सिंह निर्विवाद रूप से मालिक हैं और अभी तक उक्त संपत्तियों की देखरेख व कृषि योग्य भूमि पर खेती करते आ रहे हैं।

संदीप सिंह का आरोप है कि उनकी बुआ राजपति देवी W/O रघुवीर सिंह ने इस वसीयत के खिलाफ सिविल जज सीनियर डिवीजन (कानपुर नगर) की कोर्ट में मूलवाद संख्या 2550/2013 राजपति देवी बनाम बीरेंद्र सिंह आदि का वाद दाखिल किया। बाद में श्रीमती राजपति ने खुद ही यह वाद कोर्ट में वापस ले लिया। राजपित देवी ने दादी स्वर्गीय मोहन लाला उर्फ लाल साहिबा के पंजीकृत दान विलेख के खिलाफ सिविल जज (जूनियर डिवीजन) / एफ.टी.सी कोर्ट में मूलवाद संख्या 1368/2013 को प्रस्तुत किया। इस वाद को भी श्रीमती राजपति देवी ने कोर्ट में मौजूद रहकर वाद को वापस ले लिया।


संदीप सिंह का आरोप है कि उनकी बुआ राजपति देवी और राजकुमारी देवी ने प्रार्थी की दादी स्वर्गीय श्रीमती मोहन लाला के रजिस्टर्ड वसीयत को छिपाकर धोखाधड़ी करते हुए उक्त कृषि योग्य भूमि को अपने नाम सरकारी अभिलेखों में चढ़वाने के लिए नायब तहसीलदार (बिठूर) की कोर्ट में वाद हल्का लेखपाल अरुणा दिवेदी मकान नंबर 14-बाबा नगर नौबस्ता, कानपुर और तहसील राजस्व कर्मचारी आलोक दुबे S/O स्वतंत्र कुमार दुबे R/O एलआइजी 17, दयानंद विहार फेस-1, कल्याणपुर, कानपुर नगर की साठगांठ से प्रस्तुत किया। इस दौरान प्रार्थी के मुकदमें अलग कोर्ट में चल रहे थे। जिसे भी राजकुमारी और राजपित देवी ने नायब तहसीलदार (बिठूर) कोर्ट से छिपा लिया। नायब तहसीलदार (बिठूर) की कोर्ट ने एक पक्षीय आदेश 11/03/2024 राजपति देवी और राजकुमारी के पक्ष में सुनाते हुए भूमि को उनके नाम पर सरकारी अभिलेखों में अंकित करने का आदेश जारी किया।

पीड़ित संदीप सिंह

चूंकि स्थानीय लेखपाल अरुणा दिवेदी और राजस्व कर्माचारी आलोक दुबे की की साठगांठ पहले से थी, इस लिए नायब तहसीलदार (बिठूर) कोर्ट ने 11/03/2024 जब एक पक्षीय आदेश दिया तो राजपति देवी, राजकुमारी ने स्थानीय लेखपाल अरुणा दिवेदी और राजस्व कर्मचारी आलोक दुबे को उसी दिन अर्थात 11/03/2024 को फर्जी और कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर आराजी संख्या 895 का जुज रक्बा 0.3070 का दोनों के हक में बैनामा कर दिया। 12/03/2024 को राजकुमारी देवी ने राजपति के हक में अवैध तौर पर दानपत्र भी निष्पादित कर दिए। इतना ही नहीं श्रीमती राजपति ने अन्य आराजियों का भी अवैध तौर पर विक्रय अनुबंध पत्र अरुणा व आलोक के हक में कर दिया।

संदीप सिंह का आरोप है कि करीब पांच महीने बाद स्थानीय लेखपाल रहीं अरुणा दिवेदी और राजस्व कर्मचारी आलोक दुबे ने उपरोक्त सभी भूमि 06/08/2024 को कूटरचित दस्तावेजों के माध्यम से धोखाधड़ी करते हुए सभी कागजातों को वैध बताकर मालिकाना हक आर.एन.जी इंफ्रा R/O 15/78 सिविल लाइंस कानपुर नगर के भागीदार अमित गर्ग S/O स्वर्गीय प्रेम नारायण गर्ग से साठगाठ करके एक सुनियोजित षडयंत्र के तहत फर्जी विक्रयनामा आर.एन.जी इंफ्रा के पक्ष में विक्रयनामा निष्पादित कर विक्रय कर दिया।

आरोप है कि इसी तरह लेखपाल अरुणा दिवेदी और तहसील कर्माचारी आलोक दुबे ने प्रार्थी संदीप सिंह व अन्य परिजनों की ग्राम सिंहपुर कठार स्थित आराजी संख्या 207 रक्बा 0.5495 हेक्टेयर का कूटरचित दस्तावेजों के माध्यम से दिनांक 16/05/2024 को अपने हक में फर्जी विक्रय पत्र निष्पादित करवा लिया। जबकि उपरोक्त आराजी संख्या 207 पर श्रीमती राजपति देवी और राजकुमारी का किसी भी प्रकार का मालिकाना हक नहीं था।

Sandeep Singh का आरोप है कि राजपति देवी, राजकुमारी देवी ने अपने परिजनों और लेखपाल अरुणा दिवेदी और तहसील कर्मचारी आलोक दुबे व अमित गर्ग ने आपसी सांठगांठ कर सुनियोजित षडयंत्र के तहत आर्थिक लाभ प्राप्त करने की नीयत से फर्जी एवं कूटरचित दस्तावेजों को तैयार कर उपरोक्त सभी भूमि का बैनामा करवा लिया। सभी लोगों ने गिरोह बनाकर कूटरचित कागजातों के जरिए न सिर्फ फर्जी बैनामा करवाया बल्कि प्रार्थी व उसके परिजनों को आर्थिक और मानसिक अपूर्णनीय भी पहुंचाई है। जिसके लिए उपरोक्त सभी लोग जिम्मेदार हैं।

मुख्यमंत्री को भेजे गए शिकायती पत्र में Sandeep Singh ने आरोप लगाया है कि लेखपाल अरुणा दिवेदी और तहसील कर्मचारी आलोक दुबे एक संगठित गिरोह बनाकर सरकारी पद का दुरुपयोग करते हुए भू-माफियाओं और सफेदपोश लोगों का रुपया लगवा कर जमीनों की खरीद-फरोक्त का धंधा भी करते हैं। आलोक दुबे ने बिठूर में रिंगरोड के पास कई बीघा भूमि अपने परिजनों के नाम पर पहले खरीदी और बाद में उसकी बिक्री की। कुछ जगहों का मुआवजा भी उठा लिया।

संदीप सिंह का आरोप है कि लेखपाल अरुणा दिवेदी पूर्व में अपने इस तरह के क्रियाकलापों की वजह से निलंबित भी की जा चुकी हैं। शिकायती पत्र में संदीप सिंह ने आरोप लगाया है कि जब अपने भूमि से संबंधित मामलों की पैरवी के लिए जब दो महीना पहले कचेहरी सदर तहसील पहुंचे तो लेखपाल अरुणा दिवेदी, तहसील कर्मचारी आलोक दुबे ने अपने करीब दर्जन भर अपराधिक मानसिकता वाले गुर्गों के साथ उसे रोक लिया। सभी ने प्रार्थी को मां-बहन की भद्दी-भद्दी गालियां देते हुए कहा कि पैरवी करना छोड़ दो वर्ना जान से हाथ धो बैठेगो। शासन और प्रशासन हमारा है और हमारे ही इशारों पर नाचता है। भविष्य में यदि फिर कचहरी या तहसील के आसपास दिख गए तो लाश का भी पता नहीं चलेगा। उसके बाद तुम्हारे परिवार को बर्बाद कर दूंगा। दबंगों की धमकी के बाद प्रार्थी को काफी सदमा लगा और वह काफी समय तक बीमार रहा।

 Sandeep Singh का चिकित्सकीय इलाज अब भी चल रहा है। प्रार्थी ने इस बाबत एक शिकायती पत्र 16/10/2024 को कोतवाली थाना (कानपुर नगर) में दिया लेकिन पुलिस ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की। जिसकी वजह से दबंगों के हौसले बुलंद हैं। यदि पुलिस प्रशासन इन सभी के खिलाफ कार्रवाई नहीं करेगा तो आशंका है कि ये मुझे या मेरे परिजनों की हत्या तक करवा सकते हैं। अत: माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन है कि राजपति देवी, राजकुमारी देवी, उनके परिवारीजन व लेखपाल अरुणा दिवेदी, तहसील कर्मचारी आलोक दुबे, व अमित गर्ग के खिलाफ पूरे मामले की जांच करवा कर सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई करवाने की कृपा करें ताकि पीड़ित समाज में भयमुक्त होकर जीवन व्यतीत कर सके।